"कांग्रेस बीजेपी के बाहर का पीएम संभव"
५ अगस्त २०१२आडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा, "यह संभव है कि कांग्रेस या बीजेपी के समर्थन से इन पार्टियों के बाहर कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री बन जाए. यह संभव है. यह पहले भी हो चुका है." हालांकि उन्होंने सावधान किया है कि यह स्थिति बहुत दिनों तक नहीं चल पाएगी.
आडवाणी ने यह बात बिहार के ताकतवर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान के बाद कही है. सूत्रों के मुताबिक कुमार ने बीजेपी से साफ कर दिया है कि उसे नरेंद्र मोदी को अगले प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं करना चाहिए. किसी जमाने में आडवाणी और मोदी के बीच बेहतरीन संबंध थे लेकिन हाल के दिनों में उनके बीच वैसे रिश्ते नहीं रह पाए हैं. आडवाणी ने अपने पिछले ब्लॉग में भी बीजेपी शासित राज्यों पर कुछ सवाल उठाए थे.
पहले भी हुआ है
उन्होंने चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर, एचडी देवेगौड़ा, वीपी सिंह और आईके गुजराल की मिसालें रखीं. वीपी सिह बीजेपी के समर्थन पर भारत के प्रधानमंत्री बने थे, जबकि बाकी के प्रधानमंत्री कांग्रेस के सहयोग से बने थे. आडवाणी ने आगाह किया, "केंद्र में स्थिरता तभी रहेगी, जब सरकार में बीजेपी या कांग्रेस का प्रधानमंत्री हो." उन्होंने कहा कि पिछले 25 साल की राजनीति इस बात को साबित करती है कि केंद्र में कांग्रेस या बीजेपी के सहयोग के बिना कोई सरकार नहीं बन सकती है. इसके साथ ही उन्होंने तीसरे मोर्चे की सरकार की संभावना को पूरी तरह खारिज कर दिया.
आडवाणी ने हाल में दो कैबिनेट मंत्रियों के साथ हुई चर्चा का भी जिक्र किया, जिसमें बात हुई थी कि कांग्रेस या बीजेपी को अगले चुनाव में बहुमत नहीं मिलेगा. बीजेपी नेता ने कहा कि वैसी हालत में तीसरा मोर्चा मैदान में आ सकता है लेकिन इससे देश की राजनीति को काफी नुकसान पहुंच सकता है.
क्यों दिया बयान
उन्होंने चुनाव से लगभग दो साल पहले इस बात को उठाया है, जिसका बहुत ज्यादा राजनीतिक महत्व नहीं समझा जा सकता. लेकिन हो सकता है कि यह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संतुष्ट करने का जरिया बन जाए. नीतीश कुमार अपनी छवि एक धर्मनिरपेक्ष नेता के रूप में बनाए रखना चाहते हैं. हालांकि पिछले दो बार से बिहार की सरकार बीजेपी के समर्थन से बन रही है. उन्होंने बिहार में चुनाव प्रचार के लिए मोदी को नहीं आने दिया और उसके बाद भी वह उनसे अलग अलग रहते हैं. सूत्रों के मुताबिक हाल ही में उन्होंने बीजेपी के प्रमुख नितिन गडकरी से कह दिया है कि मोदी को अगले प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करना ठीक नहीं होगा. बीजेपी कुमार की ताकत को समझती है कि उन्हें किसी हालत में अपने गठबंधन से बाहर नहीं जाने देना चाहती.
मोदी ने हाल ही में पहली बार गुजरात दंगों पर बातचीत की. शाहिद सिद्दीकी के साथ इंटरव्यू में मोदी ने कहा कि अगर वह दोषी हैं तो उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया जाना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने मुसलमानों को भी लुभाने की कोशिश की. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि मोदी के बयान इस बात का इशारा करते हैं कि वह गांधीनगर से कूच कर दिल्ली का रास्ता तय करना चाहते हैं.
अन्ना की पार्टी
वहीं, भ्रष्टाचार को मुद्दा बना कर राजनीति में कूदने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे के एलान को देखते हुए भी आडवाणी के बयान को अहम समझा जा सकता है. टीम अन्ना ने अगले लोकसभा चुनाव में हिस्सा लेने का संकेत दे दिया है. उनकी राजनीति जाहिर तौर पर कांग्रेस के खिलाफ है. हालांकि वे बीजेपी के खिलाफ ज्यादा कुछ नहीं बोलते लेकिन इस बात की संभावना न के बराबर है कि बीजेपी राजनीति में उन्हें किसी तरह का साथ देगी. आडवाणी के बयान से यह बात और पुष्ट हो जाती है.
आडवाणी के बयान के बाद कांग्रेस में भी थोड़ी झल्लाहट हुई हो सकती है क्योंकि बीजेपी के कद्दावर नेता ने न सिर्फ बीजेपी, बल्कि कांग्रेस का भी जिक्र किया है. यूपीए सरकार के मंत्री और कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला उनके बयान को हारे हुए का बयान बताते हैं, "आडवाणी ने 2014 के चुनावों में अपनी हार स्वीकार कर ली है क्योंकि उन्होंने ब्लॉग में खुद ऐसा कहा है. जहां तक कांग्रेस का सवाल है, मुझे याद है कि 2004 के चुनाव से पहले भी आडवाणीजी ने कहा था कि कांग्रेस को 100 सीटें भी नहीं मिलेंगी, जबकि पार्टी ने सरकार बनाई. मुझे उम्मीद है कि उनकी पहले वाली भविष्यवाणी फिर सही साबित होगी." कांग्रेस ने इस साल हुए राज्य विधानसभा चुनावों में बेहद खराब प्रदर्शन किया है.
रिपोर्टः ए जमाल (पीटीआई)
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन