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कांग्रेस के संकट मोचक अहमद पटेल का निधन

चारु कार्तिकेय
२५ नवम्बर २०२०

गांधी परिवार के बाद दो दशक से कांग्रेस पार्टी में सबसे ताकतवर नेता रहे अहमद पटेल का निधन हो गया है. वो 71 वर्ष के थे और कोविड-19 से संक्रमित हो जाने के बाद उनकी हालत नाजुक हो गई थी.

Indien - Ahmed Patel
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Khanna

असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की मृत्यु के तुरंत बाद अहमद पटेल का देहांत कांग्रेस पार्टी के लिए दूसरा बड़ा झटका है. अपनी मृत्यु से पहले कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष का पद संभाल रहे अहमद अपने आप में पार्टी में सत्ता के एक केंद्र थे. इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी तक और सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी तक, वो पार्टी के नेतृत्व की चार पीढ़ियों के नेताओं के करीब रहे.

1977 में इंदिरा गांधी ने उन्हें लोक सभा चुनाव लड़ने के लिए चुना, जिसमें वो जीत भी गए और उसके बाद वो तीन बार लोक सभा के सदस्य और चार बार राज्य सभा के सदस्य रहे. 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें अपना संसदीय सचिव नियुक्त किया और उसके बाद पूरी उम्र वो गांधी परिवार के नेताओं के करीबी सलाहकार रहे.

राजीव गांधी के निधन के बाद सोनिया गांधी को राजनीति में लाने, पार्टी की बागडोर उनके हाथों में सौंपने और उन्हें एक अनिच्छुक राजनेता से 'सुपर प्राइम मिनिस्टर' बनाने में अहमद पटेल की भूमिका को अहम माना जाता है. उनके निधन पर जारी किए अपने शोक संदेश में सोनिया गांधी ने पटेल को अपना ऐसा "कॉमरेड, विश्वसनीय सहकर्मी और दोस्त" बताया जिसका "स्थान कोई और नहीं ले सकता". 

प्रधानमंत्री के "अहमद भाई"

इन दिनों भी जब पार्टी में पुरानी और नई पीढ़ी के नेताओं के बीच संघर्ष चल रहा है, इन हालात में वो दोनों खेमों के बीच एक पुल का काम कर रहे थे. पार्टी के एक युवा नेता ने डीडब्ल्यू को बताया कि पटेल के निधन से पार्टी में चल रहा संकट और गहरा जाएगा क्योंकि उनके बाद अब स्थिति को संभालने वाला कोई नहीं बचा.

पटेल गुजरात के रहने वाले थे और माना जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी नजदीकी रिश्ते रखने वाले गिनती के कांग्रेस नेताओं में वो शामिल थे. प्रधानमंत्री ने अपने शोक संदेश में उन्हें "अहमद भाई" कह कर संबोधित किया है. 

कई जानकारों का कहना है कि मोदी से उनकी इसी करीबी के कारण गुजरात में कांग्रेस पिछले दो दशकों में बीजेपी को मजबूती से टक्कर नहीं दे पाई. हालांकि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अहमद पटेल के खिलाफ भ्रष्टाचार के कुछ मामलों में केंद्रीय एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी.

गुजरात की ही कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक और उसके मालिक संदेसाड़ा परिवार के खिलाफ बैंकों से धोखाधड़ी और धन शोधन के आरोपों की जांच में ईडी ने पटेल से भी कई बार पूछताछ की. जांच अभी भी चल रही है.

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