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कायम हैं हज की प्राचीन रस्में

३ मई २०१४

पेरिस में इन दिनों चल रही एक प्रदर्शनी मुसलमानों के तीर्थस्ल मक्का और हज की रिवायत से रूबरू करा रही है. प्रदर्शनी में दुर्लभ दस्तावेज, तस्वीरों और अन्य साधनों से हज की झलक दिखाई जा रही है.

तस्वीर: Reuters

वह भी समय था जब हजारों की तादाद में लोग ऊंटों पर सवार या पैदल हज करने पहुंचते थे. यातायात के साधन बढ़ने के साथ यह संख्या लाखों में हो गई और हर साल बढ़ती जा रही है. सस्ते हवाई टिकट और पानी के जहाज की सुविधा हर साल ज्यादा संख्या में दुनिया भर से लोगों को यहां इकट्ठा होने में मदद कर रही है. बदलते जमाने के बावजूद अपनी जगह कायम हैं हज की रस्में.

2012 में हज के लिए मक्का पहुंचने वालों की संख्या 30 लाख से ऊपर थी. इनमें से 16 लाख हज यात्री हवाई जहाज से आए. दिन में पांचों बार नमाज के वक्त अजान के अलावा 21,000 हरी और सफेद बत्तियां जलाई जाती हैं.

पेरिस में चल रही प्रदर्शनी हज के सभी पहलुओं को दिखा रही है. हर रोज इस्तेमाल में आने वाली चीजों में पहचान पत्र के अलावा पानी की बोतलें, मुफ्त में जगह जगह बंट रहा खाना और गाइड बुक्स होती हैं. ये चीजें पूरी प्रक्रिया के इंतजाम में शामिल लोगों में मानवीय भाव की ओर इशारा करता है.

तस्वीर: Reuters

प्रदर्शनी के क्यूरेटर उमर सागी ने बताया, "प्रदर्शनी में मौजूदा समय से लेकर 1500 साल पुरानी चीजों तक को दिखाया गया है. भावनाएं आज भी वही हैं." उन्होंने कहा, "हज के लिए हर मुसलमान के दिल में खास जगह है."

हज इस्लाम के पांच बुनियादी स्तंभों में एक है. कुरान के अनुसार, अगर सामर्थ्य हो, तो हर मुसलमान को जिंदगी में कम से कम एक बार हज जरूर करना चाहिए.

प्रदर्शनी में शामिल सदियों पुराने लघुचित्र और तीर्थयात्रा के बड़े बड़े प्रशंसापत्र इस ओर भी इशारा करते हैं कि कैसे हज कलाकारों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है. नए काम में 19वीं शताब्दी के फ्रांसीसी कलाकार लियोन बेली का काम 'पिल्ग्रिम्स गोइंग टू मक्का' शामिल है. इसमें लोगों के लंबे काफिले को ऊंट पर सवार और पैदल चलते हुए दिखाया गया है. इसमें कुछ इंस्टॉलेशंस भी शामिल की गई हैं.

तस्वीर: Fayez Nureldine/AFP/Getty Images

18वीं सदी में उस्मानी साम्राज्य में मक्का शहर का स्याही से बनाया गया नक्शा शहर को घनी आबादी वाले इलाके के रूप में पेश करता है. शहर के बीचों बीच मस्जिद अल हरम दिखती है. इस नक्शे को देख कर शहर में अब तक आए बदलाव समझने में मदद मिलती है. इस समय यह दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद है जो कि 88 एकड़ में फैली है.

सऊदी कलाकार अहमद माटर का फोटोग्राफी का काम भी मस्जिद की आधुनिक शक्ल दिखाता है. तस्वीरों में मस्जिद के आसपास काम में लगी क्रेन और आधी अधूरी इमारतें दिखती हैं.

तस्वीर की पृष्ठभूमि में दूर पहाड़ियों के पास अबराज अल बैत की मीनार दिखती है. इसकी ऊंचाई 601 मीटर है, यानि लंदन के बिग बेन टावर से छह गुना ज्यादा. इमारत में चमकती हुई 21,000 हरी और सफेद बत्तियों की चमक की वजह से इसे रात में करीब 30 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है.

प्रदर्शनी इस बात पर भी जोर देती है कि भले दुनिया तेजी से बदल रही हो, लेकिन हज की परंपरा और इसे निभाने के तौर तरीके आज भी वैसे ही हैं.

एसएफ/एजेए (एएफपी)

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