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कसाब को फांसी पर लटकाया गया

२१ नवम्बर २०१२

मुंबई पर 26 नवंबर के हमले के दौरान जिंदा पकड़े गये आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को फांसी दे दी गई. अजमल को पुणे की यरवडा जेल में बुधवार सुबह फांसी पर उसकी मौत होने तक लटकाया गया. किसी को इस बात की कानोंकान खबर नहीं दी गई.

तस्वीर: AP

पांच दिन बाद ही मुंबई हमलों की चौथी बरसी है. 26 नवंबर 2008 को अजमल कसाब समेत 10 आतंकवादियों ने 166 लोगों की जान ली थी और तीन दिन तक पूरा शहर एक तरह से बंधक बना रहा. भारत का कहना है कि आतंकवादी पाकिस्तान से आए और हमलों के दौरान पाकिस्तान में बैठे उनके आका उन्हें सेटेलाइट फोन पर निर्देश दे रहे थे. इस सिलसिले में पाकिस्तान में भी मुकदमा चल रहा है. इस वजह से भारत पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव आया और अभी तक रिश्ते पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाए है.

अजमल कसाब को ट्रायल कोर्ट ने मुंबई पर हमलों का दोषी माना और उसे फांसी की सजा सुनाई. बाद में इस सजा पर बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी. कसाब की तरफ से महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की गई. महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय ने तो पहले ही इसे खारिज कर दिया लेकिन राष्ट्रपति के पास यह याचिका लंबे समय तक अटकी पड़ी रही. बाद में राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय से इस पर राय मांगी. गृह मंत्रालय ने भी दया की याचिका ठुकराने पर सहमति दी. इसी महीने की पांच तारीख को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कसाब की दया याचिका को नामंजूर कर दिया.

अजमल कसाब को चार दिन पहले फांसी देने की बात बताई गई. दो दिन पहले उसे मुंबई की आर्थर रोड जेल से निकाल कर पुणे की यरवडा जेल लाया गया. महाराष्ट्र में यरवडा के अलावा सिर्फ एक और जेल में फांसी की सजा देने का इंतजाम है. इससे पहले कसाब से पूछा गया कि क्या वह पाकिस्तान में अपने घरवालों से संपर्क करना चाहता है या सरकार से कोई अपील तो उसने इससे इनकार कर दिया. फांसी देने के बाद फिलहाल उसे यरवडा की जेल में ही दफन किया गया है. पाकिस्तान सरकार को कसाब की मौत के बारे में आधिकारिक रूप से जानकारी दे दी गई है. सरकार को पाकिस्तान की तरफ से किसी शव के लिए दावे का इंतजार है. अगर पाकिस्तान की तरफ से शव के लिए कोई दावा नहीं किया जाता तो अधिकारी मौजूदा प्रक्रियाओं का पालन करेंगे. भारत में 2004 के बाद पहली बार किसी को फांसी पर लटकाया गया है. यरवडा की जेल के आस पास सुरक्षा के इंतजाम सख्त कर दिए गए हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

कसाब को फांसी दिए जाने के तुरंत बाद गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा, "उन सभी पुलिस अधिकारियों और जवानों को जिन्होंने आतंकवाद से लड़ाई में अपनी जान गंवाई आज न्याय मिल गया है." इस मामले में मुंबई पुलिस की तरफ से जिरह करने वाले सरकारी वकील उज्जवल निकम ने कहा है, "यह देश के लिए बड़ी जीत है. कसाब को फांसी देकर हमने उन पुलिसवालों और निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि दे दी है जिन्होंने अपनी जान गंवाई."

कसाब को मुंबई की छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था. हमले के दौरान अकेले इस जगह पर 60 लोगों की मौत हुई थी. कसाब ने लोगों की भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चलाई थी. बाद में उसे हवालदार तुकाराम ओम्बले ने पकड़ लिया हालांकि इस दौरान हुई झड़प में वह शहीद हो गए. गिरफ्तार करने के बाद कसाब को मुंबई की आर्थर रोड जेल के खास बुलेटप्रूफ सेल में रखा गया था. इस खास सेल को बनाने पुरे पांच करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च किये गए. इसके अलावा कसाब की सुरक्षा में आईटीबीपी के 300 से ज्यादा कमांडो का दस्ता तैनात था और इतने सालों में कई सौ करोड़ रुपये उसे सुरक्षित रखने में खर्च हुए. कसाब को फांसी में देरी से लोगों का गुस्सा बढ़ रहा था और सरकार पर काफी ज्यादा दबाव था. 

एनआर/एएम(रॉयटर्स, पीटीआई)

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