काबुल में हमला
१८ जनवरी २०१४लेबनानी खाने के लिए मशहूर काबुल के तवेरना दू लिबान रेस्त्रां में घुस कर एक खुदकुश हमलावर ने विस्फोटकों से लदी अपनी जैकेट को उड़ा दिया. इससे घबराए ग्राहक टेबल के नीचे छिपने की कोशिश करने लगे. लेकिन तभी दो दूसरे आतंकवादियों ने होटल में घुस कर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. मरने वालों में दो अमेरिकी नागिरक, दो ब्रिटिश, कनाडा के दौ और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं. यूरोपीय पुलिस से जुड़े डेनमार्क के एक शख्स और एक रूसी नागिरक की भी मौत हो गई. संयुक्त राष्ट्र ने बयान जारी कर कहा है कि उसके चार कर्मचारियों की मौत हो गई है. हालांकि उसने उनकी नागरिकता नहीं बताई है.
इस हमले में लेबनान का होटल मालिक भी मारा गया. समझा जाता है कि जब आतंकवादियों ने हमला किया, तो उसने जवाबी कार्रवाई की कोशिश की.
तालिबान ने दावा किया है कि इस हमले में जर्मन नागरिक मारे गए हैं. तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा, "शुरुआती जानकारी के मुताबिक जर्मन नागरिक मारे गए हैं." हालांकि बर्लिन में जर्मन विदेश मंत्रालय ने तालिबान के इस दावे की पुष्टि नहीं की है.
रसोइए का बयान
होटल के 27 साल के रसोइए अतीकुल्लाह ने बताया, "हम रसोई में थे और अचानक जबरदस्त विस्फोट की आवाज आई. सब कुछ काला हो गया. हम लोग पिछले दरवाजे से ऊपर गए, जबकि मैनेजर देखने गए कि वहां क्या हो रहा है. फिर कुछ गोलियों की आवाज आई और बाद में पता चला कि वह मारे गए." अतीकुल्लाह ने बताया कि टेबल कुर्सी और हर जगह खून फैला था, जिससे लगता था कि लोगों को बहुत करीब से गोली मारी गई, "बाद में पुलिस हमें साथ ले गई ताकि हम लोगों की शिनाख्त कर सकें. हमने मारे गए तीन गार्डों को पहचाना."
तवेरना विदेशी राजनयिकों और अफगान लोगों के बीच काफी मशहूर है और शुक्रवार को यह भरा रहता है, जो अफगानिस्तान में छुट्टी का दिन होता है. काबुल के दूसरे रेस्त्रां की तरह यह भी बहुत कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच चलता है और यहां तक पहुंचने के लिए कम के कम दो स्टील के दरवाजे पार करने होते हैं.
काबुल पुलिस के प्रमुख मुहम्मद जाहिर ने शनिवार को बताया कि मरने वालों में पांच महिलाएं भी शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने इन हमलों की निंदा की है और कहा है कि नागरिकों पर किए गए हमलों को किसी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा क्योंकि "यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन" है.
लगभग 12 साल तक अफगानिस्तान में सैनिक कार्रवाई के बाद नाटो की सेना इस साल के आखिर में देश छोड़ रही है. इससे पहले पांच अप्रैल को देश में राष्ट्रपति चुनाव होना है और तालिबान पहले ही धमकी दे चुका है कि वह इसमें खलल डालने की कोशिश करेगा.
एजेए/आईबी (एपी, रॉयटर्स, एएफपी)