कांग्रेस की पहली लिस्ट में कितने दागी उम्मीदवार हैं?
ऋषभ कुमार शर्मा
८ मार्च २०१९
लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में गुजरात और यूपी के 15 टिकट दिए गए हैं. चार टिकट गुजरात से हैं और 11 टिकट उत्तर प्रदेश से हैं.
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यूपी में कांग्रेस का एसपी-बीएसपी के साथ गठबंधन होने की उम्मीद है. ऐसे में ये वो 11 सीटें होंगी जहां कांग्रेस अपने प्रत्याशी उतारेगी. कौन हैं ये 15 लोग जिन्हें सबसे पहले कांग्रेस का टिकट मिला है.
राजू परमार, अहमदाबाद पश्चिम (सुरक्षित SC)
1988 से राजनीति में सक्रिय हैं. अप्रैल 1988 में पहली बार राज्यसभा के सदस्य बने. कभी लोकसभा नहीं पहुंचे हैं. 1988, 1994 और 2000 तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे हैं. विवेकानंद आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज से बीए किया हुआ है. आखिरी पोस्टिंग के तौर पर 2010 में राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग के सदस्य रहे थे.
भरतसिंह सोलंकी, आणंद
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री माधवसिंह सोलंकी के बेटे हैं. 1995 में पहली बार विधायक बने और लगातार तीन बार विधायक रहे. 2004 और 2009 में आणंद सीट से लोकसभा सांसद रहे हैं. 2015 से 2018 तक गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं. सिविल इंजिनियरिंग में ग्रेजुएशन किया हुआ है. गुजरात में कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं.
प्रशांत पटेल, वडोदरा
वडोदरा सीट पर कांग्रेस ने अपने शहर अध्यक्ष प्रशांत पटेल को टिकट दिया है. प्रशांत पेशे से डॉक्टर हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ वडोदरा से मास्टर्स की पढ़ाई की है. यूनिवर्सिटी के समय से राजनीति में सक्रिय रहे हैं. फिलहाल राहुल की युवा टीम का हिस्सा बने हुए हैं. पिछली बार नरेंद्र मोदी इस सीट से भी चुनाव लड़े थे लेकिन बाद में बनारस से सांसद रहे और यहां से इस्तीफा दे दिया था.
कितने राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, जानिए
कितने राज्यों में है कांग्रेस की सरकार
आम चुनाव से पहले तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मिली कामयाबी ने कांग्रेस में नई जान फूंकी है. चलिए डालते हैं एक अब कितने राज्यों में कांग्रेस सत्ता में है.
तस्वीर: Sanjay Kanojia/AFP/Getty Images
राजस्थान
आम चुनाव से चंद महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस ने राजस्थान की सत्ता में वापसी की और पार्टी ने राज्य की कमान अनुभवी अशोक गहलोत के हाथों में सौंपी.
तस्वीर: Imago
मध्य प्रदेश
विधानसभा चुनाव के नतीजों ने मध्य प्रदेश से भी कांग्रेस को अच्छी खबर दी है. राज्य में लंबे समय तक गुटबाजी का शिकार रही कांग्रेस ने इस बार एकजुट होकर चुनाव लड़ा और नतीजे उसके पक्ष में गए और कमलनाथ ने सीएम की कुर्सी संभाली.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times/M. Faruqui
छत्तीसगढ़
नक्सली हिंसा से प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया है और पिछले 15 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे रमन सिंह की सत्ता से विदाई तय हो गई.
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पंजाब
कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब में कांग्रेस सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने राज्य में दस साल से राज कर रहे अकाली-बीजेपी गठबंधन को सत्ता से बाहर किया.
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पुडुचेरी
केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में भी इस समय कांग्रेस की सरकार है जिसका नेतृत्व वी नारायणसामी (फोटो में दाएं) कर रहे हैं. 2016 में वहां चुनाव हुए और तीस सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 17 सदस्य पहुंचे.
तस्वीर: Reuters
बड़ी चुनौती
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह कैसे पार्टी के आधार को मजबूत करें. हालिया विधानसभा चुनावों में कामयाबी से वह गदगद हैं, लेकिन आने वाले आम चुनाव उनकी सबसे बड़ी परीक्षा हैं.
