कश्मीर में अब पाकिस्तान नहीं चीन से लड़ रहा है भारत
११ अगस्त २०२२
कई दशकों तक भारत ने कश्मीर को लेकर चले आ रहे विवादों की वजह से पाकिस्तान को अपनी रक्षा और विदेश नीति के केंद्र में रखा था. पिछले दो सालों में यह स्थिति बदल गई और पाकिस्तान की जगह चीन ने ले ली है.
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कश्मीर के लद्दाख इलाके मेंभारत और चीन के सैनिकों की झड़पने भारत का रुख बदल दिया. आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे भारत की विदेश और रक्षा नीति में चीन सबसे प्रमुख स्थान पर है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, चीन के पूरे एशिया में असर बढ़ाने की कोशिशों के साथ मिल कर भी भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था से बहुत पीछे है. 2014 से 2016 तक भारतीय सेना की उत्तरी कमांड के प्रमुख रहे लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा कहते हैं, "भारत बहुत तेजी से चीन-केंद्रित हुआ है."
1947 में भारत और पाकिस्तान के बनने के बाद से ही कश्मीर विद्रोह, तालाबंदी और राजनीतिक जोड़ तोड़ का शिकार रहा. इतना ही नहीं भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच हुए चार युद्धों के केंद्र में भी कश्मीर ही था. कश्मीर दुनिया में अकेली ऐसी जगह है जिसे लेकर तीन परमाणु ताकत से लैस देशों के बीच टकराव है.
गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत
1960 के दशक में भारत गुट निरपेक्ष आंदोलन का एक सक्रिय सदस्य था. समूह में शामिल 100 से ज्यादा देशों ने शीत युद्ध के दौर में किसी एक प्रमुख ताकत की ओर जाने की बजाय अलग रहने का फैसला किया. पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों से विवादों के बावजूद भारत का गुट निरपेक्ष रवैया उसके विदेश नीति की धुरी रहा है. साथ ही भारत के राजनयिकों का ध्यान मुख्य रूप से पाकिस्तान के कश्मीर को लेकर किये जा रहे दावों को खत्म करने पर रहा है. पूर्व राजनयिक और 2002-03 में भारत के विदेश सचिव रहे कंवल सिब्बल कहते हैं, "कश्मीर एक तरह से हमारी विदेश नीति की चिंताओं के केंद्र में रहा है."
पाकिस्तान की जगह चीन
भारत और चीन के बीच हुये लद्दाख में सीमा विवाद ने दोनों एशियाई देशों के बीच तनाव को काफी ज्यादा बढ़ा दिया है. राजनयिकों और सैन्य अधिकारियों के बीच 17 दौर की बातचीत के बाद भी यह तनाव बरकरार है.
हुडा का कहना है कि कई दशकों तक भारत यही समझता रहा कि चीन उसके लिये सैन्य खतरा नहीं बनेगा. हालांकि 2020 के मध्य में काराकोरम के पहाडों में लद्दाख की गलवान घाटी में हुए झड़प ने यह धारणा बदल दी.
नई दिल्ली के सेंटर फॉर सोशल एंड इकोनॉमिक प्रोग्रेस में रिसर्च फेलो कोंस्टान्टिनो जेवियर कहते हैं, "गलवान रणनीतिक रूप से एक मोड़ का बिंदु है. इसने भारत में एक नई सहमति बनाई है कि उसे चीन के साथ सिर्फ सीमा विवाद सुलझाने की बजाय पूरे रिश्ते को नये सिरे से तय करना है."
गलवान में मध्ययुगीन तरीके से पत्थर और डंडों को हथियार बनाकर हुई लड़ाई में भारत के 20 और चीन के चार सैनिकों की मौत हुई. हालांकि बाद में चीन के और सैनिकों की जान जाने की खबरें भी आई.
कश्मीर में बदलाव
ये लड़ाई कश्मीर के राज्य का दर्जा छिनने के एक साल बाद हुई थी.कश्मीर की स्वायत्तता खत्म करने के बाद भारत सरकार ने इसे दो केंद्रशासित राज्यों में बांट दिया. इसके साथ ही जमीन के मालिकाना हक और नौकरियों को लेकर राज्य के विशेषाधिकार को खत्म कर दिये. नये राज्यों के रूप में बंटवारा करने के बाद स्थानीय राजनेताओं, पत्रकारों और संचार पर भारी पाबंदियां लगा दी गईं.
सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि इस कदम में केवल प्रशासनिक बदलाव किये गये हैं. हिंदू राष्ट्रवादियों की लंबे समय से यह मांग रही है कि मुस्लिम बहुल कश्मीर को भारत में पूरी तरह से शामिल किया जाये. पाकिस्तान ने भारत के इस कदम पर बड़ी उग्रता से प्रतिक्रिया दी और कहा कि कश्मीर एक अंतरराष्ट्रीय विवाद है और उसकी स्थिति के साथ कोई भी एकतरफा बदलाव अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन है.
हालांकि भारत के इस कदम पर कूटनीतिक रूप से बड़ी चुनौती चीन की तरफ से आई जिसकी भारत को उम्मीद नहीं थी. चीन ने भारत के इस कदम की आलोचना की और इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाया. यहां कश्मीर विवाद पर बीते पांच दशकों में पहली बार चर्चा हुई, हालांकि इसका कोई नतीजा नहीं निकला.
कश्मीर मुद्दे की पूरी रामकहानी
आजादी के बाद से ही कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक फांस बना हुआ है. कश्मीर के मोर्चे पर कब क्या क्या हुआ, जानिए.
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1947
बंटवारे के बाद पाकिस्तानी कबायली सेना ने कश्मीर पर हमला कर दिया तो कश्मीर के महाराजा ने भारत के साथ विलय की संधि की. इस पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया.
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1948
भारत ने कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया. संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव 47 पास किया जिसमें पूरे इलाके में जनमत संग्रह कराने की बात कही गई.
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1948
लेकिन प्रस्ताव के मुताबिक पाकिस्तान ने कश्मीर से सैनिक हटाने से इनकार कर दिया. और फिर कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया गया.
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1951
भारतीय कश्मीर में चुनाव हुए और भारत में विलय का समर्थन किया गया. भारत ने कहा, अब जनमत संग्रह का जरूरत नहीं बची. पर संयुक्त राष्ट्र और पाकिस्तान ने कहा, जनमत संग्रह तो होना चाहिए.
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1953
जनमत संग्रह समर्थक और भारत में विलय को लटका रहे कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्लाह को गिरफ्तार कर लिया गया. जम्मू कश्मीर की नई सरकार ने भारत में कश्मीर के विलय पर मुहर लगाई.
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1957
भारत के संविधान में जम्मू कश्मीर को भारत के हिस्से के तौर पर परिभाषित किया गया.
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1962-63
चीन ने 1962 की लड़ाई भारत को हराया और अक्साई चिन पर नियंत्रण कर लिया. इसके अगले साल पाकिस्तान ने कश्मीर का ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट वाला हिस्सा चीन को दे दिया.
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1965
कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ. लेकिन आखिर में दोनों देश अपने पुरानी पोजिशन पर लौट गए.
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1971-72
दोनों देशों का फिर युद्ध हुआ. पाकिस्तान हारा और 1972 में शिमला समझौता हुआ. युद्धविराम रेखा को नियंत्रण रेखा बनाया गया और बातचीत से विवाद सुलझाने पर सहमति हुई.
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1984
भारत ने सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण कर लिया, जिसे हासिल करने के लिए पाकिस्तान कई बार कोशिश की. लेकिन कामयाब न हुआ.
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1987
जम्मू कश्मीर में विवादित चुनावों के बाद राज्य में आजादी समर्थक अलगाववादी आंदोलन शुरू हुआ. भारत ने पाकिस्तान पर उग्रवाद भड़काने का आरोप लगाया, जिसे पाकिस्तान ने खारिज किया.
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1990
गवकदल पुल पर भारतीय सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 100 प्रदर्शनकारियों की मौत. घाटी से लगभग सारे हिंदू चले गए. जम्मू कश्मीर में सेना को विशेष शक्तियां देने वाले अफ्सपा कानून लगा.
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1999
घाटी में 1990 के दशक में हिंसा जारी रही. लेकिन 1999 आते आते भारत और पाकिस्तान फिर लड़ाई को मोर्चे पर डटे थे. कारगिल की लड़ाई.
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2001-2008
भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की कोशिशें पहले संसद पर हमले और और फिर मुबई हमले समेत ऐसी कई हिंसक घटनाओं से नाकाम होती रहीं.
