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कानकुन में पर्यावरण समझौता हुआ

१२ दिसम्बर २०१०

पर्यावरण के बदलावों से लड़ने के लिए दुनिया एक समझौते पर पहुंच गई है. शनिवार को इसके लिए एक योजना पर कई देशों की सरकारों ने सहमति जता दी. सभी देश तो खुश नहीं हैं लेकिन कमतर समझौता हो गया है.

तस्वीर: DW

इस समझौते के तहत गरीब देशों की मदद के लिए एक फंड बनाने पर सहमति हो गई है. हालांकि इस बात पर बोलीविया ने आपत्ति जताई है. मेक्सिको के विदेश मंत्री पैट्रिसिया एस्पिनोसा ने कहा, "पर्यावरण परिवर्तन पर सहयोग का एक नया अंतरराष्ट्रीय युग शुरू हो गया है."

तस्वीर: DW

दो हफ्ते तक चली इस बातचीत में गरीब और अमीर मुल्कों के बीच लगातार खींचतान होती रही लेकिन आखिरकार ग्रीन क्लाइमेट फंड बनाने पर समझौता हो गया. इसके तहत 2020 तक 100 अरब डॉलर जुटाए जाएंगे. उष्ण कटिबंधीय जंगलों को बचाने के लिए मुहिम चलाई जाएगी. साथ ही विभिन्न देशों के बीच स्वच्छ ऊर्जा तकनीक के लेनदेने के नए रास्ते तलाशे जाएंगे.

बोलीविया की आपत्ति थी कि इस समझौते में विकसित देशों से बहुत कम मांग की गई है. उसका कहना था कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए विकसित देशों पर ज्यादा दबाव बनाया जाना चाहिए. बोलीवियाई प्रतिनिधि पाब्लो सोलोन ने एस्पिनोसा से कहा, "मैं आपसे अपील करता हूं कि पुनर्विचार करें." एस्पिनोसा ने कहा कि आखिरी समझौते में बोलीविया की आपत्तियों पर ध्यान दिया जा सकता है लेकिन इसके लिए 190 देशों के बीच हो रहे समझौते को नहीं रोका जा सकता.

इस समझौते के होने के साथ ही क्योटो प्रोटोकॉल को आगे बढ़ाने के लिए अमीर और गरीब मुल्कों के बीच जारी विवाद को 2011 तक के लिए टाल दिया गया. इस समझौते में 2012 में खत्म हो रहे क्योटो प्रोटोकॉल को आगे बढ़ाने पर तो बात नहीं हुई है लेकिन इतना तय हो गया है कि 2012 के बाद भी कुछ न कुछ होता रहेगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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