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कश्मीर से अलग हो कर खुश है लद्दाख

७ अगस्त २०१९

लद्दाख के बौद्ध इलाके में जम्मू कश्मीर से अलग होकर केंद्र शासित राज्य बनने की खुशी है. लोगों को उम्मीद है कि यह बदलाव इलाके में पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही हिमालय के पश्चिमी इलाके में चीन के बढ़ते असर को भी रोकेगा.

Reise nach Indien -  Ladakh
तस्वीर: Eesha Kheny

लद्दाख एक सूखा, पहाड़ी इलाका है जिसका क्षेत्रफल करीब 59,146 वर्ग किलोमीटर है. इसका ज्यादातर हिस्सा इंसानों के रहने लायक नहीं, यहां की कुल आबादी करीब 2,74,000 है. जम्मू कश्मीर का बाकी हिस्सा 169,090 वर्ग किलोमीटर में फैला है और उसकी आबादी 1.22 करोड़ है.

चीन और भारत की आपसी सीमा करीब 3500 किलोमीटर लंबी है और दोनों देश एक दूसरे के बड़े इलाकों पर अपना दावा करते हैं. 2017 में दोनों देशों के बीच डोकलाम में करीब 2 महीने तक सीमा विवाद के कारण तनातनी बनी रही. मुंबई के थिंक टैंक गेटवे हाउस में इंटरनेशनल सिक्योरिटी स्टडीज के फेलो समीर पाटिल कहते हैं, "भारत ने जो यह कदम उठाया है...उसे इस तरीके से भी देखा जा सकता है कि भारत इलाके में चीन के बढ़ते असर को रोकना चाहता है."

फाइलतस्वीर: Eesha Kheny

चीन ने भारत सरकार के जम्मू कश्मीर पर नए फैसले की आलोचना की है. मंगलवार को चीन ने बयान जारी कर कहा कि यह फैसला स्वीकार्य नहीं है और चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता को कमजोर करता है. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक बयान में कहा है कि भारत सीमा पर पश्चिम में भारत की तरफ जिस इलाके को भारत ने अपना बताया है उसे चीन अपना मानता है और इस कदम को चुनौती देगा. हुआ चुनयिंग का कहना है, "भारत के अपने घरेलू कानून में एकतरफा संशोधन चीन की इलाकाई संप्रभुता को नुकसान पहुंचा रहा है. यह स्वीकार नहीं किया जा सकता."

चीनी प्रवक्ता के बयान के जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि लद्दाख के बारे में लिया गया फैसला भारत का आंतरिक मामला है. भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने चीन का नाम लिए बगैर कहा, "भारत दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देता और दूसरे देशों से भी यही उम्मीद रखता है."

तस्वीर: Eesha Kheny

गेटवे हाउस के समीर पाटिल ने बताया कि उन्होंने लद्दाख के कई भिक्षुओं से बातचीत की है. इन भिक्षुओं ने बताया है कि चीन समर्थित भिक्षु बौद्ध मठों को दान और कर्ज दे रहे हैं ताकि इस इलाके में अपना असर बढ़ा सकें.

हमारी किस्मत हमारे हाथ

लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने का फैसला कर भारत सरकार ने यहां के नेताओं की दशकों पुरानी मांग पूरी कर दी है. लद्दाख के स्थानीय लोग लंबे समय से चली आ रही उपेक्षा और अनदेखी से तंग आ चुके थे. कश्मीर घाटी में दशकों से चल रही अलगाववादी गतिविधियों और उन्हें रोकने की सेना की कोशिशों के बीच लद्दाख पीसता रहा है.

स्थानीय नेताओं और विश्लेषकों को इस बदलाव के बाद कश्मीर के साए से निकलने की उम्मीद है जो पाकिस्तान के साथ भी विवाद की वजह रहा है. इसके साथ ही इलाके में सरकार की तरफ से ज्यादा धन मिलने का भी रास्ता खुलेगा. सैलानियों को लुभाने के लिए सड़कों और पुलों के निर्माण की यहां बड़ी जरूरत है.

फाइलतस्वीर: Eesha Kheny

लद्दाख में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता त्सेरिंग सामफेल का कहना है, "हम कश्मीर से अलग हो कर बेहद खुश हैं. अब हम अपनी किस्मत के खुद मालिक हो सकते हैं." इसके साथ ही सामफेल ने कहा कि जम्मू और कश्मीर की वजह से इस इलाके का महत्व घट गया था. सांस्कृतिक रूप से भी यह कश्मीर से बिल्कुल अलग है. सोमवार को लद्दाख के लेह शहर में बीजेपी के कार्यकर्ता सड़कों पर नाच रहे थे और मिठाइयां बांट रहे थे.

लद्दाख का शासन अब दिल्ली से नियुक्त लेफ्टिनेंट गवर्नर के हाथ में होगा और इस तरह से केंद्र सरकार अब इलाके में बड़ी भूमिका निभाएगी. हालांकि लद्दाख के पास विधानसभा नहीं होगी और स्थानीय लोगों को इस बात का थोड़ा दुख भी है. 71 साल के सामफेल ने कहा, "उम्मीद है कि हम लोगों को वह भी धीरे धीरे मिल जाएगा." सामफेल का कहना है कि स्थानीय नेता केंद्र सरकार के सामने यह मांग उठाएंगे.

लद्दाख की अर्थव्यवस्था पारंपरिक रूप से कृषि पर आधारित है. इसे यहां के प्राचीन मठों को देखने और ऊंचे ऊंचे पहाड़ों पर ट्रेकिंग के लिए आने वाले सैलानियों से भी बड़ा फायदा होता है.

जेन लद्दाख होटल के जेनरल मैनेजर पी सी ठाकुर को उम्मीद है कि जम्मू और कश्मीर से अलग होना सैलानियों को लद्दाख की ओर आकर्षित करेगा. उनका अनुमान है कि होटलों में रुकने वाले लोगों की तादाद "कम से कम 7 फीसदी बढ़ जाएगी."

एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स)

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