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"कानूनी प्रवास के लिए गैरकानूनी घुसपैठ"

बैर्न्ड रीगर्ट/एमजे२४ दिसम्बर २०१४

यूरोप आने वाले शरणार्थियों की संख्या 2014 में तेजी से बढ़ी है. बैर्न्ड रीगर्ट का कहना है कि यूरोप की किलेबंदी नहीं होनी चाहिए लेकिन वह अपनी सीमा पूरी तरह खोल भी नहीं सकता. कानूनी प्रवास समस्या का समाधान हो सकता है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/Ettore Ferrari

यूरोप में 1945 के बाद इतने शरणार्थी पहले कभी नहीं आए जितने इस साल. सीरिया, इरीट्रिया, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संकटग्रस्त क्षेत्रों से लाखों लोग भाग कर यूरोप आ रहे हैं. हजारों लोग भूमध्यसागर या यूरोप की सीमा को पार करने की कोशिश में जान गंवा रहे हैं, जिन्हें मान्यता प्राप्त शरणार्थी होने का सौभाग्य नहीं है - और वे बहुत ज्यादा नहीं हैं. उनके पास शरण मांगने के अलावा कोई चारा नहीं. इसकी अर्जी यूरोप की धरती पर पहुंचने के बाद ही दी जा सकती है. यानि कानूनी शरण के अधिकार की जांच के लिए पहले गैरकानूनी तौर पर यूरोप आना होगा.

अवैध प्रवेश का इंतजाम आम तौर पर अपराधी गिरोह करते हैं. एक ऐसा अपराध, जिससे सिर्फ लीबिया से लोगों को जहाजों के जरिए यूरोप भेजने वाले गिरोहों को अरबों यूरो की कमाई होती है. कुल मिला कर एक असहनीय स्थिति. यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के गृह मंत्रियों की समझ में आ गया है कि शरणार्थी नीति में बदलाव की जरूरत है. पिछले दिनों पोप ने यूरोपीय संसद में चेतावनी दी थी कि भूमध्यसागर को कब्रगाह नहीं बनने दिया जाना चाहिए. लेकिन इसके लिए किया क्या जाना चाहिए?

आप्रवासन के लिए खुले किला

अहम शरणार्थी संगठनों की मांग है कि यूरोप रूपी किले को आप्रवासन के लिए खोल दिया जाए. इसे मानवीय तौर पर समझा जा सकता है लेकिन राजनीतिक तौर पर लागू नहीं किया जा सकता. यूरोप के निवासी हर साल लाखों लोगों को स्वीकार करने और समाज में उन्हें किसी तरह घुलाने मिलाने के लिए तैयार नहीं हैं. अभी ही बहुत से यूरोपीय देशों में शरणार्थियों की संख्या को ज्यादा मान कर उसका विरोध हो रहा है. कुछ देशों में तो विदेशी विरोधी संगठनों के लिए समर्थन बढ़ रहा है. इसमें यह बताने से भी कोई लाभ नहीं कि यूरोप सीरिया के पड़ोसी देशों की तुलना में बहुत कम लोगों को पनाह दे रहा है.

बैर्न्ड रीगर्ट

लेबनान में हर चौथा निवासी शरणार्थी है. आबादी के इस फॉर्मूले से यूरोप में भी कम से कम 12.5 करोड़ शरणार्थी हो सकते हैं. लेकिन वास्तविकता में सिर्फ पांच लाख हैं. आप्रवासियों की बढ़ती संख्या को स्वीकार करने या मौजूदा स्तर पर रखने के लिए जरूरी राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है. यूरोपीय संघ ने माना है कि लोगों को अपराधी गुटों के हाथों पड़ने और भागने के खतरनाक रास्तों से बचाने के लिए यूरोप को ज्यादा वैध प्रवास की अनुमति देनी होगी. लेकिन यूरोप आने के ज्यादा वैध रास्तों के खुलने के बाद भी संभावना है कि मध्य पूर्व, अफ्रीका, रूस, यूक्रेन और सर्बिया से और लोग यूरोप आने की कोशिश करेंगे. यूरोप चाहता है कि वैध और अवैध रूप से आने वाले लोगों की तादाद मौजूदा आंकड़े से अधिक नहीं होना चाहिए. यह उलझन कैसे दूर होगी, फिलहाल यह साफ नहीं है.

