28 नवंबर को कश्मीर में स्थानीय चुनाव होने हैं, लेकिन अभी स्थिति काफी तनावपूर्ण बनी हुई है. केंद्र सरकार अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी भेज रही है और राज्य में पुलिस प्रत्याशियों को नामांकन भरने के बाद अपनी निगरानी में रख रही है.
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जिला विकास परिषदों के लिए होने वाले चुनावों के पहले चरण में 28 नवंबर को 10 जिलों में मतदान होगा, जहां कुल 167 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. दूसरे चरण के लिए 227 प्रत्याशी नामांकन भर चुके हैं. चुनावों के मद्देनजर सुरक्षा जरूरतों के लिए बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी जैसे अर्ध-सैनिक बलों से अतिरिक्त जवान घाटी में भेजे जा रहे हैं.
घाटी में आए दिन आतंकवादी घटनाएं हो रही हैं. गुरूवार सुबह भी नगरोटा में एक मुठभेड़ हुई जिसमें चार आतंकवादियों के मारे जाने और कम से कम एक सुरक्षाकर्मी के घायल होने की खबर आई है. मुठभेड़ के बाद जम्मू-श्रीनगर राज्यमार्ग को बंद कर दिया गया है. बुधवार को पुलवामा जिले में आतंकवादियों ने एक ग्रेनेड हमला किया जिसमें कम से कम 12 आम नागरिक घायल हो गए.
ये घटनाएं दर्शाती हैं कि कश्मीर में अभूतपूर्व संख्या में सुरक्षाकर्मियों के होने और सरकार के दावों के बावजूद वहां स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है. इन सब के बीच चुनावों का शांतिपूर्ण ढंग से आयोजन कैसे होगा, ये देखना होगा. पहले की तरह विपक्षी पार्टियां चुनावों का बहिष्कार नहीं कर रही हैं, लेकिन नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी जैसी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि उनके उम्मीदवारों को पुलिस कैंपेन नहीं करने दे रही है.
पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि जिन प्रत्याशियों ने पुलिस से सुरक्षा की मांग की है सिर्फ उन्हें ही सुरक्षा दी जा रही है. बीत कुछ महीनों में राज्य में कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है.
क्या विपक्ष एक 'गैंग' है?
इस बीच चुनावों के पहले घाटी में राजनीति भी गरमा रही है. विपक्षी पार्टियों के "गुपकार गठबंधन" को 'गैंग' कहने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना हो रही है. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती द्वारा विरोध जताए जाने के बाद अब कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज ने कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री जब इस तरह के बयान देते हैं तो उस से दुनिया में पूरे देश की छवि खराब होती है.
दो दिन पहले शाह ने ट्वीट करके कहा था कि 'गुपकार गैंग' विदेशी ताकतों से कश्मीर में हस्तक्षेप करवाना चाहता है और वो भारत के तिरंगे झंडे का भी तिरस्कार करता है.
नवंबर में कश्मीर में केसर की फसल होने लगती है. इसे दुनिया जाफरान के नाम से भी जानती है. खेती का मुख्य इलाका पुलवामा जिले में पंपोर है. पत्रकार गुलजार बट ने केसर के फूल चुनते किसानों को तस्वीरों में कैद किया है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
मसालों का राजा
जाफरान यानि केसर को मसालों का राजा माना जाता है. हालांकि कश्मीर में केसर की खेती तीन इलाकों में होती है लेकिन घाटी के पंपोर इलाके में सबसे ज्यादा फसल के कारण इसे कश्मीर का केसर टाउन कहा जाता है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
क्वालिटी केसर
पुलवामा जिले में सालाना 60-80 क्विंटल उच्च क्वालिटी के केसर की खेती होती है. किसानों के अनुसार अच्छी क्वालिटी के एक ग्राम केसर के लिए बाजार में 250 से 300 रुपये तक मिलता है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
परिवार की मदद
केसर के पौधों में जब फूल लग जाते हैं तो उन्हें तोड़ने के लिए खेतों में पूरा परिवार पहुंचता है और फूलों को इकट्ठा किया जाता है. बाद में इन्हीं फूलों से केसर के तार निकाले जाते हैं.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
सूखे की मार
इस साल उत्पादन कम हुआ है. इसकी वजह बरसात का कम होना है. किसानों का कहना है कि फसल कम होने की मुख्य वजह लंबे वक्त तक मौसम का सूखा रहना है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
ड्रिपिंग सिंचाई का फायदा नहीं
यूं तो इस इलाके में केसर के खेतों की सिंचाई के लिए सरकार ने ड्रिपिंग तकनीक शुरू की है. लेकिन किसानों का कहना है कि यह सुविधा बहुत देर से आई और इस साल उसका उतना फायदा नहीं हुआ.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
जीआई टैग
इस साल से कश्मीर के केसर को जीआई टैग भी मिला है जो उसे दूसरे उत्पादों से अलग करता है और दार्जिलिंग चाय की तरह खास बनाता है. लेकिन बहुत से छोटे किसानों का इसका फायदा मालूम नहीं.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
होगा फायदा
अक्सर कश्मीरी केसर के नाम पर कम क्वालिटी वाले केसर भी लोगों को बेच दिए जाते हैं. इसकी वजह से कश्मीरी केसर बदनाम हो रहा था. अब जीआई टैग मिल जाने से किसानों को माल बेचने में आसानी होगी.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
खेतों की सैर
अभी पंपोर का माहौल देश के दूसरे हिस्सों जैसा ही है जहां परिवार की लड़कियां भी फसल कटाने जाती हैं. ये कश्मीरी लड़कियां केसर के फूल जमा कर लौट रही हैं.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
काम के बाद आराम
केसर के फूलों को चुनने का काम आसान नहीं. क्रोकस के छोटे फूलों को झुककर खोंटने में कमर दुख जाती है. काम के बाद खेतों पर ही थोड़ा आराम अच्छा ही लगता है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
केसर वाले इलाके
कश्मीर के जिन दूसरे इलाकों में केसर होता है, वे हैं बड़गाम, श्रीनगर और डोडा. इस बार पंपोर के केसर पार्क में केसर की टेस्टिंग और पैकेजिंग होगी. अच्छी क्वालिटी के केसर को विदेशों में बेचने का लक्ष्य है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
सबसे महंगा मसाला
जाफरान दुनिया का सबसे महंगा मसाला है. इसकी वजह ये भी है कि यह कठोर परिश्रम से तैयार किया जाता है. पांच ग्राम जाफरान पाने में केसर के 800 फूलों की जरूरत होती है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
स्पेन में जाफरान
करीब 1000 साल से स्पेन में भी केसर की खेती होती है. ला मांचा के पठार में उपजाए जाने वाले स्पेनी केसर को अजाफरान दे ला मांचा कहते हैं. कंसुएगरा शहर में अक्तूबर के अंत में जाफरान महोत्सव मनाया जाता है.
तस्वीर: DW
ईरान में केसर
कहते हैं भारत में केसर ईरानी लोग लेकर आए थे. इसका श्रेय ईरान के सूफी संतों का जाता है. ईरान अभी भी केसर का मुख्य उत्पादक है जहां दुनिया के 90 फीसदी से ज्यादा केसर का उत्पादन होता है.
तस्वीर: Tasnim/M. Nesaei
और ये है केसर
और ये हैं केसर के धागे जो हम बाजार से खरीद कर लाते हैं. फूलों से ये धागे हाथ से एक एक कर निकाले जाते हैं. तभी तो इतना महंगा होता है जाफरान.