तस्वीर: IANS
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रंजीत मोहनसिंह राठवा, छोटा उदयपुर (आरक्षित एसटी)
आदिवासी बेल्ट की इस सीट पर कांग्रेस ने अपने पुराने कद्दावर नेता मोहनसिंह राठवा के बेटे रंजीत को टिकट दिया है. मोहनसिंह राठवा 1972 से 11 बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं. वो बस एक बार 2002 में हारे थे. पिछली गुजरात विधानसभा में वो नेता प्रतिपक्ष रहे हैं. मोहनसिंह ने 2017 विधानसभा चुनाव में कहा था कि ये उनका आखिरी चुनाव है. ऐसे में अब वो लोकसभा से अपने बेटे को राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं.
इमरान मसूद, सहारनपुर
पूर्व कांग्रेस नेता राशिद मसूद के भतीजे हैं. 2014 में भी इसी सीट से चुनाव लड़े. नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने की वजह से चुनावों के बीच जेल हो गई थी. राहुल गांधी के करीबी बताए जाते हैं. 2007 में मुजफ्फराबाद से विधायक रहे हैं. 2012 और 2017 में नाकुर सीट से विधायक का चुनाव भी हार गए थे. प्रियंका गांधी के महासचिव बनाए जाने के बाद से मसूद बहुत सक्रिय हैं. फिलहाल यूपी में कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं.
सलीम इकबाल शेरवानी, बदायूं
सलीम पांच बार बदायूं सीट से सांसद रह चुके हैं. साथ ही केंद्र सरकार में दो बार राज्यमंत्री भी रह चुके हैं. सलीम इलाहाबाद के एक अमीर पठान परिवार से आते हैं. पहले ये इंदिरा और राजीव गांधी के करीबी थे लेकिन 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद कांग्रेस छोड़ समाजवादी पार्टी में चले गए थे. 2009 में समाजवादी पार्टी ने बदांयू से मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र को टिकट देने के लिए इनका टिकट काट दिया तो वापस कांग्रेस में आ गए. पर जीत नहीं पाए. अब कांग्रेस के टिकट पर फिर मैदान में हैं.
जितिन प्रसाद, धौरहरा
जितिन प्रसाद टीम राहुल के प्रमुख चेहरे हैं. जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद और दादा ज्योति प्रसाद भी राजनीति में सक्रिय थे. जितिन ने दून स्कूल से स्कूली पढ़ाई की. इसके बाद दिल्ली के श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन और दिल्ली से ही एमबीए किया. 2004 में अपने गृहनगर शाहजहांपुर से पहली बार सांसद बने. 2009 धौरहरा से सांसद बने. 2014 में लोकसभा और 2017 में विधानसभा चुनाव हार गए.
अन्नू टंडन, उन्नाव
अन्नू टंडन एक बिजनेस परिवार से ताल्लुक रखती हैं. इनके मुकेश अंबानी के साथ घनिष्ट पारिवारिक संबंध हैं. अन्नू के पति संदीप ने मुकेश अंबानी के साथ काम किया था. अब इनके दोनों बेटे रिलायंस के साथ काम कर रहे हैं. अन्नू 2009 में उन्नाव से सांसद रह चुकी हैं. 2014 में वो हार गई थीं. 2012 में अरविंद केजरीवाल ने अन्नू टंडन का स्विस बैंक में खाता होने की बात कही थी. 2015 में एचएसबीसी बैंक से लीक हुई प्राइवेट खाता धारकों की लिस्ट में अन्नू टंडन का नाम था.
सोनिया गांधी, रायबरेली
सोनिया गांधी साल 2017 तक कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष थीं. फिलहाल यूपीए की चेयरपर्सन हैं. एक बार अमेठी और चार बार से रायबरेली से सांसद हैं. ये सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. इस बार इस सीट से सोनिया की जगह उनकी बेटी प्रियंका के चुनाव लड़ने का अनुमान था लेकिन सोनिया खुद फिर से मैदान में उतरी हैं.
