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कश्मीर में भारतीय सेना पर गंभीर आरोप

७ दिसम्बर २०१२

भारतीय हिस्से वाले कश्मीर में सेना के दो जनरलों सहित कई बड़े अफसरों पर पद का गलत उपयोग और मानवाधिकार के खिलाफ काम करने के आरोप लगे हैं. सूचना के अधिकार के तहत हासिल जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ.

तस्वीर: picture-alliance/Photoshot

दो सामाजिक संगठनों ने लगभग 354 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है. इसमें सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों पर आरोप के साथ गुमशुदगी, हत्या और उत्पीड़न के मामले भी उजागर किए गए हैं.

भारतीय हिस्से वाले कश्मीर में पिछले दो दशक से हालात खराब हैं. वहां अलगाववादियों के संगठन काम कर रहे हैं, जो भारत से अलग होना चाहते हैं. इस वजह से भारत सरकार ने वहां भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात कर रखे हैं.

ताजा रिपोर्ट से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की छवि पर धब्बा लगा है. इसमें सैकड़ों हत्या के मामलों के अलावा गुमशुदगी के 65, उत्पीड़न के 59 और बलात्कार के ऐसे नौ मामलों का जिक्र है, जिनमें सुरक्षाकर्मी शामिल हैं. इसमें 1990 से 2011 के बीच के मामलों का जिक्र है.

तस्वीर: UNI

कश्मीर में ही जारी की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है, "नाम सामने आने के बाद उस पर्दे को हटाने की कोशिश की गई है, जिसकी वजह से ये बातें गुप्त रह जाती हैं. यह बात हैरान करने वाली है कि राज्य सरकार के पास दस्तावेज हैं, जिनमें सेना और पुलिस के लोगों के खिलाफ सबूत हैं."

भारतीय सेना आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट के तहत कार्रवाई करती है. 1990 में यह खतरनाक कानून लागू हुआ, जिसके तहत चरमपंथ पर काबू पाने के लिए कई कानूनी ढाल बनाए गए और संदिग्धों को मार गिराने के अलावा उनकी संपत्ति जब्त करने का भी प्रावधान है.

भारतीय प्रशासित कश्मीर में मानवाधिकार के अंतरराष्ट्रीय प्राधिकरण (आईटीपीके) और गुमशुदा लोगों के अभिभावक संघ (एपीडीपी) ने मिल कर रिपोर्ट जारी की है. आईटीपीके के गौतम नवलखा का कहना है, "यह रिपोर्ट तो सिर्फ बानगी भर है. अभी तो पिछले 22 साल के मामलों में बहुत कुछ उजागर होना बाकी है."

तस्वीर: AP

जिन मामलों का जिक्र किया गया है, उनमें भारतीय सेना के 235 जवानों सहित 500 आरोपी हैं. भारतीय अर्धसैनिक बल के 123, पुलिस के 111 अधिकारी और 31 सरकारी अधिकारी शामिल हैं. इसमें दो जनरल, तीन ब्रिगेडियर और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के नाम हैं.

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार अधिकारियों ने बार बार कहा है कि कश्मीर में समस्या है. उन्होंने सरकार से आपात कानून को हटाने और स्थिति में सुधार को देखते हुए लचीला रुख अपनाने की मांग की है. हाल के सालों में कश्मीर में हालात बहुत सुधरे हैं और हिंसा बहुत कम हो गई है लेकिन खतरनाक कानून को हटाया नहीं गया है.

पिछले साल एक स्थानीय मानवाधिकार संगठन ने एक सामूहिक कब्र का पता लगाया था, जहां 2000 अज्ञात लोग दफनाए गए हैं. संगठन का दावा है कि ये वे लोग हैं, जिन्हें गिरफ्तार किया गया और बाद में वे लापता हो गए.

भारत की आजादी के बाद से ही कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का सबसे बड़ा मसला रहा है. 1947 में यह भी दो हिस्सों में बंट गया. एक हिस्सा खुद को आजाद कश्मीर कहता है, जो पाकिस्तान की देख रेख में चलता है. दूसरे हिस्से में भारत का कानून चलता है. लेकिन यह खुद को आजाद या कम से कम स्वायत्त करने की मांग करता आया है.

एजेए/आईबी (एएफपी)

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