जब आपको गुस्सा आए तो साथियों पर भड़कने या फिर तकिये में मुंह छिपा कर रोने की बजाय, उसे लिख डालिए और फिर उसे फाड़ कर फेंक दीजिए. यह तरीका आपका गुस्सा शांत करने में काफी असरदार है.
गुस्से का निवारण उसे कागज पर लिख कर फाड़ने से हो सकता हैतस्वीर: Ute Grabowsky/photothek/imago images
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जापानी रिसर्चरों की एक टीम शोध करने के बाद इस नतीजे पर पहुंची है. भावनाओं को लिख कर उन्हें अपने से दूर धकेला या फिर अलग किया जा सकता है.
साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में इस हफ्ते छपी रिसर्च रिपोर्ट के प्रमुख लेखक नोबुयुकी कवाई का कहना है, "हमने उम्मीद की थी कि हमारा तरीका गुस्से को कुछ हद तक दबाएगा. हालांकि गुस्से को पूरी तरह खत्म होते देख कर हम हैरान रह गए." कवाई नागोया यूनिवर्सिटी में कॉग्निटिव साइंस के प्रोफेसर हैं.
गुस्से की भावना का सही समय पर निवारण जरूरी हैतस्वीर: U. Grabowsky/photothek/picture alliance
कैसे हुआ प्रयोग
इस प्रयोग में करीब 100 छात्रों ने हिस्सा लिया. इसमें उनसे सामाजिक मुद्दों पर अपनी संक्षिप्त राय लिखने को कहा गया. इसके लिए उन्हें 'सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान की पाबंदी होनी चाहिए' जैसे कुछ विषय दिए गये थे. रिसर्चरों ने उनसे कहा था कि नागोया यूनिवर्सिटी का एक पीएचडी छात्र उनकी लिखित राय का मूल्यांकन करेगा.
हालांकि प्रयोग में शामिल लोगों ने चाहे जो कुछ भी लिखा हो, मूल्यांकन करने वाले ने उन्हें बुद्धिमता, रुचि, मित्रता, तर्क और औचित्य के आधार पर बहुत कम अंक दिए. इतना ही नहीं उन्हें अपमानजनक फीडबैक भी दिए गए. एक फीडबैक था, "मुझे यकीन नहीं होता कि एक पढ़ा लिखा इंसान इस तरह से सोच सकता है. मुझे उम्मीद है कि यह आदमी यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान कुछ सीखेगा."
चीन में गुस्सा उतारने वाला कमरा
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इसके बाद प्रयोग में शामिल छात्रों ने अपनी भावनाओं को लिखा. छात्रों के दो गुट थे. आधे छात्रों के एक समूह ने जिन कागजों पर अपनी भावनाएं दर्ज की थीं उनके टुकड़े टुकड़े कर दिए या फिर उन्हें फेंक दिया. दूसरे गुट ने उन कागजों को पारदर्शी फोल्डर या फिर बॉक्स में रख दिया.
खत्म हो गया गुस्सा
रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी छात्रों में अपमान के बाद गुस्से का अलग अलग स्तर दिखाई दिया. हालांकि जिस समूह ने कागज पर अपनी भावनाओं को लिखने के बाद उन्हें संभाल कर रखा उनके अंदर गुस्सा उच्च स्तर पर बना रहा जबकि दूसरे समूह में यह घटते घटते पूरी तरह खत्म हो गया.
रिसर्चरों की दलील है कि उनकी खोज का गुस्से के निवारण करने के अनौपचारिक तरीके के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. उनका यह भी कहना है, "घर या काम की जगह पर गुस्से को नियंत्रित करना हमारी निजी जिंदगी और नौकरी में नकारात्मक नतीजों को घटा सकता है."
एनआर/सीके (एएफपी)
क्या क्या कह देता है आपका चेहरा
आंखें अगर आत्मा का झरोखा हैं, तो चेहरा उस झरोखे का फ्रेम है. हमें अक्सर एहसास नहीं होता कि हमारे चेहरे के भाव हमारे बारे में बहुत कुछ बता देते हैं. यहां तक कि तटस्थ भाव भी बहुत कुछ बता देते हैं.
तस्वीर: Reuters/M. Sezer
इतनी सी खुशी!
