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कस्टम एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई और अंतरराष्ट्रीय मौके

३० मार्च २०११

मलावी, लेसोथो, स्वाजीलैंड और मॉरीशियस के कस्टम अधिकारी आखिर जर्मनी में क्या कर रहे हैं. म्युंस्टर में पढ़ाई. मास्टर डिग्री की पढ़ाई कस्टम्स एडमिनिस्ट्रेशन करने कस्टम्स में तरराष्ट्रीय कानूनों के बारे में पता चलता है.

तस्वीर: AP

इसमें कस्टम्स के संबंधित कानून, मैनेजमेंट और मालवाही जहाजों की सुरक्षा के बारे में बताया जाता है. यूरोपीय देशों में बाजार का लगभग पूरी तरह एकीकरण हो गया है और कस्टम्स की बात देशों के बीच नहीं आती. लेकिन दुनिया के कई देशों में जहाज कई हफ्तों तक कस्टम्स क्लीयरेंस का इंतजार करते हैं. इससे भ्रष्टाचार भी बढ़ता है. इसे परेशानी को सुलझाने में कस्टम्स अधिकारी एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में एक तरह के मानकों से इस प्रक्रिया में सुधार होगा और इसलिए कस्टम्स की पढ़ाई इस क्षेत्र में अपना योगदान देना चाहती है.

मॉरीशियस की जयश्री बाई राम को जर्मनी में बहुत ठंड लग रही है. मौरीशियस का गर्म मौसम उन्हें याद आ रहा है और वहां तापमान औसतन 30 डिग्री रहता है. म्युंसर में जयश्री हीटर चला कर रखती हैं. मॉरीशियस में उन्होंने स्कूल खत्म किया और 29 साल की उम्र में पहली बार विदेश यात्रा कर रही हैं. जयश्री ने मैनेजमेंट और वाणिज्य में डिग्री हासिल की है और अब आगे पढ़ रही हैं. कस्टम्स में नौकरी करना उनके कैरियर योजना का हिस्सा नहीं था. ''मैं बिलकुल नहीं करना चाहती थी. मैंने पहले प्रशासन में काम किया और फिर कस्टम्स में आने का फैसला लिया क्योंकि मॉरीशियस में कस्टम्स अधिकारी सारे पुरुष हैं, महिलाएं बहुत कम हैं और इसलिए मैं यहां आना चाहती थी. क्योंकि जब लोग आपको यूनिफॉर्म में देखते हैं तो वे आपका सम्मान करने लगते हैं.''

मॉरीशियस में ज्यादातर महिलाएं शादी और बच्चों के बारे में सोचती हैं लेकिन जयश्री ने एक करियर को अपनाने का फैसला लिया. कहती हैं, ''हर किसी को एक करियर चाहिए, एक बेहतर जीवन के लिए. और इसलिए मेरे लिए एक बड़ा मौका था. मॉरीशियस में कोई विश्वविद्यालय नहीं है जहां इस तरह की पढ़ाई की जाती हो.''

जयश्री अपने देश के भविष्य में विश्वास रखती हैं. उन्होंने रिस्क मैनेजमेंट की पढ़ाई की है, यानी कंपनियों में धोखाधड़ी से बचने की पढ़ाई. इस में कंपनी के लिए रणनीतियां बनाई जाती हैं जिससे मिसाल के तौर पर गैर कानूनी व्यापार से बचा जा सके, या फिर आयात किए गए सामान को किस तरह तोला जाए और किस तरह उसपर कस्टम शुल्क लगाए जाएं. मॉरीशियस जैसे देशों के लिए कस्टम्स से मिल रहे पैसे देश की आय का बड़ा हिस्सा हैं. जयश्री का कहना है कि उनके देश में अब परिवर्तन हो रहा है और रिस्क मैनेजमेंट को एक अलग विभाग बनाया जाएगा. उनका कहना है कि देश में लोगों को इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. वे बस जानते हैं कि इसके लिए किस तरह की सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होगा. इसलिए जयश्री जर्मनी में यह सब सीखना चाहती हैं.

म्युंस्टर में छात्रों को कस्टम्स की राजनीति के बारे में बताया जाता है, कानून के बारे में और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के बारे में. प्रोफेसर दुनिया भर से पढ़ाने आते हैं. वाणिज्य पढ़ा रहे आखिम रोगमान का कहना है कि उन्हें विदेशी छात्रों की मेहनत और लगन को देखकर अच्छा लगता है. ''मैं कहना चाहूंगा कि जो छात्र अपने घरेलू वातावरण में पढ़ते हैं, उनके मुकाबले अफ्रीका के छात्र काफी मेहनती हैं. और चूंकि यह बैचलर के बाद का कोर्स है, छात्रों को अपने काम के बारे में पता हैं और उन्हें पता है कि इस पढ़ाई की क्या चुनौतियां हैं और उसके बाद क्या फायदे हैं.''

जयश्री भी अपनी पढ़ाई से यही उम्मीद रखती हैं. उनका सपना है कि वह देश विदेश में काम करें, और उन सब देशों में जहां काम करने का उन्होंने सपना देखा हो. वहां वह बहुत कुछ सीख भी पांएगी.

जयश्री के सपने के बारे में प्रोफेसर रोगमान कहते हैं कि इसके साकार होने के आसार अच्छे हैं. उनका कहना है कि पढ़ाई के बाद कई छात्रों ने उन्हें ईमेल के जरिए लिखा है कि उन्होंने अपने करियर में अच्छा किया. ऐसी पढ़ाई कर के कई लोग ब्रसेल्स में अंतरराष्ट्रीय कस्टम्स संगठन में काम करते हैं और बाकी संगठनों में भी बड़ी जिम्मेदारियों वाली नौकरियां हासिल करते हैं.

लेकिन सपनों में खोकर जयश्री पढ़ाई को बिगाड़ना नहीं चाहतीं. जब कोई लेक्चर नहीं होता, तब भी वह अपनी किताबों में डूबी रहती हैं. कहती हैं कि वह शहर में शॉपिंग भी करना नहीं पसंद करती क्योंकि उन्हें पढ़ाई करनी है, उनके पास इस सब के लिए वक्त नहीं.

रिपोर्ट: मानसी गोपालकृष्णन

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

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