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कांग्रेस ने किया सुधारों का बचाव

४ नवम्बर २०१२

आरोपों का सामना कर रही भारत की सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली कर जनता से सीधे संवाद के जरिए सफाई देने की कोशिश की है. रैली में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के साथ ही राहुल गांधी भी बोले.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

भ्रष्टाचार, बढ़ती कीमतें, विदेशी निवेश और तमाम मुद्दों पर जनता के असंतोष का जवाब देने के लिए इस बार कांग्रेस ने सीधे लोगों के बीच जाना ही उचित समझा. रैली में जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बोलने की बारी आई तो ऐसा लगा कि बड़े दिनों से उन्हें इसका इंतजार था. माइक संभालते ही आर्थिक सुधारों से जुड़े फैसलों को आम आदमी की भलाई में उठाया कदम बताया और विरोध करने वालों को बदलाव का विरोधी. साथ ही उन्होंने सुधारों के लिए पार्टी और अपनी प्रतिबद्धता भी जताई.

मनमोहन बोले, "अगर हम देश की भलाई के लिए नीतियों में कुछ बदलाव करना चाहते हैं तो उन्हें निश्चित रूप से करेंगे." मनमोहन सिंह ने कहा कि खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश से किसानों का नुकसान होने की बात गलत है. प्रधानमंत्री ने उल्टे इसे किसानों के लिए फायदेमंद बताया. उन्होंने कहा, "इससे सबका फायदा होगा, "किसानों को उनके उपज की सही कीमत मिलेगी, बेरोजगारों को नौकरी मिलेगी." मनमोहन ने दावा किया कि उनकी सरकार के कार्यकाल में बहुत कुछ हुआ, "ज्यादा नौकरियां पैदा करने के लिए हमें आर्थिक सुधारों की जरूरत है. लोगों को सरकार के फैसलों के बारे में गुमराह किया जा रहा है हमने पिछले आठ सालों में बहुत काम किया है."

तस्वीर: Reuters

कांग्रेस को अहसास है कि सारी बातों के बीच भ्रष्टाचार का मुद्दा भी कहीं न कहीं लोगों को चुभ रहा है. ऐसे में खुद सोनिया गांधी ने ही इसके खिलाफ बोलने का बीड़ा उठाया. सोनिया ने भ्रष्टाचार के लिए सीधे सीधे विपक्ष को दोषी बताया और कहा कि जिन लोगों ने कांग्रेस पर आरोप लगाए हैं वो खुद भ्रष्टाचार के दलदल में डूबे हुए हैं. सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि अनाप शनाप आरोप लगा कर देश के लोकतांत्रिक ढांचे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है जिसे कांग्रेस पार्टी सहन नहीं करेगी.

विधानसभा चुनावों की सरगर्मी है और लोगों की नाराजगी हर गुजरते दिन के साथ बढ़ रही है, इस पर एक मुसीबत और ये आ गई है कि राहुल गांधी को जिस तरह उभारने की कोशिश में कांग्रेस सालों से लगी हुई है वो नाकाम होती दिखने लगी है. ऐसे में रैली बुला कर इन कोशिशों को दोबारा परवान चढ़ाने की कोशिश भी की गई है.

तस्वीर: AP

आमतौर पर बड़ी सभाओं में बोलने से बचने वाले राहुल गांधी भी रविवार को तैयारी कर के आए थे. माइक पकड़ते ही सबसे पहले लोगों की जेब में हुई छेद पर सफाई देते हुए कहा, "हमें आर्थिक सुधारों की जरूरत है क्योंकि जब कारोबार चलेंगे तो विकास होगा और तब ही हम गरीब लोगों की भलाई के लिए कुछ कर सकेंगे." यह वही दलील है जिसके साथ कांग्रेस पार्टी की सरकार ने देश में बड़े बड़े अस्पताल की बजाय पहले बड़े बड़े होटल बनवाए और कहा था कि इनसे जो कमाई होगी उससे गरीबों के लिए अस्पताल बनेगा.

बहरहाल देश के बुजुर्ग नेतृत्व में राहुल गाधी खुद को युवा मानते हैं तो देश की बहुसंख्यक युवा जनता की चिंता भी उन्हें सबसे ज्यादा है. देश के विकास के लिए युवाओं को ललकारते हुए राहुल गांधी ने कहा, "दुनिया कह रही ही कि भारत उठ कर खड़ा हो रहा है. देश के युवाओं को न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया को दिखाना है कि हम आगे बढ़ रहे हैं."

देश आर्थिक मोर्चे पर पिछड़ रहा है, विकास की दर धीमी पड़ गई है, महंगाई और भ्रष्टाचार का आलम है और ऐसे में सत्ताधारी पार्टी कुछ करती नजर न आए तो लोगों में निराशा बढ़ना स्वाभाविक है. राहुल को कुछ तो अहसास है कि जिस भारत के उठने की बात वह कह रहे हैं वो बस मुट्ठी भर लोग हैं जो बड़े शहरों में चमकते दमकते नजर आते हैं. इनके बीच आम आदमी की नाजुक हालत उन तक भी पहुंच ही रही है भले ही खुद से ना सही साथियों के मार्फत ही सही. राहुल ने कहा, "युवा सांसद मुझसे कहते हैं कि आप सब लोग देश का तंत्र बदलना चाहते हैं, और साथ मिल कर हम यह कर सकते हैं. सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमारे राजनीतिक तंत्र ने आम आदमी के लिए सारे दरवाजे बंद कर रखे हैं."

एनआर/एमजे (एएफपी, पीटीआई)

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