कश्मीर के बांदीपुर में आतंकवादियों ने बीजेपी के एक स्थानीय कार्यकर्ता को उसके पिता और भाई समेत मार डाला. उनकी सुरक्षा के लिए तैनात 10 पुलिसकर्मियों को हिरासत में ले लिया गया है.
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कश्मीर के बांदीपुरा में बुधवार शाम आतंकवादियों ने बीजेपी के एक स्थानीय कार्यकर्ता को पिता और उसके भाई समेत मार डाला. शेख वसीम बारी बांदीपुरा जिले के बीजेपी अध्यक्ष थे. तीनों पर हमला तब हुआ जब वे बांदीपुरा के मुस्लिमबाद इलाके में अपनी दुकान के बाहर बैठे हुए थे. दुकान के ठीक पीछे ही उनका घर भी है.
वसीम को संभवतः पहले से जान का खतरा था क्योंकि उनके साथ कश्मीर पुलिस की तरफ से आठ निजी सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे. हालांकि, आश्चर्य की बात यह है कि हमले के समय इनमें से एक भी सुरक्षाकर्मी वहां मौजूद नहीं था. बताया जा रहा है कि वसीम के पिता बशीर अहमद और भाई उमर बशीर भी बीजेपी से जुड़े हुए थे और उन्हें भी निजी सुरक्षाकर्मी मिले हुए थे. ये सुरक्षाकर्मी भी हमले के समय वहां मौजूद नहीं थे.
सुरक्षाकर्मियों की तरफ से इसे कार्य की उपेक्षा का गंभीर मामला मानते हुए कश्मीर पुलिस ने कुल 10 सुरक्षाकर्मियों को हिरासत में ले लिया है.
जानकारों का कहना है कि शेख वसीम वादी में और विशेष रूप से बांदीपुरा जिले में बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण शख्सियत थे. वो पार्टी के साथ अपने संबंधों को बड़े गर्व से दिखाते थे, जब कि कश्मीर में लोग अपने अपने राजनीतिक संबंधों को लेकर इतने मुखर नहीं रहते हैं. शायद इसीलिए उन्हें निजी सुरक्षा कर्मचारी भी मिले हुए थे, जबकि पूरे कश्मीर में चुने हुए सरपंचों के बार बार सरकार से गुहार लगाने के बाद भी सुरक्षाकर्मी नहीं मिले हैं.
श्रीनगर में वरिष्ठ पत्रकार जफर इकबाल ने डीडब्ल्यू को बताया कि सुरक्षाकर्मियों का हिरासत में लिए जाना एक अभूतपूर्व घटना है. उन्होंने बताया की सुरक्षा में चूक की वारदात वादी में पहले भी हुई हैं लेकिन उसके लिए पुलिसकर्मियों के खिलाफ इतनी सख्त कार्रवाई कभी नहीं हुई.
बीजेपी के लिए शेख वसीम की अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उनकी हत्या हो जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके परिवार के सदस्यों से फोन पर बात की और हत्या पर शोक जताया.
कश्मीर में बीजेपी की नीति तय करने वाले बड़े नेताओं में से एक राम माधव ने ट्विटर और फेसबुक पर वसीम के नाम शोक भरा संदेश दिया और वसीम की कई तस्वीरें और वीडियो भी साझा किए.
इस हमले की विपक्षी पार्टियों ने भी निंदा की है. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तीनों की हत्या पर खेद व्यक्त करते हुए ट्वीट कर कहा कि बहुत दुख की बात है कि वादी में राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बना कर मार देने का सिलसिला लगातार चल रहा है.
जून में अनंतनाग जिले में बीजेपी से जुड़े सरपंच अजय पंडित की भी आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी, जिसके बाद कश्मीर में कई सरपंचों ने मीडिया को बताया था कि उन सबकी जान खतरे में है, लेकिन प्रशासन उनकी सुरक्षा के लिए कोई भी कदम नहीं उठा रहा है. गांदरबल जिले में सरपंच नजीर अहमद राणा ने डीडब्ल्यू को बताया था कि पिछले चार सालों में 10 सरपंचों और पंचायत सदस्यों की हत्या हो चुकी है और अभी भी सभी सरपंचों को लगातार धमकियां मिल रही हैं.
कहानी पुलित्जर जीतने वाले भारतीय फोटो पत्रकारों की
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के तीन भारतीय फोटोग्राफरों ने प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार जीता है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाबंदियों के बीच उन्होंने आखिर कैसे खींची और भेजीं तस्वीरें?