एक समय था जब कहा जाता था कि चेहरे के भावों की भाषा पूरी दुनिया में समझी जाती है. शोधकर्ताओं का मानना है कि चेहरे के भावों से हम जिन भावनाओं को दिखाते हैं वो सार्वभौमिक होती हैं. कुछ का तो मानना है कि मूल रूप से सात भावनाएं होती हैं - खुशी, आश्चर्य, उदासी, उपेक्षा, घृणा, डर और गुस्सा.
तस्वीर: picture alliance/ImageBROKER/M. Jaeger
मुस्कुराइए, कि आप संसार में हैं!
चेहरे की 43 मांसपेशियां होती हैं, जिन्हें दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है - एक वो जिनका इस्तेमाल हम खाने को चबाने के लिए करते हैं और दूसरे वो जिनका इस्तेमाल हम अपने भावों को व्यक्त करने के लिए करते हैं. कुछ अध्ययनों में भी यह भी दावा किया गया है कि मुस्कुराने और त्योरि चढ़ाने में बराबर संख्या में मांसपेशियों का इस्तेमाल होता है.
तस्वीर: Athit Perawongmetha/REUTERS
छिपे हुए भावों से सावधान
मनोवैज्ञानिक चेहरे के भावों में छिपे मतलब को पढ़ते हैं. हमें कभी कभी अहसास नहीं होता कि हम अपने चेहरे के भावों से अपनी भावनाओं का संचार कर रहे हैं. जैसे मान लीजिए आपके चेहरे के कोने झुक गए तो कुछ लोग सोचेंगे कि आप नकारात्मक हैं, विश्वास के लायक नहीं हैं या नाराज हैं. अमूमन ऊपर की तरफ उठे हुए मुंह वाले चेहरों को ज्यादा सकारात्मक माना जाता है.
तस्वीर: cc/Constantin Rezlescu
आंखों की गुस्ताखियां!
आप पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को पसंद करते हों या नहीं, वो चेहरे पर भाव लाने की कला के महारथी हैं. हालांकि यह जरूरी नहीं कि उनका चेहरा हमेशा असलियत बयां कर रहा हो. आंखों में भी असली बात बता देने वाले लघु हाव भाव होते हैं और कभी कभी लोग उन्हें छुपाने के लिए मुंह पर तरह तरह के भाव ले आते हैं.
तस्वीर: Getty Images/D. Angerer
छी!
क्या इस तस्वीर में ब्रिटेन की पूर्व मुख्यमंत्री थेरेसा मे रानी एलिजाबेथ द्वितीय की तरफ से आ रही किसी बदबू की वजह से नाक सिकोड़ रही थीं? ऐसा नहीं है. डार्विन ने कहा था कि मुमकिन है नाक को सिकोड़ने की आदत का विकास अप्रिय गैसों से खुद को बचाने की कोशिशों का नतीजा रहा होगा. लेकिन जैसा की हमने देखा, हम चेहरे के हाव भावों को अक्सर गलत पढ़ लेते हैं, खास कर जब वो कैमरे में कैद हो गए हों.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Dunham
खुशी के आंसू या दुख के?
दुख और सुख दोनों ही के आंसू सार्वभौमिक हैं लेकिन क्या आप हमेशा दोनों में फर्क कर सकते हैं? इसके लिए पूरी तस्वीर देखनी पड़ती है. क्या उस हाथ के नीचे एक मुस्कराहट छिपी हुई है? इस तस्वीर में तो नहीं. ऐसे में भंवों को देखें. अगर वो ऊपर की तरफ हैं तो इसका मतलब आश्चर्य हो सकता है. जब वो नीचे हों या एक दूसरे के पास हों तो वो दुख, गुस्सा और डर दिखाती हैं.
तस्वीर: Imago Images/Zuma/M. Hasan
एक पेचीदा भाव जिसे पढ़ना आसान नहीं
ये पुर्तगाल के फुटबॉल खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो हैं. यहां पर वो गुस्सा कर रहे हैं या किसी चीज पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं? उनकी आंखों से कोई भी मतलब निकाला जा सकता है. लेकिन एक दूसरे के आस पास आ चुकी उनकी भवों और उनके खुले हुए मुंह को देखिए. क्या बेहतर नहीं होता कि आप रोनाल्डो को सुन और देख पाते?