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कश्मीर का सच दिखाती है मेरी फिल्म: राहुल

२ जुलाई २०१०

राहुल ढोलकिया की फिल्म "लम्हा" इसी महीने रिलीज हो रही है. राहुल का दावा है कि कश्मीर पर बनी इस फिल्म में कश्मीरियत नजर आएगी. कश्मीरियों के दर्द को दिखाने की कोशिश. फिल्म बनाने में लगे पांच साल.

तस्वीर: AP

इस वक्त कश्मीर हिंसा के नए दौर से गुजर रहा है. रोजाना भीड़ पत्थर लेकर सड़कों पर उतरती है और सामने संगीनें तनी होती हैं. इस हिंसा के बीच एक फिल्म रिलीज हो रही है, जो कश्मीर के बारे में कुछ और कहने की कोशिश कर रही है. कभी-कभार जब फिल्मी पर्दे पर कश्मीर दिखता है तो बस बम धमाके, खून-खराबा, सड़कों पर पत्थरबाजी करती भीड़ और बिलखते लोग ही दिखते हैं.

तस्वीर: picture-alliance/ dpa/dpaweb

दिखाने वाले कहते हैं कि यही आज की हकीकत है. लेकिन उनकी इस हकीकत का नुकसान झेलती है कश्मीरियत. कश्मीर को पर्दे पर दिखानेवाले अक्सर कश्मीरियों का दर्द ही नहीं दिखा पाते. लेकिन राहुल ढोलकिया का दावा है कि वह अपनी फिल्म में कश्मीरियत दिखाने जा रहे हैं.

"परजानिया" जैसी संवेदनशील फिल्म से राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके निर्देशक राहुल ढोलकिया की नई फिल्म है "लम्हा" और उनका कहना है कि यह फिल्म कश्मीर की उस घिसी-पिटी छवि को तोड़ने का काम करेगी, जो हाल के सालों में पर्दे पर दिखती रही है. राहुल कहते हैं कि इस फिल्म में मैं यह दिखाना चाहता हूं कि कश्मीर आज जैसा है, वैसा क्यों है और इसका भविष्य क्या है.

राहुल को यह फिल्म बनाने में पांच साल का वक्त लगा है. इसके लिए उन्होंने खासी रिसर्च की है. राहुल के मुताबिक फिल्म किसी एक घटना पर आधारित नहीं है, बल्कि यह कश्मीर की जिंदगी पर आधारित है. राहुल कहते हैं कि मेरी फिल्म उस शोषण की बात करती है जो सालोंसाल से चला आ रहा है. इसमें घुसपैठ है َऔर आतंकवाद भी है लेकिन सबसे अहम है कश्मीरियों की पहचान का संकट और जीने के लिए उनका संघर्ष. उम्मीद है कि मेरी फिल्म में कश्मीर का सच देखकर लोग इस मुद्दे को समझेंगे.

तस्वीर: AP Photo / Rajesh Nirgude

वैसे राहुल ने गंभीर मुद्दे पर फिल्म बनाते वक्त दर्शकों का पूरा ख्याल रखा है. वह बताते हैं कि फिल्म में थ्रिल का पुट भी है ताकि कहानी में दर्शकों की दिलचस्पी बनी रहे. फिल्म में संजय दत्त और बिपाशा बसु जैसे बॉलिवुड के सुपर स्टार्स ने काम किया है. लेकिन सबसे अहम बात है फिल्म का मुद्दा.

राहुल की पिछली फिल्म "परजानिया" भी गुजरात दंगे जैसे संवेदनशील मुद्दे पर आधारित थी, लेकिन उनका मानना है कि कश्मीर मुद्दा उससे ज्यादा संवेदनशील है. वह कहते हैं, "कश्मीर का लंबा-चौड़ा इतिहास है. इसकी बहुत सारी परतें हैं और मामला बहुत उलझा हुआ है.

अब मुद्दा इतना संवेदनशील है कि इस पर विवाद होना लाजमी है. हालांकि अभी फिल्म के प्रोमो ही दिखाए जा रहे हैं, लेकिन सेंसर बोर्ड को इन पर भी दिक्कत हो गई है. बोर्ड को एक डायलॉग में एक शब्द पर आपत्ति है. इस डायलॉग में कश्मीर के लिए कहा गया है कि यह दुनिया की सबसे ज्यादा खतरनाक जगह है. बोर्ड ने "सबसे" शब्द हटाने के लिए कहा है.

राहुल इससे खुश नहीं हैं. वह कहते हैं कि बोर्ड को तो हर चीज से परेशानी होती है, लेकिन अभी मेरे सामने ज्यादा बड़ी लड़ाई है और वह है फिल्म की सेंसरशिप. राहुल कहते हैं, "पता नहीं कौन किस लाइन में क्या देख ले. लेकिन मुझे इस तरह की चुनौतियों की आदत है."

रिपोर्ट: एजेंसियां/वी कुमार

संपादन: एस गौड़

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