कसाब की मांग, फिर से हो पूरी सुनवाई
२६ नवम्बर २०१०
कसाब ने यह भी इल्जाम लगाया कि उसके लिए वकील तय करते वक्त नियमों को पालन नहीं किया गया. कसाब के वकील अमीन सोलकर ने 26/11 के मुकदमे को अन्यायपूर्ण बताते हुए दलील दी कि मैजिस्ट्रेट के सामने कसाब का कुबूलनामा दर्ज करने से पहले गैरजरूरी देरी की गई इसलिए इस कबूलनामे पर यकीन नहीं किया जा सकता.
सोलकर ने कहा, "मुकदमे में हुई देरी की कोई सफाई नहीं दी गई. यह घातक साबित हुआ है." हाई कोर्ट में कसाब को दी गई मौत की सजा के खिलाफ सुनवाई हाल ही में शुरू हुई है और गुरुवार को उसके वकीलों ने पहली बार अपना पक्ष पेश किया.
23 साल के कसाब को 27 नवंबर 2008 को मुंबई में गिरफ्तार किया गया था. उसके इकबाले जुर्म को 21 फरवरी 2009 को दर्ज किया गया. मुंबई हमलों के दौरान पकड़ा गया वह एकमात्र आतंकवादी है. बाकी नौ आतंकवादी इस हमले के दौरान मारे गए थे. इन आतंकवादियों ने 166 लोगों की हत्या कर दी थी.
कसाब के वकील अमीन सोलकर की दलील है कि बयान दर्ज होने में हुई देरी इस बात की आशंका पैदा करती है कि उसके बीच में कोई हिस्सा बाद में जोड़ा गया हो. सोलकर ने बेस्ट बेकरी मामले का उदाहरण पेश किया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया था क्योंकि कई अहम गवाहों से सवाल जवाब नहीं हुए थे. उन्होंने कहा कि पुलिस ने कई लोगों की गवाही दर्ज नहीं की जबकि इन लोगों ने आतंकियों को हमले के दिन से पहले ही देखने का दावा किया था. यह दावा पुलिस की उस बात को गलत साबित करता है कि हमलावर एक नाव के जरिए पाकिस्तान से आए.
सोलकर ने कहा कि अनीता उदाइया नाम की महिला ने सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए दो आतंकियों के शवों की पहचान की थी. हालांकि कोर्ट में उसकी गवाही नहीं हुई.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः महेश झा