मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में ऐसे कई कैंप और शिविर चल रहे हैं जहां बड़ी संख्या में अल्पसंख्यकों को बंदी बना कर रखा गया है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि चीन को अब इससे इनकार करने की जगह यह साफ करना चाहिए कि आखिर दस लाख मुस्लिम आबादी कहां गायब हो गई.
आलोचकों के मुताबिक चीन सरकार का यह रुख देश में अलगावादी भावनाओं को हवा दे सकता है. इस रिपोर्ट में कई सौ ऐसे लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं जो इन कैंपों में रह रहे थे. देश में पहले ही उइगुर मुसलमानों समेत अन्य अल्पसंख्यकों पर तरह-तरह के नियम कायदे लदे हुए हैं. उइगुर मुसलमान देश में न तो सार्वजनिक रूप से नमाज पढ़ सकते हैं और न ही धार्मिक लिबास पहन सकते हैं.
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि चीन ने निगरानी के नाम पर लाखों मुसलमानों को शिविरों में कैद कर दिया है. इनमें से कई का अपराध यह था कि उन्होंने देश के बाहर अपने परिवार वालों से संपर्क किया और कुछ तो सिर्फ इसलिए पकड़े गए क्योंकि उन्होंने सोशल मीडिया पर इस्लामिक त्योहार से जुड़े पोस्ट शेयर किए.
क्या चीन "हुई मुसलमानों" को दबा रहा है?
एमनेस्टी इंटरनेशनल के पूर्व एशिया विभाग के निदेशक निकोलस बेक्वेलिन ने इस बारे में कहा, "अल्पसंख्यकों के खिलाफ उठाए गए इस कदम ने हजारों परिवारों को अलग कर दिया है." उन्होंने बताया, "लोग जानना चाहते हैं कि उनके परिवार वाले कहां हैं और उनके साथ क्या हुआ. अब समय आ गया है कि चीन प्रशासन इन सवालों के जवाब दे."
हालांकि चीन सरकार ऐसे शिविरों और कैंपों की मौजूदगी से इनकार करती रही है लेकिन सरकारी दस्तावेज और शिविरों से भागे लोगों के बयान सरकार के खिलाफ जा रहे हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस रिपोर्ट में कई पूर्व कैदियों से बातचीत का ब्योरा दिया है. इसमें बंदियों ने कहा है कि उन्हें बेड़ियों में जकड़कर रखा जाता था, यातनाएं दी जाती थीं और राजनीतिक गीत गाने के साथ-साथ कम्युनिस्ट पार्टी के बारे में जानने को भी कहा जाता था.
ये सारे बयान और सबूत पिछले सालों में विदेशी पत्रकारों और मानवाधिकार समूहों ने दर्ज किए थे. अब एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दुनिया भर की सरकारों से इस मामले में दखल देने की अपील की है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पोए ने उइगुर मुसलमानों के साथ किए जा रहे इस दुर्व्यवहार की निंदा की है. चीन में लंबे समय से उइगुर मुस्लिम समुदाय सरकार और सेना के निशाने पर रहा है.
चीन में रहने वाले उइगुर मुसलमान न तो दाढ़ी रख सकते हैं और न ही धार्मिक कपड़े पहन सकते हैं. चीन सरकार के नए नियमों के मुताबिक उन पर कई बंदिशें लगाई गई हैं. चलिए जानते हैं कौन हैं उइगुर लोग.
तस्वीर: Reuters/T. Peterउइगुर चीन में रहने वाला एक जातीय अल्पसंख्यक समुदाय है. ये लोग सांस्कृतिक रूप से खुद को चीन के मुकाबले मध्य एशियाई देशों के ज्यादा करीब पाते हैं. मुख्यतः चीन के शिनचियांग प्रांत में रहने वाले उइगुर लोग न तो सार्वजनिक रूप से नमाज पढ़ सकते हैं और न ही धार्मिक कपड़े पहन सकते हैं.
तस्वीर: Reuters/T. Peterनए सरकारी नियमों के मुताबिक मस्जिद में जाने के लिए व्यक्ति को कम से 18 साल का होना चाहिए. इसके अलावा अगर कोई सार्वजनिक जगह पर धार्मिक उपदेश देता दिखा तो पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई करेगी. इसके अलावा धार्मिक रीति रिवाज से शादी और अंतिम संस्कार को भी धार्मिक कट्टरपंथ से जोड़कर देखा जा रहा है.
तस्वीर: Reuters/T. Peterउइगुर लोग शिनचियांग में सदियों से रह रहे हैं. 20वीं सदी की शुरुआत में उन्होंने अपने इलाके को पूर्वी तुर्केस्तान नाम देते हुए आजादी की घोषणा की थी. लेकिन 1949 में माओ त्सेतुंग ने ताकत के साथ वहां चीनी शासन लागू कर दिया. उसके बाद से चीन और उइगुर लोगों के संबंध संदेह और अविश्वास का शिकार हैं.
तस्वीर: Reuters/T. Peterशिनचियांग पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए चीन की सरकार ने देश के अन्य हिस्सों से हान चीनियों को वहां ले जाकर बसाया है. 1949 में शिनचियांग में हान आबादी सिर्फ छह प्रतिशत थी जो 2010 में बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई. शिनचियांग के उत्तरी हिस्से में उइगुर लोग अल्पसंख्यक हो गए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. W. Youngचीन में उइगुर अकेला मुस्लिम समुदाय नहीं है. हुई मुस्लिम समुदाय को भाषा और सांस्कृतिक लिहाज से हान चीनियों के ज्यादा नजदीक माना जाता है. उन्हें अधिकार भी ज्यादा मिले हुए हैं. अपनी मस्जिदें और मदरसे बनाने के लिए उन्हें चीन की सरकार से मदद भी मिलती है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Wongशिनचियांग की आजादी के लिए लड़ने वाले गुटों में सबसे अहम नाम ईस्ट तुर्केस्तान इस्लामिक मूवमेंट का है. इसके अलावा तुर्केस्तान इस्लामिक पार्टी भी है जिस पर अल कायदा से संबंध रखने के आरोप लगते हैं. इस गुट को शिनचियांग में हुए कई धमाकों के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है.
तस्वीर: Getty Imagesशिनचियांग क्षेत्रफल के हिसाब से चीन का सबसे बड़ा प्रांत हैं और यह इलाका प्राकृतिक संसाधनों से मालामाल है. कभी सिल्क रूट का हिस्सा रहे इस इलाके में चीन बड़ा निवेश कर रहा है. लेकिन उइगुर लोग चीन की चमक दमक और समृद्धि के दायरे से बाहर दिखाई देते हैं.
तस्वीर: Reuters/T. Peterहाल के बरसों में शिनचियांग में उइगुर और हान चीनियों के बीच असमानता बढ़ी है. वहां हो रहे तेज विकास के कारण चीन भर से शिक्षित और योग्य हान चीनी पहुंच रहे हैं. उन्हें अच्छी नौकरियां और अच्छे वेतन मिल रहे हैं. वहीं उइगुर लोगों के लिए उतने मौके उलब्ध नहीं हैं.
(रिपोर्ट: रिज्की नुग्रहा/एके)
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