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2010
भारतीय सेना की गोली लगने से एक प्रदर्शनकारी की मौत पर घाटी उबल पड़ी. हफ्तों तक तनाव रहा और कम से कम 100 लोग मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/Pacific Press/U. Asif
2013
संसद पर हमले के दोषी करार दिए गए अफजल गुरु को फांसी दी गई. इसके बाद भड़के प्रदर्शनों में दो लोग मारे गए. इसी साल भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मिले और तनाव को घटाने की बात हुई.
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2014
प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ गए. लेकिन उसके बाद नई दिल्ली में अलगाववादियों से पाकिस्तानी उच्चायुक्त की मुलाकात पर भारत ने बातचीत टाल दी.
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2016
बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में आजादी के समर्थक फिर सड़कों पर आ गए. अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और गतिरोध जारी है.
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2019
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 46 जवान मारे गए. इस हमले को एक कश्मीरी युवक ने अंजाम दिया. इसके बाद परिस्थितियां बदलीं. भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बना हुआ है.
तस्वीर: Reuters/Y. Khaliq
2019
22 जुलाई 2019 को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दावा किया की भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे को लेकर मध्यस्थता करने की मांग की. लेकिन भारत सरकार ने ट्रंप के इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझेगा.
तस्वीर: picture-alliance
2019
5 अगस्त 2019 को भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक संशोधन विधेयक पेश किया. इस संशोधन के मुताबिक अनुच्छेद 370 में बदलाव किए जाएंगे. जम्मू कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. लद्दाख को भी एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. धारा 35 ए भी खत्म हो गई है.
तस्वीर: Reuters
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कश्मीर को लेकर भारत की नीति लंबे समय से एक ही है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने वह जोर दे कर कहता है कि कश्मीर पाकिस्तान के साथ एक द्विपक्षीय मामला था. पाकिस्तान से वह इसे भारत का अंदरूनी मामला बताता है. इसके साथ ही वह कश्मीरी आलोचकों के सामने इस बात पर जोर देता है कि कश्मीर, आतंकवाद और कानून व्यवस्था का मसला था.
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कश्मीर में हिंसा और पड़ोसियों के परमाणु हथियार
शुरुआत में भारत के सामने कश्मीर के कुछ हिस्सों में भारत विरोधी शांतिपूर्ण प्रदर्श हुए. हालांकि इन विरोधों को दबाने के बाद 1989 में भारत के नियंत्रण वाले हिस्से में हथियारबंद विद्रोह ने जोर पकड़ ली और कश्मीर में आतंकवाद एक बड़ी समस्या बन गया. लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद ने इलाके में दसियों हजार लोगों की जान ली है.
कश्मीर, परमाणु ताकत के लिहाज से भी एक चरम बिंदु बन गया जब 1998 में भारत और पाकिस्तान ने परमाणु हथियार बना लिये. उनकी तनातनी ने दुनिया का भी ध्यान खींचा और तब अमेरिका के राष्ट्रपति रहे बिल क्लिंटन ने कश्मीर को "दुनिया की सबसे खतरनाक जगह" कहा.
भारतीय विदेश नीति के कई जानकार मानते हैं कि भारत कई दशकों तक कश्मीर में बदलाव के लिये विदेशी दबाव को रोकने में सफल रहा था. हालांकि यहां भारत के शासन के खिलाफ लोगों की भावनायें जब तब उभरती रही हैं.
कब कब टकराए भारत और पाकिस्तान
भारत और पाकिस्तान की फौजें चार बार युद्ध में भिड़ चुकी हैं. एक नजर भारत और पाकिस्तान के सैन्य संघर्षों पर. दोनों के बीच तनाव भरे पलों पर.
तस्वीर: picture alliance/dpa/AP Photo/M. Desfor
1947
भारत और पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध दोनों की आजादी के महज दो महीने बाद अक्टूबर 1947 में शुरू हुआ. कश्मीर में कबायली हमले के बाद यह जंग शुरू हुई. तब से आज तक कश्मीर पर दोनों देश अपना दावा करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M.Desfor
1965
दोनों पड़ोसियों के बीच दूसरी जंग 1965 में हुई. कश्मीर मुद्दे को लेकर शुरू हुई इस लड़ाई के दौरान भारत ने पंजाब का फ्रंट खोल दिया. भारतीय फौज पाकिस्तानी पंजाब में काफी अंदर तक दाखिल हो चुकी थी. उसके बाद युद्ध विराम हुआ.