ऐसी हैं प्रियंका गांधी
आखिरकार प्रियंका गांधी ने राजनीति में सक्रिय रूप से कूदने का फैसला कर ही लिया. लोग उनमें इंदिरा गांधी की झलक ढूंढते हैं. जानिए प्रियंका की जिंदगी से जुड़े कुछ अहम तथ्य.
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बचपन
प्रियंका गांधी का जन्म 12 जनवरी 1972 को दिल्ली में हुआ. अपने 47वें जन्मदिन के करीब दस दिन बाद उन्होंने राजनीति में उतरने की घोषणा की.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
शिक्षा
प्रियंका ने स्कूली शिक्षा दिल्ली के मशहूर मॉडर्न स्कूल से प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के जीसस एंड मेरी कॉलेज से साइकॉलोजी में डिग्री हासिल की.
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परिवार
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कुछ वक्त के लिए प्रियंका को स्कूल छोड़ना पड़ा था और घर में ही उनकी शिक्षा हुई. प्रियंका राहुल से करीब दो साल छोटी हैं.
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बौद्ध धर्म
कम ही लोग जानते हैं कि प्रियंका ने बुद्धिस्ट स्टडीज यानी बौद्ध अध्ययन में एमए किया है. यह डिग्री उन्होंने 2010 में हासिल की. प्रियंका खुद भी बौद्ध धर्म का पालन करती हैं.
तस्वीर: Reuters/P. Kumar
शादी
18 फरवरी 1997 को प्रियंका ने अपने बचपन के दोस्त रॉबर्ट वाड्रा से शादी की. रॉबर्ट दिल्ली के जाने माने बिजनसमैन हैं और पिछले कुछ सालों से उनका नाम लगातार किसी ना किसी घोटाले से जुड़ता रहा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Raveendran
बच्चे
प्रियंका और रॉबर्ट वाड्रा के दो बच्चे हैं. बेटा रेहान और बेटी मिराया. बच्चे मां को एक सख्त टीचर बताते हैं. प्रियंका अपने पारिवारिक जीवन को सार्वजनिक करना पसंद नहीं करतीं.
तस्वीर: Imago/Zuma
दादी जैसी
सिर्फ जनता ही नहीं, प्रियंका खुद भी मानती हैं कि वह अपनी दादी इंदिरा गांधी जैसी दिखती हैं. दादी जैसे ही छोटे बाल और तेज नाक. उनके पास दादी की कई साड़ियां भी हैं.
तस्वीर: picture-alliance/united archives
पहली स्पीच
ऐसा कम ही होता है जब प्रियंका को माइक के साथ खड़े देखा जाए. वो कम बोलती हैं लेकिन जब भी बोलती हैं लोगों का दिल जीत लेती हैं. प्रियंका 16 साल की थीं जब उन्होंने पहली बार स्पीच दी थी.
तस्वीर: Getty Images/AFP
चुनाव प्रचार
अमेठी और रायबरेली में चुनाव प्रचार के दौरान प्रियंका एक अहम भूमिका निभाती रही हैं. माना जाता है कि भाई राहुल गांधी के राजनीतिक फैसलों में भी उनकी बड़ी भूमिका रहती है.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
शौक
प्रियंका को पढ़ने, खाना पकाने और तस्वीरें खींचने का काफी शौक है. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उनकी अच्छी हिंदी का श्रेय तेजी बच्चन को जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R.K. Singh
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राहुल गांधी, अमेठी
राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष हैं. 2004 से लगातार अमेठी से सांसद हैं. 2014 के चुनाव में बीजेपी की तरफ से स्मृति ईरानी और आम आदमी पार्टी की तरफ से कुमार विश्वास ने राहुल के खिलाफ चुनाव लड़ा था. राहुल 1 लाख 7 हजार वोटों से ये चुनाव जीत गए. राहुल कांग्रेस पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के अघोषित उम्मीदवार माने जाते हैं.
