पूर्वी अलेप्पो के विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके से लोगों को निकाले जाने की प्रक्रिया शुक्रवार को रोक दी गई. निकाले गए करीब 8,000 लोगों के लिए पड़ोसी देश तुर्की अपनी सीमा के पास शरणार्थी कैंप लगाएगा.
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गुरुवार से पूर्वी अलेप्पो के विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके से करीब 8,000 लोगों को बाहर निकाला जा चुका है. इनमें विद्रोही लड़ाके और आम नागरिक दोनों शामिल हैं. यह निकासी रूस और तुर्की की अगुआई में हुए समझौते के तहत करायी गई है. इसी के साथ सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की सीरियाई सेना का लगभग पूरे अलेप्पो पर कब्जा हो गया है.
सीरिया की सीमा के भीतर ही दो ऐसी जगहों की पहचान की गई है जहां करीब 80,000 लोगों के रहने की व्यवस्था की जाएगी. तुर्की के वरिष्ठ अधिकारियों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए इसकी पुष्टि की है. तुर्की के एक सहायता संगठन आईएचएच के अधिकारी ने बताया, "बहुत जल्द ही कैंप के इस ढांचे को खड़ा करने का काम शुरू होने वाला है." इस कैंप की स्थापना तुर्की की रेड क्रेसेंट, आपदा प्रबंधन एजेंसी एएफएडी और आईएचएच संयुक्त रूप से करेगी.
आईएचएच के अधिकारी ने बताया कि अलेप्पो से निकाले गए ज्यादातर लोगों को अब तक सीरिया के इदलिब प्रांत में रहने वाले उनके रिश्तेदारों और जानकारों के पास शरण मिली है. अभी भी ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है जिनके पास कहीं और जाने का कोई दूसरा ठिकाना नहीं है.
सीरिया संकट की एबीसी
दुनिया भर में शरणार्थियों के मुद्दे ने उथल पुथल मचा रखी है. लेकिन अगर आप भी यह सोच कर हैरान हैं कि रातों रात ये लाखों शरणार्थी आए कहां से, तो पढ़िए..
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कैसे हुई शुरुआत?
रातों रात कुछ भी नहीं हुआ. सीरिया में पिछले पांच साल से गृहयुद्ध चल रहा है. मार्च 2011 में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए. चार महीनों के अंदर शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुके थे. यह वही समय था जब कई देशों में अरब क्रांति शुरू हुई.
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क्या हैं आंकड़े?
उस समय सीरिया की आबादी 2.3 करोड़ थी. इस बीच करीब 40 लाख लोग देश छोड़ चुके हैं, 80 लाख देश में ही विस्थापित हुए हैं और दो लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. ये आधिकारिक आंकड़े हैं. असल संख्या इससे काफी ज्यादा हो सकती है.
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कहां है सीरिया?
पश्चिमी एशिया के देश सीरिया के एक तरफ इराक है, दूसरी तरफ तुर्की. इसके अलावा लेबनान, जॉर्डन और इस्राएल भी पड़ोसी हैं. सीरिया की तरह इराक में भी संकट है. दोनों ही देशों में कट्टरपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट ने तबाही मचाई है.
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पड़ोसियों ने क्या किया?
इस वक्त तुर्की में सीरिया से आए 18 लाख शरणार्थी हैं, लेबनान में 12 लाख, जॉर्डन में करीब 7 लाख और इराक में ढाई लाख. लेबनान, जिसकी आबादी 45 लाख है, वहां चार में से हर एक व्यक्ति सीरिया का है. इराक पहुंचने वालों के लिए आगे कुआं पीछे खाई की स्थिति है.
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इस्राएल का क्या?
सीरिया के साथ इस्राएल की भी सरहद लगी है पर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध ना होने के कारण इस्राएल ने एक भी शरणार्थी नहीं लिया है और कहा है कि भविष्य में भी नहीं लेगा.
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यूरोप ही क्यों?
संयुक्त राष्ट्र के जेनेवा कन्वेंशन में 'शरणार्थी' को परिभाषित किया गया है. यूरोपीय संघ के सभी 28 देश इस संधि के तहत शरणार्थियों की मदद करने के लिए बाध्य हैं. यही कारण है कि लोग यूरोप में शरण की आस ले कर आ रहे हैं.
