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कला की मदद का नायाब तरीका

२१ जून २०१३

आर्थिक संकट के कारण स्पेन के कला उद्योग को भी गिरते राजस्व के संकट का सामना करना पड़ा है. अब राजधानी मैड्रिड में युवा कलाकारों को बढ़ावा देने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है.

तस्वीर: DW/A. Kassam

जब से टेरेसा नावाखास ने अपने पड़ोस में दिसंबर 2012 में ओपेन हाउस के दौरान एक तंग आर्ट स्टूडियो देखा, वे मैड्रिड में समकालीन कला की मदद के लिए नए विचारों पर काम कर रही हैं. डाउनटाउन मैड्रिड में गिरजे के उपरी तल में खाली जगह अब एक चहल पहल वाला स्टूडियो है जिसे सात युवा आर्टिस्ट साझा करते हैं. स्टूडियो बेनेफिसेंसिया के बारे में एक युवती आंखों में चमक लिए कहती हैं, "आर्टवर्क अद्भुत है, जगह जादुई है." जगह भले ही रंग बिरंगी हो, वहां काम करने वाले सभी आर्टिस्ट रोजी रोटी कमाने की जद्दोजेहद में लगे हैं.

स्टूडियो बेनेफिसेंसिया के एक आर्टिस्ट खैरो अलफोंसो कहते हैं, "कला अब उस तरह नहीं बिकती जैसे कुछ साल पहले बिकती थी. आर्ट गैलरियों को भी नुकसान हुआ है. उन्हें पहले स्पेन सरकार की मदद मिलती थी, अब बहुत सी गैलरियों को नहीं मिलती. बहुत सी गैलरियों को बंद करना पड़ा है." कलाकृतियों की बिक्री में आई कमी का नतीजा यह हुआ है कि स्टूडियो वेनेफिसेंसिया में काम करने वाला कोई भी आर्टिस्ट पूरे समय सिर्फ कला का काम नहीं कर सकता. इसलिए पैसे कमाने के लिए उन्हें कारीगरी और आर्ट पढ़ाने जैसे काम करने पड़ते हैं. ऊगो मार्टिनेज लाजारो कहते हैं, "जब मेरे पास खर्च चलाने के लिए पर्याप्त धन जुट जाता है तो मैं काम छोड़कर आर्ट पर ध्यान देता हूं."

खैरो अलफोंसोतस्वीर: DW/A. Kassam

संकट में डूबा उद्योग

नावाखास का कहना है कि आर्थिक संकट ने स्पेन में कलाकारों से संभावनाएं छीन ली हैं. कला की दुनिया में सरकार महत्वपूर्ण खिलाड़ी हुआ करती थी. छोटे गांव, नगरपालिकाएं, क्षेत्रीय सरकार और सार्वजनिक संस्थान अपने संग्रहालयों के लिए नियमित रूप से कलाकृतियां खरीदते थे. न्यासों के पास भी कला पर खर्च करने के लिए प्रचुर धन था और वे प्रतिभावान कलाकारों को अच्छी खासी छात्रवृतियां दिया करते थे. लेकिन बचत कार्यक्रम का परिणाम यह हुआ है कि राजस्व के ये रास्ते सूख गए हैं. सितंबर 2012 के बाद से स्थिति और बिगड़ गई है जब से सरकार ने आमदनी बढ़ाने के लिए कलाकृतियां की खरीद बिक्री पर टैक्स बढ़ाकर 18 से 21 प्रतिशत कर दिया है.

नवाखास कहती हैं, "लंदन में स्पेनी पेंटिग खरीदनी मैड्रिड के मुकाबले सस्ता है." इसकी वजह से आर्ट गैलरियों के लिए मुश्किलें पैदा हो गई हैं, और बहुत सी गैलरियां बंद करनी पड़ी हैं. लेकिन स्टूडिया बेनेफिसेंसिया के पेड्रो लोपेज जमोरा का कहना है, "कला हमेशा संकट काल की प्रतिक्रिया होती है." उनका कहना है कि कलाकारों पर इसका अच्छा असर होगा. "देश अभी संकट में है और इससे ऐसा माहौल पैदा हो रहा है जिसमें आर्टिस्ट अधिक जोखिम उठाएंगे."

पेड्रो लोपेज जमोरातस्वीर: DW/A. Kassam

भविष्य में निवेश

स्पेन में कुछ बड़े आर्ट कलेक्टर हैं और उनमें से ज्यादातर क्लासिकल कलाकृतियों को खरीदने पर ध्यान देते हैं. इसका नतीजा यह होता है कि समकालीन कला के लिए ज्यादा धन उपलब्ध नहीं होता. इसलिए नवाखास ने कलाकारों और कलेक्टरों के बीच सीधा रिश्ता कायम करने के बारे में सोचना शुरू किया. वे कहती हैं, "कलेक्टर शायद ही कभी कलाकारों से मिलते हैं और असली अनुभव का मजा लेते हैं." इसलिए उन्होंने सोचा कि यदि दोनों की मुलाकात करा दी जाए तो कलेक्टर अपने पसंदीदा आर्टिस्ट के विकास, उसकी भावनाओं और उसके काम को समझ पाएंगे.

इसी के बाद एडॉप्ट ए आर्टिस्ट अभियान का विचार पैदा हुआ. नवाखास ने अपने दोस्तों को छह महीने तक 50 यूरो देकर स्टूडियो वेनेफिसेंसिया में काम करने वाले किसी भी कलाकार को स्पॉन्सर करने के लिए आमंत्रित किया. इस धन का इस्तेमाल कलाकारों के रोजमर्रे के खर्च को पूरा करने के लिए किया जाता है ताकि वे अपना पूरा ध्यान अपनी कला पर लगा सकें. आभार के रूप में स्पॉन्सर करने वाले को कलाकार की ओर से एक आर्टवर्क मिलता है.

अब तक कम ही लोग इस अभियान में शामिल हुए हैं. लेकिन एक शुरुआत हुई है. अब नवाखास अपनी अगली परियोजना पर काम कर रही हैं, चाहे क्राउड फंडिंग हो या नए कलेक्टरों को जुटाने के लिए कलाकृतियों की नीलामी., हर अभियान आर्ट कलेक्टरों की नई पीढ़ी पैदा करेगा और साथ ही युवा कलाकारों को बढ़ावा भी देगा.

रिपोर्ट: अशिफा कसम/एमजे

संपादन: निखिल रंजन

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