सलमान खुर्शीद, फर्रुखाबाद
सलमान खुर्शीद जाने-माने वकील हैं. इनके पिता खुर्शीद आलम खान भी केंद्रीय मंत्री रहे थे. खुर्शीद ने स्टीफंस कॉलेज दिल्ली और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. 1980 में वो इंदिरा गांधी के ओएसडी रहे थे. 1991 में पहली बार फर्रुखाबाद से सांसद बने. इसी दौरान वो केंद्र सरकार में विदेश राज्यमंत्री भी रहे. 2009 में फिर से फर्रुखाबाद से सांसद बने और केंद्र सरकार में मंत्री रहे. 2014 लोकसभा चुनाव में खुर्शीद की जमानत जब्त हो गई थी. वो और उनकी पत्नी लुई खुर्शीद विकलांग लोगों के लिए जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट नाम से एनजीओ चलाते हैं.
राजाराम पाल, अकबरपुर
राजाराम पाल राजस्थान के सिरोही में जन्मे थे. डीएवी कॉलेज कानपुर से लॉ किया और यूपी में अपनी राजनीति जमानी शुरू कर दी. 1996 में बीएसपी में शामिल हुए और विधायक चुने गए. 2004 में अकबरपुर से पहली बार सांसद बने. 2005 में कोबरापोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन में लोकसभा में पैसे लेकर प्रश्न पूछने को तैयार दिखे. बीएसपी ने पार्टी से निकाल दिया तो कांग्रेस में शामिल हो गए. 2009 में अकबरपुर से फिर सांसद बने. 2014 में हार गए. अब फिर मैदान में हैं.
ब्रजलाल खबरी, जालौन (सुरक्षित एससी)
ब्रजलाल खबरी पहले बीएसपी में थे. बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की है. 1999 में पहली बार लोकसभा सांसद बने. 2009 में राज्यसभा के लिए चुने गए. 2016 में बीएसपी छोड़ कांग्रेस में आ गए. 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा पर जीत न सके. अब फिर से लोकसभा के मैदान में हैं.
निर्मल खत्री, फैजाबाद
निर्मल खत्री ने एलएलबी के बाद पीएचडी की. थोड़े दिन वकालात करने के बाद राजनीति में आ गए. 1980 में पहली बार विधायक बने. 1984 में पहली बार लोकसभा सांसद बने. 2009 में फिर लोकसभा सांसद बने. 2014 में चौथे नंबर पर आए. निर्मल यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
आरपीएन सिंह, कुशीनगर
रतनजोत प्रताप नारायण सिंह कुशीनगर पडरौना के राजपरिवार से आते हैं. इनके पिता सीपीएन सिंह भी इंदिरा गांधी की सरकार में मंत्री रहे थे. आरपीएन 1996 से 2009 तक विधायक रहे. 2009 में कुशीनगर सीट से बीएसपी के कद्दावर नेता रहे और फिलहाल बीजेपी में शामिल स्वामी प्रसाद मौर्य को हराकर सांसद बने. केंद्र सरकार में गृह राज्यमंत्री भी बने. फिलहाल झारखंड कांग्रेस के प्रभारी हैं.
भारत की कौन सी पार्टी कितनी अमीर है
भारत की सात राष्ट्रीय पार्टियों को 2016-2017 में कुल 1,559 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है. 1,034.27 करोड़ रुपये की आमदनी के साथ बीजेपी इनमें सबसे ऊपर है. जानते हैं कि इस बारे में एडीआर की रिपोर्ट और क्या कहती है.
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भारतीय जनता पार्टी
दिल्ली स्थित एक थिंकटैंक एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी को एक साल के भीतर एक हजार करोड़ रूपये से ज्यादा की आमदनी हुई जबकि इस दौरान उसका खर्च 710 करोड़ रुपये बताया गया है. 2015-16 और 2016-17 के बीच बीजेपी की आदमनी में 81.1 फीसदी का उछाल आया है.
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कांग्रेस
राजनीतिक प्रभाव के साथ साथ आमदनी के मामले भी कांग्रेस बीजेपी से बहुत पीछे है. पार्टी को 2016-17 में 225 करोड़ रुपये की आमदनी हुई जबकि उसने खर्च किए 321 करोड़ रुपये. यानी खर्चा आमदनी से 96 करोड़ रुपये ज्यादा. एक साल पहले के मुकाबले पार्टी की आमदनी 14 फीसदी घटी है.