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क्या है रास्ता?
सीरिया से यूरोप का रास्ता छोटा नहीं है. अधिकतर लोग पहले तुर्की, वहां से बुल्गारिया, फिर सर्बिया, हंगरी और फिर ऑस्ट्रिया से होते हुए जर्मनी पहुंचते हैं. इसके आगे डेनमार्क और फिर स्वीडन भी जाते हैं. कई लोग समुद्र का रास्ता ले कर तुर्की से ग्रीस और फिर इटली के जरिए यूरोप की मुख्य भूमि में प्रवेश करते हैं.
अब आगे क्या?
यूरोपीय आयोग के प्रमुख जाँ क्लोद युंकर का कहना है कि यूरोप को हर हाल में 1,60,000 शरणार्थियों के लिए जगह बनानी होगी. उन्होंने एक सूची जारी की है जिसके अनुसार शरणार्थियों को यूरोप के सभी देशों में बांटा जा सकेगा. हालांकि बहुत से देश इसके खिलाफ हैं.
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तुर्की के अस्पतालों में अलेप्पो से निकाले गए करीब 55 घायल और बीमार लोग रखे गए हैं. तुर्की स्वास्थ्य मंत्रालय के इमरजेंसी रिस्पॉन्स डिवीजन के प्रमुख हसन आयदिनलिक ने पत्रकारों को बताया इनमें से एक की अस्पताल में पहुंच कर मौत हो गई जबकि तीन लोग गंभीर अवस्था में हैं. तुर्की में पहले से ही करीब 27 लाख सीरियाई शरणार्थी रह रहे हैं. जापान में पत्रकारों से बातचीत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वे तुर्की राष्ट्रपति के साथ सीरिया शांति वार्ता की नई श्रृंखला शुरु करने वाले हैं. इसका लक्ष्य पूरे सीरिया में युद्धविराम की स्थापना होगा.
2011 से जारी गृहयुद्ध में अलेप्पो सीरियाई सरकार और विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके में बंटा हुआ था. लेकिन बीते एक महीने में रूस जैसे शक्तिशाली सहयोगी की मदद से सीरियाई सरकार ने अलेप्पो में बहुत तेजी से अपनी बढ़त बना ली और विद्रोहियों से इलाके को खाली करा लिया.
तुर्की की 10 दिलचस्प बातें
रिपब्लिक ऑफ तुर्की, जी हां, 1923 से तुर्की का यही असली नाम है और इसकी राजधानी विश्वप्रसिद्ध इस्तांबुल नहीं, बल्कि अंकारा है. समुद्री किनारों और चहल पहल भरे बाजारों के अलावा समृद्ध इतिहास वाले तुर्की के कुछ मजेदार तथ्य.
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कल्पना का घोड़ा: ट्रोजन हॉर्स
ट्रॉय के पुरातात्विक स्थल के प्रवेश द्वार पर रखी लकड़ी के घोड़े की एक शानदार प्रतिकृति. तुर्की के कुछ पुरातत्व विज्ञानियों ने दावा किया था कि उन्हें ऐतिहासिक ट्रॉय शहर में खुदाई के दौरान बड़ी लकड़ी की संरचना मिली जो ट्रोजन हॉर्स हो सकता है. कई इतिहासकार इसे केवल एक मिथक का हिस्सा मानते हैं.
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दो विश्व अजूबे
दुनिया के 7 प्राचीन अजूबों में शामिल इफेसस और हेलिकार्नासुस तुर्की में ही हैं. माना जाता है कि इफेसस के दक्षिण में स्थित एक घर में खुद वर्जिन मेरी रही थीं. प्राचीन शहर हेलिकार्नासुस में राजा मुसोलस का मकबरा विश्व अजूबा माना गया.
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असली सांता क्लॉज
दुनिया भर में सांता क्लॉज के नाम से मशहूर संत का असली नाम सेंट निकोलस था. उनका जन्म तुर्की के पटारा में हुआ माना जाता है. बाद में वे तुर्की में भूमध्यसागर के तट पर बसे शहर डेमरी के बिशप बने.
