आपका लक्ष्य मैराथन पूरा करना हो, टेनिस का खेल या फिर जिम में कसरत कर उसके बढ़िया परिणाम हासिल करना, खेल या कसरत के समय आपकी रफ्तार पर निर्भर करता है कि उसका असर कितना होगा.
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अक्सर लोगों को शिकायत होती है कि कई दिनों तक कसरत करने के बावजूद उन्हें मेहनत का असर नजर नहीं आ रहा. इसका मतलब है कि आपकी मेहनत सही तरीके से शरीर पर काम नहीं कर रही. एक और आम समस्या है जल्दी थक जाना. कसरत के दौरान रफ्तार पर ध्यान रखना बहुत जरूरी है. इससे आपकी बोरियत तो दूर होती ही है साथ ही शरीर की थकान उतरती है. शरीर और दिमाग के बीच साम्य स्थापित होता है, और हर रोज पहले के मुकाबले और ज्यादा मेहनत करने की क्षमता बढ़ती है.
शारीरिक श्रम पर 'पेसिंग: इंडिविजुअल स्ट्रैटेजीस फॉर ऑप्टिमल परफॉर्मेंस' किताब के लेखक डॉक्टर केविन जी थॉम्पसन मानते हैं कि व्यायाम का परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि लोग अपने शरीर और दिमाग को इसके लिए कैसे तैयार करते हैं, वे इस बारे में नहीं जानते कि उन्हें किस गति से कसरत करनी चीहिए.
उन्होंने कहा, "जब तक किसी एथलीट को न पता हो कि उसके लिए सही गति क्या है तो वह प्रदर्शन सुधारने के लिए सही ट्रेनिंग कैसे कर सकता है." थॉम्पसन ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ कैनबेरा में रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर स्पोर्ट्स एंड एक्सरसाइज के निदेशक हैं. उनकी किताब में खेलकूद और व्यायाम के लिए सही गति के बारे में बातें कही गई हैं.
उन्होंने बताया कि मैराथन में शुरुआती स्तर के धावकों की गलती यह होती है कि वे शुरुआत ही तेज रफ्तार से करते हैं. इससे आपके शरीर और मस्तिष्क के बीच दीवार खड़ी हो जाती है. आपका शरीर कहता है कि आप बहुत तेज एक्सरसाइज कर रहे हैं, और दिमाग कहता है कि अभी बहुत लंबी दौड़ तय करनी है. अमेरिकी फिटनेस चेन क्रंच में प्रोग्रामिंग की उपनिदेशक डोना सायरस कहती हैं, "45 से 60 मिनट की क्लास में लोग एक मध्यम स्तर की गति से शुरुआत करते हैं. इसके बाद धीरे धीरे उनकी गति बढ़ाकर सबसे अधिक तक ले जाई जाती है. फिर गति को कम कर वापस नीचे लाया जाता है ताकि दिल की धड़कन अपनी सामान्य अवस्था में लौट सके." इसके अलावा इंटरवल ट्रेनिंग भी होती है जिसमें कठोर कसरत और शरीर को आराम देने के बीच संतुलन बिठाना सिखाया जाता है.
गति को बनाए रखने में मानसिक स्थिति का भी बड़ा हाथ होता है. थॉम्पसन के मुताबिक एक पेशेवर धावक और सामान्य व्यायाम करने वाले के बीच यही अंतर होता है. जिस व्यक्ति की गति को लेकर सही ट्रेनिंग नहीं है, वह लंबी दौड़ में जल्दी थक जाता है और दौड़ खत्म होते होते निढाल हो जाता है.
एसएफ/आईबी (रॉयटर्स)
काम करें, सुंदर बनें
क्या घर का काम करने से सुंदरता का कोई रिश्ता है. अगर गौर करें, तो बिलकुल है. खाने और कसरत के साथ साथ नियमित रूप से घर का काम किया जाए, तो भी अच्छी फिगर पाई जा सकती है. यहां हैं कुछ नुस्खे.