तस्वीर: Reuters/A. Dave
बहुजन समाज पार्टी
मायावती की बहुजन समाज पार्टी को एक साल के भीतर 173.58 करोड़ रुपये की आमदनी हुई जबकि उसका खर्चा 51.83 करोड़ रुपये हुआ. 2016-17 के दौरान बीएसपी की आमदनी में 173.58 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. पार्टी को हाल के सालों में काफी सियासी नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन उसकी आमदनी बढ़ रही है.
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नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी
शरद पवार की एनसीपी पार्टी की आमदनी 2016-17 के दौरान 88.63 प्रतिशत बढ़ी. पार्टी को 2015-16 में जहां 9.13 करोड़ की आमदनी हुई, वहीं 2016-17 में यह बढ़ कर 17.23 करोड़ हो गई. एनसीपी मुख्यतः महाराष्ट्र की पार्टी है, लेकिन कई अन्य राज्यों में मौजूदगी के साथ वह राष्ट्रीय पार्टी है.
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तृणमूल कांग्रेस
आंकड़े बताते हैं कि 2015-16 और 2016-17 के बीच ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की आमदनी में 81.52 प्रतिशत की गिरावट हुई है. पार्टी की आमदनी 6.39 करोड़ और खर्च 24.26 करोड़ रहा. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा रखने वाली तृणमूल 2011 से पश्चिम बंगाल में सत्ता में है और लोकसभा में उसके 34 सदस्य हैं.
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सीपीएम
सीताराम युचुरी के नेतृत्व वाली सीपीएम की आमदनी में 2015-16 और 2016-17 के बीच 6.72 प्रतिशत की कमी आई. पार्टी को 2016-17 के दौरान 100 करोड़ रुपये की आमदनी हुई जबकि उसने 94 करोड़ रुपये खर्च किए. सीपीएम का राजनीतिक आधार हाल के सालों में काफी सिमटा है.
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सीपीआई
राष्ट्रीय पार्टियों में सबसे कम आमदनी सीपीआई की रही. पार्टी को 2016-17 में 2.079 करोड़ की आमदनी हुई जबकि उसका खर्च 1.4 करोड़ रुपये रहा. लोकसभा और राज्यसभा में पार्टी का एक एक सांसद है जबकि केरल में उसके 19 विधायक और पश्चिम बंगाल में एक विधायक है.
तस्वीर: DW/S.Waheed
समाजवादी पार्टी
2016-17 में 82.76 करोड़ की आमदनी के साथ अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी सबसे अमीर क्षेत्रीय पार्टी है. इस अवधि के दौरान पार्टी के खर्च की बात करें तो वह 147.1 करोड़ के आसपास बैठता है. यानी पार्टी ने अपनी आमदनी से ज्यादा खर्च किया है.
तस्वीर: DW
तेलुगु देशम पार्टी
आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी तेलुगुदेशम पार्टी को 2016-17 के दौरान 72.92 करोड़ रुपये की आमदनी हुई जबकि 24.34 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े. पार्टी की कमान चंद्रबाबू के हाथ में है जो आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Str
एआईएडीएमके और डीएमके
तमिलनाडु में सत्ताधारी एआईएडीएमके को 2016-17 में 48.88 करोड़ रुपये की आमदनी हुई जबकि उसका खर्च 86.77 करोड़ रुपये रहा. वहीं एआईएडीएमके की प्रतिद्वंद्वी डीएमके ने 2016-17 के बीच सिर्फ 3.78 करोड़ रुपये की आमदनी दिखाई है जबकि खर्च 85.66 करोड़ रुपया बताया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
एआईएमआईएम
बचत के हिसाब से देखें तो असदउद्दीन औवेसी की पार्टी एआईएमआईएम सबसे आगे नजर आती है. पार्टी को 2016-17 में 7.42 करोड़ रुपये की आमदनी हुई जबकि उसके खर्च किए सिर्फ 50 लाख. यानी पार्टी ने 93 प्रतिशत आमदनी को हाथ ही नहीं लगाया. (स्रोत: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म)