चुनाव का सवाल

यूरोपीय संघ के गृह मंत्री 2015 में भी इस मुद्दे में उलझे रहेंगे. वे खास देशों के लिए अमेरिका की तरह कोटा तय कर सकते हैं, बाकियों को वापस भेजा जा सकता है. लेकिन क्या यह न्यायोचित होगा? आवेदन करने वाले शरणार्थियों में सिर्फ आधे को यूरोप में सचमुच मान्यता मिलती है. अलग अलग देशों के लिए मान्यता की दर अलग अलग है. सीरिया के सभी शरणार्थियों को पनाह मिल जाती है तो सर्बिया के सभी आवेदन ठुकरा दिए जाते हैं. अवैध प्रवेश से पहले ही ट्रांजिट देशों में शरण की संभावना की जांच करने का विचार अच्छा है, ताकि कम से कम भूमध्यसागर जैसी यात्राएं गैरजरूरी हो जाए.

यूरोपीय संघ के सदस्य देश यदि एक दूसरे से एकजुटता दिखाएं और मौजूदा कानूनों पर अमल करें तो शरणार्थियों की स्थिति सुधार सकते हैं. इस समय के डबलिन नियमों के तहत शरणार्थी के लिए वह देश जिम्मेदार है जहां वह पहली बार पहुंचता है. हर देश में शरण की प्रक्रिया चलाने की जरूरत होती है. इस नियम पर इटली, ग्रीस, हंगरी और दूसरे देश अमल नहीं कर रहे हैं. यूरोपीय अदालतें नियमित रूप से शरणार्थी कैंपों की बुरी हालत और शरण प्रक्रिया में खामियों की शिकायत कर रही हैं. इस साल इटली ने हजारों शरणार्थियों का पंजीकरण ही नहीं किया.

जर्मनी यूरोप के उन पांच देशों में है, जो इस समय बहुत से लोगों को शरण दे रहे हैं. सभी सदस्य देशों में शरणार्थियों के उचित बंटवारे में जोर दे रहे हैं. जिन देशों में इस समय कम शरणार्थी हैं, वे इसे मानने को तैयार नहीं. सवाल यह भी है कि किस शरणार्थी को किन शर्तों पर चुना जाए और क्या उन्हें उनकी मर्जी के बिना किसी भी देश में भेजा जा सकता है. क्या वे मौका मिलने पर अपनी पसंद के देश में नहीं पहुंच जाएंगे.

समाधान की तलाश

ये एक जटिल और मुश्किल समस्या से जुड़े सवाल हैं, जिस पर यूरोपीय संघ को अगले साल फौरी तौर पर विचार करना होगा. उसे तब तक इंतजार नहीं करना चाहिए जब वसंत में फिर से इटली के तट पर दुर्घटनाग्रस्त कोई जहाज स्थिति की गंभीरता को सामने लाएगा. यूरोपीय संघ की बाहरी सीमा पर लोग रोजाना मर रहे हैं. सरकारी आंकड़ों में सिर्फ उन्हें शामिल किया जाता है जो पाए जाते हैं, रजिस्टर किए जाते हैं और शरण की प्रक्रिया में शामिल होते हैं.

शरण की प्रक्रिया में शामिल हुए बिना भूमिगत हो जाने वाले अवैध आप्रवासियों की संख्या काफी है. यूरोपीय शरणार्थी परिषद के अनुसार वह शरणार्थियों के आधिकारिक आंकड़े से तीन चार गुनी ज्यादा है. यूरोपीय संघ को 20 साल के प्रयासों के बाद अब बेहतर शरणार्थी नीति तय करनी चाहिए और 2015 में समाधान पेश करने चाहिए. एक बात तय है - मध्य पूर्व, अफ्रीका और पूर्वी यूरोप में गहराते संकट के बीच दबाव और बढ़ेगा. ज्यादा शरणार्थी आएंगे. यूरोप को मानवीय बने रहने के लिए तैयारी करनी होगी.

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