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'कांग्रेस ने 40 करोड़ में खरीदे चार वोट'

१७ मार्च २०११

विकीलीक्स का सनसनीखेज खुलासा. भारत की सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के नेता सतीश शर्मा ने 2008 में विश्वासमत के जीतने के लिए आरएलडी के चार सांसदों को 10-10 करोड़ रुपये दिए. अमेरिकी अधिकारियों की लीक हुई बातचीत से यह पता चला.

तस्वीर: UNI

अमेरिकी राजनयिकों की लीक हुई जानकारी में यह बात सामने आई है. दस्तावेजों के मुताबिक 22 जुलाई 2008 को सदन में विश्वासमत जीतने के लिए कांग्रेस ने अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल के चार सांसदों को 10-10 करोड़ रुपये दिए. विकीलीक्स के मुताबिक विश्वासमत से पहले ही 16 जुलाई 2008 को सतीश शर्मा के राजनीतिक सहायक नचिकेता कपूर ने अमेरिकी दूतावास के एक कर्मचारी को इस सौदेबाजी की जानकारी दी.

नचिकेता ने बताया कि अजित सिंह की पार्टी आरएलडी के चार सांसदों को सरकार के पक्ष में वोट डालने के लिए 10-10 करोड़ रुपये दिए गए हैं. कपूर ने अमेरिकी दूतावास के कर्मचारी से कहा कि पैसा देना कोई बड़ी बात नहीं हैं, लेकिन अहम यह है कि जिन्हें पैसा दिया जाए वो सरकार के पक्ष में वोट डालें. 17 जुलाई 2008 को अमेरिकी दूतावास ने वॉशिंगटन से संपर्क किया. इसमें कहा गया कि दूतावास के कर्मचारी ने घर में रखे गए दो संदूक भी देखे, जिनमें 50 से 60 करोड़ रुपये थे.

विपक्ष का हमलातस्वीर: AP

मामला सामने आने के बाद कांग्रेस और आरएलडी बेचैन हो गए हैं. आरएलडी के प्रमुख अजित सिंह ने आरोपों को खंडन किया है. उनका कहना है कि सांसदों ने मनमोहन की सरकार बचाने के लिए कोई पैसा नहीं लिया. उनका कहना है कि आरएलडी अमेरिका के साथ परमाणु करार करने के पक्ष में नहीं थी. ऐसे में हो ही नहीं सकता कि उनके सांसदों ने सरकार के पक्ष में वोट दिया हो.

भारत और अमेरिका के बीच 2008 में परमाणु करार हुआ. लेकिन करार को लेकर सरकार में खुद ही फूट पड़ गई. वामपंथी पार्टियों के समर्थन वापस लेने के बाद यूपीए को विश्वासमत का सामना करना पड़ा. 22 जुलाई 2008 को हुए विश्वासमत में सरकार मामूली वोटों के अंतर से खुद को बचा सकी.

लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने पहले ही अंदाजा लगा लिया था कि यूपीए सरकार मामूली अंतर से ही विश्वासमत हासिल कर सकेगी. विकीलीक्स के दस्तावेजों के मुताबिक अमेरिकी अधिकारी कह रहे थे कि, ''हमारे अंदाजा है कि इस वक्त सरकार को बहुत कम बहुमत हासिल है. हमें लगता है कि सरकार के पक्ष में 273 वोट पड़ेंगे, विरोध में 251 और 19 अनुपस्थित रहेंगे.'' हैरानी की बात है कि अमेरिकी अधिकारियों को अंदाजा हकीकत के काफी करीब रहा. सरकार के पक्ष में 275 वोट पड़े, विरोध में 256 और 10 सांसद गायब रहे.

अब इसी से जुड़ा एक पुराना मामला भी उठ खड़ा हुआ है. 22 जुलाई 2008 को विश्वासमत से ठीक पहले सदन में बीजेपी के सांसदों ने सबके सामने नोटों के बंडल दिखाए थे. बीजेपी ने आरोप लगाया कि सरकार ने उसके सांसदों का वोट खरीदने की कोशिश की. तब इसे सिर्फ नाटक और लोकतंत्र के लिए शर्मनाक दिन बता दिया गया. मामले की जांच को लेकर अब तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है.

लेकिन अब विकीलीक्स के लीकेज के बाद यूपीए सरकार फिर मुश्किल में घिर गई है. लोकसभा और राज्यसभा में खूब हंगामा हो रहा है. भ्रष्टाचार से जूझते देश में इस बार दांव पर लोकतंत्र और जनता का भरोसा भी लगा हुआ है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एमजी

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