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Khan
"चूहा-बिल्ली" का खेल
"ये हमेशा चूहा-बिल्ली का खेल था" - एसोसिएटेड प्रेस के फोटोग्राफर डार यासीन ने अगस्त 2019 में कश्मीर में लागू हुई तालाबंदी की कहानियों को तस्वीरों में कैद करने के तजुर्बे को कुछ यूं बयान किया है. यासीन और उनके दो और सहयोगियों मुख्तार खान और चन्नी आनंद को इस दौरान जम्मू और कश्मीर में खींची गई तस्वीरों के लिए 2020 के फीचर फोटोग्राफी के पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया है. देखिये इनमें से कुछ तस्वीरें.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Dar Yasin
घोषणा
अगस्त में जम्मू में एक इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की दुकान पर टीवी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुनते लोग. 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म कर उसे दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. कश्मीर तब से एक तरह के लॉकडाउन में है जिसके तहत वहां के नागरिकों पर कई कड़े प्रतिबंध लागू हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP/C. Anand
विरोध
अगस्त में श्रीनगर में कर्फ्यू के बीच अर्धसैनिक बल के जवानों पर दूर से पत्थर फेंकता एक प्रदर्शनकारी. श्रीनगर में एपी के फोटोग्राफर मुख्तार खान और यासीन डार को प्रदर्शनकारियों और सेना के जवानों दोनों का ही अविश्वास झेलना पड़ता था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Yasin
पहरा
अगस्त में श्रीनगर में कंटीली तारों से बंद एक सुनसान सड़क पर पहरा देता एक सुरक्षाकर्मी. श्रीनगर में खान और यासीन कई बार कई दिनों तक घर नहीं लौट पाते थे और अपने परिवारों तक अपनी खबर भी नहीं पहुंचा पाते थे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Yasin
बंदूकें और बूट
पिछले साल अगस्त में श्रीनगर में तालाबंदी के दौरान ड्यूटी पर तैनात दो सुरक्षाकर्मी. खान और यासीन अपनी खींची हुई तस्वीरें दिल्ली ऑफिस तक पहुंचाने के लिए एयरपोर्ट पर अनजान यात्रियों से अपील करते थे. कुछ यात्री डर कर अपील ठुकरा देते थे तो कुछ मान लेते थे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Dar Yasin
नमाज
अगस्त 2019 में जम्मू में मस्जिद में ईद पर नमाज अदा करते हुए लोग. आनंद जम्मू में काम करते हैं और कहते हैं कि पुरस्कार से वो अवाक रह गए. वे बीस साल से एपी के लिए काम कर रहे हैं.
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ये कैसी ईद
अगस्त 2019 में ईद पर जम्मू में सुरक्षाबलों की भारी तैनाती के बीच अपने रास्ते पर जाता एक मुस्लिम व्यक्ति. एपी के अध्यक्ष गैरी प्रुइट ने कहा कि इस टीम की बदौलत ही दुनिया कश्मीर में आजादी की लंबी लड़ाई में हुई एक नाटकीय तेजी देख पाई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Anand
वापसी
अगस्त में प्रवासी श्रमिक जम्मू और कश्मीर को छोड़ अपने अपने घर जाने के लिए जम्मू रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में बैठे हुए. कर्फ्यू और फोन और इंटरनेट के बंद होने के बावजूद ये तस्वीरें एपी के इन फोटोग्राफरों ने खींचीं और किसी तरह भेजीं.
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पुलिस
सितंबर 2019 में श्रीनगर में शिया प्रदर्शनकारियों पर डंडे चलाता एक पुलिसकर्मी. एपी के फोटोग्राफरों ने कभी अंजान लोगों के घर में छिप कर तो कभी कैमरों को सब्जियों के थैलों में छिपा कर तस्वीरें खींची.
तस्वीर: picture-alliance/AP/M. Khan
बंदूकों के साए में
नवंबर में श्रीनगर में एक बाजार में हुए एक विस्फोट के स्थल की जांच करता हुआ एक सुरक्षाकर्मी. यासीन कहते हैं कि उनके काम का उनके लिए पेशे-संबंधी और व्यक्तिगत दोनों मतलब है. वे कहते हैं इन तस्वीरों में सिर्फ दूसरों की नहीं बल्कि उनकी खुद की भी कहानी है.