तस्वीर: imago/United Archives International
1971
पश्चिमी पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान के लोकतांत्रिक जनविद्रोह को दबाने के लिए सेना का इस्तेमाल किया. भारतीय सेना ने जनविद्रोहियों का समर्थन किया. इस युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई और बांग्लादेश का जन्म हुआ.
तस्वीर: Journey/M. Alam
1999
दोस्ती और अमन की ऐतिहासिक कोशिशों के दौरान पाकिस्तान की सेना ने 1999 में भारतीय इलाके में घुसकर कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया. इसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तानी सेना को वापस भेजा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
2001
अक्टूबर 2001 में भारत प्रशासित कश्मीर की विधानसभा में आतंकी हमला हुआ, इसमें 38 लोग मारे गए. इस हमले के दो महीने बाद नई दिल्ली में भारतीय संसद पर भी इसी तरह का आतंकवादी हमला हुआ, जिसमें 14 लोगों की मौत हुई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/J. McConnico
2008
नवंबर 2008 में भारत में सबसे बड़ा आतंकवादी हमला हुआ. समंदर के रास्ते पाकिस्तान से भारत में दाखिल हुए आतंकवादियों के गुट ने मुंबई में रेलवे स्टेशन, रेस्तरां, फाइव स्टार होटल, यहूदी सेंटर को निशाना बनाया और 166 लोगों की जान ले ली.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. Tyagi
2016
जनवरी 2016 में भारतीय वायुसेना के पठानकोट एयरबेस पर आतंकवादी हमला हुआ. हमले में सात भारतीय सैनिकों और छह हमलावरों की मौत हुई.
तस्वीर: Reuters/M. Gupta
2016
भारत प्रशासित कश्मीर के उरी सेक्टर में भारतीय सेना के ठिकाने पर हमला हुआ. 19 भारतीय जवान मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Khan
2019
भारतीय कश्मीर के पुलवामा जिले में आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के कम से कम 40 जवान मारे गए
तस्वीर: IANS
2019
पुलवामा हमले के 12 दिन बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमले किए.
भारत के नीति निर्माताओं के सामने अब चीन बड़ी चुनौती है. चीन एशिया में ज्यादा ताकत लगाने के साथ ही पाकिस्तान को कश्मीर के मसले पर समर्थन दे रहा है. शिकागो यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र पढ़ाने वाले प्रोफेसर पॉल स्टानीलैंड का कहना है पाकिस्तान अब चीनी ताकत के सहयोगी के रूप में ज्यादा जटिल राजनीतिक भूमिका निभा रहा है. इससे उसे कुछ ताकत और असर मिला है."
भूराजनीतिक टकराव गहराने के सात ही कश्मीरी मोटे तौर पर खामोश हैं. उनकी नागरिक स्वतंत्रता पर पाबंदियां हैं क्योंकि भारत ने किसी भी तरह के विरोध के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति अपना रखी है.
दुनिया के फलक पर चीन की ताकत बढ़ने के कारण भारत, अमेरिका और नये भारत प्रशांत सहयोग संगठन क्वाड के नजदीक गया है. क्वाड में भारत, अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया और जापान भी है. ये देश चीन पर इलाके में आर्थिक दबदबा और सैन्य गतिविधियों के जरिये वस्तुस्थिति बदलने का आरोप लगाते हैं.
धारा 370 हटने के दो साल बाद कश्मीर
04:41
पूर्व राजनयिक कंवल सिब्बल कहते हैं, "हम जान गये हैं कि चीन की महत्वाकांक्षाओं को रोकने के लिए एक घेरा बनाने की जरूरत है और इसके लिये चीन के किसी भी आक्रामकता के खिलाफ सुरक्षा की एक नई दीवार बनाई जा रही है, क्वाड के केंद्र में यही है."
भारत के रणनीतिक विचारकों की चर्चा में अब क्वाड प्रमुख है. इसके साथ ही भारत ने चीन के साथ लगती सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास को तेज कर दिया है. दूसरी तरफ चीन क्वाड को अपने आर्थिक विकास और प्रभाव को रोकने की कोशिश के रूप में देखता है. सिबल ने कहा, "इस तरह से हमने चीन को यह संकेत दे दिया है कि हम तुम्हें रोकने के लिये दूसरों के साथ जुड़ने को तैयार हैं."