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कैसे मिले यह फिगर
वक्त के साथ सुंदरता और फिटनेस की परिभाषा भी बदलती है. पहले गोलमटोल और जरा ज्यादा तंदुरुस्त लोगों को फिट माना जाता था. अब सुंदरता की परिभाषा है कि आप पर कोई भी कपड़ा फिट हो, आप हर पोशाक में अच्छे दिखें.
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वक्त कितना है
अगर आपके पास अथाह समय है, तब तो ठीक है. आप जिम जाकर घंटों कसरत कर सकते हैं. लेकिन अगर आप कहीं काम करते हैं और फिर घर आकर खाना भी पकाना हो, तो बात नहीं बनेगी. फिर तो दूसरे उपाय हैं.
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जमीन साफ करें
जी हां, पोंछा लगाने से पेट का अभ्यास होता है. वहां की चर्बी जलती है. और अच्छे फिगर की शुरुआत तो पेट से ही होती है. चाहे अच्छा खाने की बात हो या फिर कम चर्बी वाले पेट की. पोंछा लगाना कमर के लिए भी फायदेमंद है.
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खिड़कियों की सफाई
बाजू की मांसपेशियों के लिए खिड़कियों की सफाई वाकई फायदेमंद होती है. इसमें बाजू को ऊपर नीचे करने की प्रक्रिया में इसमें जमा चर्बी भी घटती है. उम्र बढ़ने पर इसका फायदा नजर आता है. इसे "आर्म जिमनास्टिक" भी कहते हैं.
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खाना पकाइए
घुटनों और जोड़ों के लिए खाना पकाना भी एक व्यायाम है. इससे घुटने मजबूत होते हैं और पांवों की खुद ब खुद कसरत हो जाती है. और फिर मनचाहा स्वादिष्ट खाना तो मिलता ही है.
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मशीनों की सफाई
मानव मशीन की सबसे बड़ी समस्या पेट होती है. अगर पेट को सेहतमंद रखा जाए, तो शरीर बहुत हद तक काबू में रहता है. मशीनों की सफाई से ऐसा हो सकता है. आप भी सेहतमंद और मशीन भी चुस्त दुरुस्त.
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कारों की सफाई
यूं तो कार साफ करने वाली ऑटोमेटिक मशीनें हैं. लेकिन अगर जरा खुद से मेहनत करें, तो संतुष्टि भी होगी और पैसे भी बचेंगे. और सबसे बड़ा फायदा कि शरीर के अलग अलग हिस्से हरकत में रहेंगे.
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बागबानी
अगर ताजा फूल, फल या सब्जी चाहिए, तो बागबानी में हाथ आजमाइए. कसरत तो होगी ही, प्रकृति के साथ रह कर दिमागी तंदुरुस्ती भी बनी रहेगी.
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शहर के बाहर बाग
जिन लोगों के घर शहर के बीचों बीच है और उनके पास गार्डेन नहीं, वे शहर के बाहर किराए पर बाग ले सकते हैं. जर्मनी में इसका खूब चलन बढ़ रहा है. लोग वहां सिर्फ बागबानी के लिए जाते हैं.
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परंपरा से
पुराने जमाने के चूल्हों के सामने खाना पकाना भी अच्छी कसरत है. दक्षिण एशिया के लोगों के लिए तो यह आम बात है. और अगर आप नजर दौड़ाएं, तो गांवों में इसकी वजह से औरतें तंदुरुस्त भी रहती हैं.
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आराम और काम
बाथिंग टब को साफ करना आसान काम नहीं. अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं. लेकिन अगर आप इसे झुक झुक कर साफ करेंगे, तो कमर मजबूत बनेगी और फिर आराम का भी तो मौका मिलेगा.
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घर पर काम, सेहत का नाम
तो अगली बार घर के काम को काम समझ कर मत कीजिए. सोचिए कि यह आपके लिए व्यायाम है.