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दो महाद्वीपों की कड़ी
दुनिया भर में केवल इस्तांबुल ही एक ऐसा शहर है जो दो महाद्वीपों में बसा है. वैसे तुर्की का केवल 3 प्रतिशत हिस्सा ही यूरोप में और बाकी एशिया में है. 2010 में यूरोपीय संघ ने इस्तांबुल को यूरोपियन कैपिटल ऑफ कल्चर घोषित किया था.
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नीदरलैंड्स के नहीं थे ट्यूलिप
इतिहासकारों ने पाया है कि 16वीं सदी में तुर्की के व्यापारियों ने ही सबसे पहले डच लोगों को ट्यूलिप के फूलों से परिचित करवाया. आधुनिक समय में ट्यूलिप का पर्याय बन चुके नीदरलैंड्स के मशहूर कोएकेनहोफ बागीचे में ईरान, तुर्की, बुल्गारिया के ट्यूलिप पहली बार 1954 में बोए गए.
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कॉफी का यूरोप से परिचय
15वीं सदी में तुर्की के रास्ते ही यूरोप में कॉफी आई. तुर्की के तत्कालीन ओटोमन साम्राज्य ने सबसे पहले कॉफी के बीजों से इतावली लोगों को परिचित कराया. फिर इटली से इसकी लोकप्रियता दूसरे यूरोपीय देशों में फैली.
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हेजलनट का दबदबा
आज तमाम चॉकलेट, केक और मिठाइयों में इस्तेमाल होने वाले मेवे हेजलनट का करीब 80 फीसदी केवल तुर्की से ही निर्यात होता है. मेवों से बनने वाली बकलावा जैसी कई तुर्क मिठाइयां आज विश्व भर में पसंद की जाती हैं.
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नाम के अनुरूप- ग्रैंड
इस मशहूर बाजार में 64 गलियां, करीब 4,000 दुकाने और 25,000 से भी ज्यादा लोग काम करते हैं. ग्रैंड बाजार दुनिया के सबसे विशाल और सबसे पुराने ढके हुए बाजारों में एक है. हर साल दुनिया भर से लाखों पर्यटक इन बाजारों का रूख करते हैं.
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धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक
तुर्की मुस्लिम बहुल होकर भी लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर चलता है. 1923 में आजादी की लड़ाई के बाद से यह रिपब्लिक ऑफ तुर्की बना और साथ ही देश में इन सेकुलर और डेमोक्रेटिक प्रक्रियाएं लागू हुईं.
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महिला अधिकारों में अव्वल
जून 2015 में 25वें आम चुनावों में अपना वोट देती तुर्क महिला. 1750 ईसा पूर्व से 1190 के बीच तुर्की में प्रभावशाली हितितीज ने शासन किया, जो महिला और पुरुष अधिकारों में समानता के पक्षधर थे. आधुनिक काल में भी, अमेरिका या किसी भी यूरोपीय देश से पहले तुर्की में ही महिलाओं को मत का अधिकार मिला था.
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शुक्रवार को अचानक सहायता एजेंसियों और लोगों को लेने पहुंची बसों को वापस लौटाया जाने लगा. सीरियाई सरकार की ओर से आई जानकारी के अनुसार एक क्रॉसिंग प्वाइंट के पास अलेप्पो से लोगों को निकाल कर ले जा रहे काफिले पर विद्रोहियों के गोलीबारी करने के कारण निकासी को रोकने का आदेश आया. अभी तक साफ नहीं हो सका है कि यह रोक कब तक चलेगी. पूर्वी अलेप्पो से सभी लोगों को निकाले जाने में अभी कई दिन लग सकते हैं.
सीरिया में विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रतिनिधि एलिजाबेथ हॉफ ने पश्चिमी अलेप्पो से जेनेवा मुख्यालय को बताया, "मुझे मिली जानकारी के अनुसार (ऑपरेशन को रोकने का) आदेश रूस की ओर से आया, जो कि यहां कि स्थिति की निगरानी कर रहे हैं."
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 194 मरीजों को पश्चिमी अलेप्पो के पहले से ही भरे हुए अस्पतालों में पहुंचाया गया. बाकी को इदलिब और तुरकी भेजा गया. हॉफ ने बताया कि युद्ध की चपेट में आने से घायल हुए लोगों को ज्यादातर मस्तिष्क में आघात और आंखों की चोट की शिकायत है जबकि कई लोग डायबिटीज जैसे बीमारियों से ग्रसित पाए गए हैं.