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कश्मीर पर हस्तक्षेप की अपील फिर खारिज

२२ अक्टूबर २०१०

सीपीआई नेता डी राजा ने कहा है कि अमेरिका को कश्मीर मुद्दे पर अपना रुख साफ करना चाहिए. पाकिस्तान की तरफ से बराबर हस्तक्षेप की अपीलों पर अमेरिका ने फिर कहा है कि इस द्विपक्षीय मुद्दे पर उसकी कोई भूमिका नहीं हो सकती.

कश्मीर में तनावतस्वीर: AP

अमेरिका का दौरा कर रहे भारतीय सांसद डी राजा ने न्यूयॉर्क में कहा, "कुछ अस्पष्टता सी है. अमेरिका को अपना रुख साफ करना है. वरना पाकिस्तान क्यों बार बार अमेरिका से गुहार कर रहा है." राजा का कहना है कि भारतीय रुख से वाकिफ अमेरिका को यह बात को पाकिस्तान को साफ कर देनी चाहिए कि उसका कश्मीर से कोई लेना देना नहीं है.

सीपीआई महासचिव एबी वर्धन के साथ डी राजातस्वीर: AP

सीपीआई नेता ने कहा, "मैं नहीं सोचता कि अमेरिका का पाकिस्तान और भारत के बीच सबंधों से कोई रिश्ता है और यह बात पाकिस्तान को साफ साफ बता देनी चाहिए. यह कोई ग्राम पंचायत नहीं जहां किसी बिचौलिये की जरूरत पड़े." उनके मुताबिक कश्मीर और दूसरे अनसुलझे मुद्दों को आपसी स्तर पर ही सुलझाया जाना चाहिए. वह कहते हैं, "अगर भारत और पाकिस्तान अपनी समस्याओं को नहीं सुलझा सकते तो फिर अमेरिका इन्हें कैसे हल कर सकता है. हमारी समस्याओं को हम समझते हैं."

वैसे अमेरिका ने कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप की पाकिस्तानी अपीलों को फिर खारिज किया है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता पीजे क्राउली ने कहा, "हम दोनों देशों के लिए कश्मीर मुद्दे की अहमियत को समझते हैं. हम निश्चित तौर पर तनाव को घटाना चाहते हैं और आखिरकार कश्मीर मुद्दे का हल चाहते हैं. इसके लिए भारत और पाकिस्तान के बीच अतिरिक्त बातचीत की जरूरत है. दोनों देशों में से किसी ने हमसे इस मुद्दे पर विशेष भूमिका अदा करने को नहीं कहा है."

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्तातस्वीर: cc-by-nd/Ralph Alswang

अमेरिका और पाकिस्तान के बीच रणनीतिक वार्ता के सिलसिले में अमेरिका पहुंचे कुरैशी ने आधिकारिक बैठक में भी कश्मीर का मुद्दा उठाया और अमेरिका से इसके समाधान में मदद की अपील की. कुरैशी ने कहा, "यह क्षेत्र की स्थायी शांति, स्थिरता और विकास के हित में है कि अमेरिका दक्षिण एशिया के विवादों को सुलझाने के लिए काम करे."

कुरैशी ने हाल में जम्मू कश्मीर की अशांति की भी बात की. उन्होंने कहा, "कोई भी जागरूक व्यक्ति निहत्थे कश्मीरी युवाओं पर ताकत के इस तरह बर्बर इस्तेमाल की अनदेखी नहीं कर सकता. पिछले तीन महीनों में कश्मीर में लगभग 100 लोग मारे गए हैं जिनमें से ज्यादातर किशोर हैं."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य

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