बाढ़ के कारण श्रीनगर शहर में टेलीफोन सेवा ठप हो गई है और सड़कें पानी में डूब गई हैं. बाढ़ से कितना नुकसान हुआ है यह अब तक साफ नहीं हो पाया है लेकिन सेना के हेलिकॉप्टर से लिया गया वीडियो यह बताता है कि पूरे के पूरे गांव डूब गए हैं. वीडियो में लोगों को घर की छतों से हाथ हिलाते देखा जा सकता है, जबकि गाड़ियां और मवेशी पानी के तेज बहाव में बह गए हैं. आपदा अधिकारियों का कहना है कि मूसलाधार बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की वजह से 350 गांव पानी में डूब गए हैं.
राहत और बचाव कार्य के लिए हजारों सैनिकों और अन्य आपात कर्मचारियों को लगाया है, लोगों की मदद के लिए हेलिकॉप्टर और नावों का इस्तेमाल किया जा रहा है. पूरी कश्मीर घाटी में कंबल, टेंट और अन्य मदद देकर मृतकों की संख्या को बढ़ने से रोकने की कोशिश की जा रही है.
राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल (एनडीआरएफ) के महानिरीक्षक संदीप राय राठौर के मुताबिक, "हमारे 750 बचावकर्मी इस काम में लगे हुए हैं, हमारी टीमों ने पांच हजार से अधिक लोगों को बचा लिया है. लेकिन यह कुछ और दिन या फिर उससे ज्यादा तक चल सकता है क्योंकि पानी का स्तर अब तक कम नहीं हुआ है. हमारी कोशिश सभी लोगों की जान बचाने की है."
झेलम नदी का पानी श्रीनगर के कई हिस्सों में घुस गया है जिस वजह से संचार और सड़क संपर्क टूट गया है. श्रीनगर के करन नगर इलाके के रहने वाले विनोद विशेन ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि कैसे उन्होंने अपने पूरे परिवार को घर की छत पर पहुंचाया. उन्होंने फेसबुक पर लिखा, "पानी लगातार बढ़ रहा है." उन्होंने चिंता जताई कि इलाके के पुराने मकान गिर सकते हैं.
हालांकि सोमवार को बारिश नहीं हुई लेकिन अधिकारियों का कहना है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को इलाके का दौरा किया और राहत कार्यों में जुटे उच्च अधिकारियों से मुलाकात की. मोदी ने इसे राष्ट्रीय आपदा बताया है, वहीं पाक अधिकृत कश्मीर में भी अचानक आई बाढ़ ने करीब 205 लोगों की जान ले ली. जबकि सैकड़ों गांव तबाही की चपेट में आ गए. मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को खत लिखकर बाढ़ पीड़ित पाकिस्तानियों के लिए गहरी सहानुभूति जाहिर की है और साथ ही बाढ़ राहत कार्यों के लिए मदद का भी प्रस्ताव दिया है.
एए/एएम (एएफपी)
विश्व की आबादी में 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की तादाद 2050 तक बढ़कर 15.6 फीसदी हो जाएगी. संयुक्त राष्ट्र के ताजा आकलन के अनुसार यह दोगुनी वृद्धि है. क्या है इसकी वजह और क्या है हमारे लिए इसके मायने?
तस्वीर: Munir Uz Zaman/AFP/GettyImagesविकासशील देशों में आम तौर पर पेंशन और सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था की भी कमी है. लेकिन कभी काफी ऊंची रहे जन्म दर का नतीजा यह होगा कि कुछ सालों में वहां बहुत ज्यादा बुजुर्ग लोग होंगे. बुजुर्ग लोगों की जिंदगी को आसान बनाने के लिए नई संरचनाएं बनाने की जरूरत होगी.
तस्वीर: Issouf Sanogo/AFP/GettyImagesदुनिया भर में लोगों की उम्र बढ़ रही है. 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या 2010 में 7.7 प्रतिशत थी. यह 2050 में दोगुनी होकर 15.6 प्रतिशत हो जाएगी. इसकी वजह जन्मदर में कमी और जीवनदर में वृद्धि है. खासकर विकासशील देशों में उम्रदराज लोगों की संख्या बढ़ेगी.
तस्वीर: picture-alliance/dpaसौ साल पहले लोगों का 75 साल का होना अपवाद हुआ करता था. इस उम्र के लोगों को वयोवृद्ध समझा जाता था. आजकल इस उम्र के पेंशनर अधिकतर स्वस्थ होते हैं और जिंदगी का पूरा लुत्फ उठाते हैं. जर्मनी में 30 साल पहले के मुकाबले सौ की उम्र के पांचगुने ज्यादा लोग हैं.
तस्वीर: Fotolia/Gina Sandersशारीरिक रूप से चुस्त दुरुस्त बुजुर्ग लोगों की बढ़ती संख्या की वजह बढ़ रही संपन्नता और बेहतर चिकित्सीय देखभाल भी है. विकसित देशों का यह रुझान अब विकासशील देशों में भी दिखने लगा है. चार दशक बाद बूढ़े लोगों का बहुत बड़ा हिस्सा इन्हीं देशों में रह रहा होगा.
तस्वीर: Patrizia Tilly/Fotoliaआने वाले सालों में कम बच्चे पैदा होने की रुझान बनी रहेगी. युवा दम्पत्ति ज्यादा बच्चे नहीं चाहते. इसकी मुख्य वजह यह है कि महिलाएं आजकल आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने पर ज्यादा महत्व देती हैं और उनके लिए बच्चे और पेशे के बीच तालमेल बिठाना अभी भी बहुत मुश्किल है.
तस्वीर: Fotolia/Fotowerkमहिलाओं में कम बच्चे की चाहत की एक और वजह यह है कि वे अपने बच्चों के लिए अच्छा भविष्य चाहती हैं. खासकर गरीब देशों में महिलाएं अपनी बेटियों पर छोटे भाई बहनों की देखभाल का बोझ डालने के बदले उन्हें स्कूल भेजना चाहती हैं, ताकि उनकी जिंदगी बेहतर हो सके.
तस्वीर: DW/H. Hashemiजर्मनी जैसे समृद्ध देशों में भी बुजुर्गों की अच्छी देखभाल ही काफी नहीं है. हालांकि बड़ी संख्या में ओल्ड होम हैं लेकिन वे अत्यंत महंगे हैं. पेंशन लगातार गिर रही है और पेंशनयाफ्ता लोगों में गरीबी बढ़ रही है. इसकी वजह से ओल्ड होम का खर्च जुटाना आसान नहीं रह गया है.
तस्वीर: Fotolia/Kzenonगरीब देशों में तो खासकर वृद्ध महिलाओं को अक्सर जीवनयापन के लिए भीख मांगने पर मजबूर होना पड़ता है. बहुत से लोग ताउम्र सिर्फ मजदूरी करते हैं और बुढ़ापे के लिए कुछ भी बचा नहीं पाते हैं. बुढ़ापे में कठिन परिश्रम करना भी उनके लिए संभव नहीं होता.
तस्वीर: picture-alliance/Lehtikuva/Hehkuvaदुनिया भर में बुजुर्ग लोग सम्मानजनक जिंदगी के लिए समुचित पेंशन की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. मसलन निकारागुआ में वे हर महीने 90 डॉलर के पेंशन की मांग कर रहे हैं. भारत में तो औसत मासिक आय ही फिलहाल करीब 100 डॉलर है.
तस्वीर: REUTERSसंयुक्त राष्ट्र बूढ़े लोगों के लिए रोजगार के अवसरों की मांग कर रहा है. आबादी के साथ पेंशन की धारणा बदल रही है.
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