कश्मीर में लंबे समय से चल रहे जानलेवा संघर्ष के बीच एक और मुसीबत चुपचाप इलाके के निवासियों के जीवन पर गहरा असर डाल रही है. कश्मीर के बदलते स्वरूप के बीच बीते सालों में वहां इंसानों और वन्य पशुओं के बीच संघर्ष बढ़ गया है.
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आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच सालों में वादी में जंगली जानवरों के हमले में 67 लोग मारे गए हैं और 940 लोग घायल हो गए हैं. इस मुसीबत के केंद्र में है हिमालय का काला भालू. विशेषज्ञों का कहना है कि मृतकों और घायलों में से 80 प्रतिशत लोगों की हालत के लिए जिम्मेदार काले भालू ही हैं.
अगस्त में, मंजूर अहमद दर जब अपने सब्जियों के खेत में काम कर रहे थे तब वहां एक काला भालू उन पर टूट पड़ा. हमले में उनके सर पर गहरी चोट आई और वो अभी तक पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है. पिछले साल 50-वर्षीय खानाबदोश शौकत अहमद खताना ने श्रीनगर के बाहर ही हरवान इलाके में एक काले भालू के हमले से अपने छोटे भाई को बचाते बचाते अपनी जान गंवा दी थी. उनका भाई भी उस हमले में घायल हो गया था.
पहाड़ों और मैदानों के बीच बसे कश्मीर में जमीन के इस्तेमाल को लेकर काफी तेज बदलाव आए हैं. बड़े बड़े धान के खेतों को मुख्य रूप से सेब के बगीचों में बदल दिया गया है. दलदली जमीन और जंगलों के आस पास नए मोहल्ले बस गए हैं. वन-कटाई और जलवायु परिवर्तन ने परेशानियों को बढ़ा दिया है.
विशेषज्ञों का कहना है कि इस वजह से वन्य पशु भोजन और आश्रय की तलाश में इंसानी इलाकों की तरफ आ रहे हैं, जिससे हमलों की संख्या काफी बढ़ गई है. कश्मीर के प्रमुख वाइल्ड लाइफ वार्डेन राशीद नक्श कहते हैं, "जानवरों ने भी इस बदलाव के साथ मेल बिठा लिया है. और दिलचस्प बात यह है कि उन्हें अब बगीचों में और जंगलों की तलहटी में उन स्थानों पर आसानी से भोजन और आश्रय मिल जाता है जहां लोगों ने बस्तियां बसा ली हैं."
नकश ने बताया कि पहले काले भालू सर्दियों में अमूमन सीतनिद्रा में चले जाते थे, लेकिन अब वो "गहरी, कड़ी सर्दियों में भी सक्रिय रहते हैं और पूरे साल शिकार की तलाश में घूमते रहते हैं." यह संघर्ष इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि जानवरों की तस्करी के लगभग रुक जाने से वन्य जीवों की आबादी भी बढ़ी है. तस्करी के रुकने का कारण वादी के तनाव ग्रस्त हालात और जंगल में भारतीय सेना के जवानों की मौजूदगी है.
सेना के शिविरों के किचन से फेंका गया खाना भी भालुओं के लिए भोजन का आसान स्त्रोत है. पहाड़ी इलाके में इन पशुओं ने अपने रहने के प्राकृतिक स्थान भी खो दिए हैं क्योंकि अब वहां हजारों किलोमीटर तक कंटीली तारें बिछी हुई हैं जिनके इर्द गिर्द हजारों सैनिक गश्त लगाते हैं.
लंदन के नेचुरल हिस्ट्री संग्रहालय ने इस साल के बेहतरीन फोटोग्राफर के पुरस्कार की घोषणा की है. एक नजर प्रतियोगिता में शामिल की गई स्तब्ध कर देने वाली तस्वीरों पर.
