कसाब की किस्मत का फैसला 3 मई को
३१ मार्च २०१०अभियोजन पक्ष ने पूरे मुकदमे में कुल 653 गवाहों के जरिए यह साबित करने की कोशिश की कि कसाब और उसके नौ अन्य साथी पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करते थे, जो 26 नवंबर 2008 को कराची से मुंबई आए. उन्होंने होटल ताज और ओबरॉय समेत कई जगहों को निशाना बनाया, जिसमें कुल 166 लोग मारे गए. अभियोजन पक्ष ने कसाब के लिए मौत की सज़ा की मांग की है. इस मामले में दो भारतीय भी आरोपी हैं.
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बुधवार को जज एमएल तहलियानी ने कहा, "तो अब मेरा काम शुरू होता है. 3 मई को इस मामले में फैसला सुनाया जाएगा." मामले की आखिरी सुनवाई के दौरान कसाब सफेद रंग की पारंपरिक लंबी कमीज पहने हुए था, जो उसके जन्मस्थान पाकिस्तानी पंजाब की थी.
पुलिस ने इस मामले में पिछले साल 26 फरवरी को चार्जशीट दाखिल की थी और 9 मार्च 2009 को यह मामला मजिस्ट्रेट कोर्ट से सेशन कोर्ट को सौंप दिया गया. सुनवाई के लिए बेहद कड़ी सुरक्षा वाली मुंबई सेंट्रल जेल में अलग से अदालत बनाई गई. मामले में 30 चश्मदीदों समेत 653 गवाहों की पेशी के बाद निकम ने इसी महीने दलीलें पेश करनी शुरू कीं. उन्होंने कहा कि इस बात के भरपूर सबूत मौजूद हैं कि मुंबई पर हुए हमले में पाकिस्तान का सुरक्षा तंत्र भी शामिल था.
इस मामले में कई बार दिलचस्प मोड़ आए. कभी कसाब ने खुद को दोषी बताते हुए फांसी की मांग की, तो कभी कहा कि पुलिस उसे फंसा रही है. कभी राखी बंधवाने की उसकी इच्छा मीडिया में चर्चा का विषय बनी, तो कभी उसने कहा कि वह बॉलीवुड में करियर बनाना चाहता है. खैर मामले की सुनवाई अब पूरी हो गई है, और कसाब का क्या होगा, जानने के लिए 3 मई का इंतजार करना होगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः महेश झा