तस्वीर: Sergey Gorshkov
आखरी डंक
भारतीय फोटोग्राफर रिपन बिस्वास द्वारा पश्चिम बंगाल के बक्सा टाइगर रिजर्व में ली गई एक तस्वीर. एक टाइगर बीटल उन चींटियों का शिकार कर रहा जो खुद छोटे कीड़ों का शिकार करने निकली हैं. रिपन बिस्वास को तस्वीर लेने के लिए नदी के सूखे तल पर रेत पर लेटना पड़ा.
तस्वीर: Ripan Biswas
फोटो खिंचवाने के लिए तैयार
बोर्नियो में प्रोबोसिस बंदरों के अभ्यारण्य में डेनमार्क के मोगेंस ट्रोल द्वारा ली गई तस्वीर. जैसा कि तस्वीर में दिख रहा है, इन बंदरों को सबसे अलग करने वाली विशेषता उनकी नाक है. ऐसा लग रहा है कि यह बंदर फोटो खिंचवाने के लिए ही इस मुद्रा में बैठ गया हो.
तस्वीर: Mogens Trolle
आग की नदी
इटली के माउंट एटना ज्वालामुखी से लावा इस तरह बह कर निकल रहा है जैसे लावा की कोई नदी हो. तस्वीर लेने के लिए फोटोग्राफर लूचियानो गुडेनजियो लावा उगलते ज्वालामुखी पर चढ़ गए, लेकिन उस तरफ से जिधर से लावा नहीं बह रहा था.
तस्वीर: Luciano Gaudenzio
दुर्लभ बिल्लियां
चीन के उत्तर-पश्चिमी इलाके में किन्शाई-तिब्बत पहाड़ी मैदान में खेलता दुर्लभ पलास बिल्लियों या मैनुल का एक परिवार. यह तस्वीर फोटोग्राफर शंयुआन ली की छह सालों की मेहनत का फल है.
तस्वीर: Shanyuan Li
नीला आसमां
कोलंबिया के एंडीज पर्वतों के पूर्वी छोर पर सबसे ऊंचे पर्वत ऋतिक उवा ब्लांको पर सफेद आर्निका के फूलों की तस्वीर. फोटोग्राफर गेब्रियल आइसनबैंड ने पाया कि सूर्यास्त के बाद वो जगह एक नीली रोशनी से भर गई थी लेकिन फूलों का पीला रंग अलग से चमक रहा था.
तस्वीर: Gabriel Eisenband
जीवन की निर्भरता
इंडोनेशिया के उत्तरी सुलावेसी के पास फोटोग्राफर सैम स्लॉस ने समुद्र के नीचे एक क्लाउनफिश की यह तस्वीर ली. इसमें वो हरे रंग के एनीमोन भी दिख रहे हैं जिनमें क्लाउनफिश अपना घर बनाते हैं. क्लाउनफिश के मुंह के अंदर है एक परजीवी जो मछली के जीभ का इतना खून चूस जाता है कि वो सूख कर गिर ही जाती है. फिर परजीवी जीभ की जगह ले लेता है.
तस्वीर: Sam Sloss
ऊंची चोटियों पर
भूमध्यसागर में इटली के एक सार्डिनियन टापू के एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक नर एलेओनोरा फाल्कन शिकार कर मादा के लिए खाना ला रहा है. फोटोग्राफर अल्बेर्तो फानतोनी ने देखा कि नर हर बार शिकार को मादा को बिना संघर्ष के देने से हिचक रहा था.
तस्वीर: Alberto Fantoni
आलिंगन
प्रथम पुरस्कार जीतने वाली यह तस्वीर रूस के सुदूर पूर्व में एक प्राचीन मंचूरियन फर पेड़ को जोर से पकड़े एक साइबीरियन बाघिन की है. शेरनी पेड़ की त्वचा पर अपने गालों को रगड़ कर उन पर अपनी गंध छोड़ रही है. फोटोग्राफर सेर्गेय गोर्शकोव ने पहली बार जनवरी 2019 में इस शेरनी के इलाके में कैमरा ट्रैप लगाया था, लेकिन यह तस्वीर जा कर मिली नवंबर में.