अच्छा मौसम होने के कारण यहां दुनिया भर के लोग घूमने भी आते हैं. जर्मनी के सबसे खुशहाल लोग श्टुटगार्ट में रहते हैं. कारण कई हैं.
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देश के दक्षिण पश्चिम में बसा श्टुटगार्ट शहर मर्सिडीज और पोर्शे जैसी कारों की नगरी है तो दूसरी ओर यहां पुराने महल और पार्क भी हैं. बाडेन वुर्टेमबर्ग प्रांत की राजधानी श्टुटगार्ट के कई चेहरे हैं. 6 लाख की आबादी वाले इस शहर में हमेशा रौनक लगी रहती है. यह लग्जरी कारों का जाना माना शहर है और साथ ही एक सांस्कृतिक केंद्र भी.
शहर के विकास के दौरान बने पुराने महल और बड़े बड़े पार्क तो यहां हैं ही. यॉर्न ग्रोसहंस को श्टुटगार्ट की यही खासियत आकर्षित करती है. वे यहां की एक कंपनी के लिए एनीमेशन एक्सपर्ट के रूप में काम करते हैं जो नामी अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के लिए विजुअल इफेक्ट्स पैदा करती है. यॉर्न ग्रोसहंस कहते हैं, "आप यहां हरे भरे पहाड़ों से घिरे हैं जिनपर अंगूर की खेती है. यह देखने में सचमुच बहुत अच्छा लगता है, इसकी खूबसूरती दक्षिणी यूरोप जैसी है."
विजुअल इफेक्ट्स सुपरवाइजर यॉर्न ग्रोसहंस उस टीम में थे जिसे 2011 में मार्टिन स्कॉरसेजी की 3डी फिल्म हूगो कैबरे में विजुअल इफेक्ट्स के लिए ऑस्कर मिला. इस समय वे अमेरिकी टीवी सीरियल के लिए काम कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें दो बार ऐमी पुरस्कार मिल चुका है जो अमेरिका का महत्वपूर्ण टेलिविजन पुरस्कार है.
काल्पनिक दुनिया बनाने के लिए प्रेरणा यॉर्न ग्रोसहंस श्टुटगार्ट से ही लेते हैं. वे कहते हैं, "वादियां कैसी दिखती हैं? दीवार कैसी दिखती है? रोशनी कैसा बर्ताव करती है, उसकी परछाईं कैसी होती है? कैसा दिखता है जब कोई किला दो तीन सौ साल तक मौसम की मार झेलता है? इस तरह की चीजों को हम विजुअल इफेक्ट के संदर्भ के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. उसी के आधार पर हम अपना डिजिटल किला बनाते हैं."
श्टुटगार्ट की सैर
मर्सिडीज और पोर्शे जैसी बड़ी कार कंपनियों के नाम जर्मनी के इस शहर से जुड़े हुए हैं. ना केवल ये महंगी कारें लोगों का दिल जीतती हैं, बल्कि श्टुटगार्ट की खूबसूरती भी सब को अपनी ओर खींचती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हरियाली के बीच
श्टुटगार्ट पहाड़ियों और अंगूर के बागानों के बीच बसा है. इस छोटे से शहर में हमेशा से निर्माण होता रहा है. यही वजह है कि यहां ऐतिहासिक और आधुनिक इमारतों का मिश्रण देखने को मिलता है.
तस्वीर: Stuttgart-Marketing Gmbh
पोर्शे म्यूजियम
कार कंपनी पोर्शे का मुख्यालय श्टुटगार्ट में ही है. 2009 में यहां पोर्शे म्यूजियम खोला गया. यहां कारें बस दूर से देखने के लिए खड़ी ही नहीं रहती, बल्कि इन्हें चला कर भी दिखाया भी जाता है.
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मर्सिडीज बेंज म्यूजियम
इसी तरह यहां मर्सिडीज का म्यूजियम भी है. इस जगह मर्सिडीज के 125 साल पुराने इतिहास को देखा और समझा जा सकता है. यहां 1800 त्रिकोणीय खिड़कियां लगी हैं और सब एक दूसरे से अलग हैं.
तस्वीर: Stuttgart-Marketing Gmbh
महल के बगीचे में
यह महल शहर के बीचोबीच है. गर्मियों में पूरे शहर के लोग इसके बगीचे में आ कर बैठना और आराम करना पसंद करते हैं. 50 के दशक में यहां एक होटल हुआ करता था. अब यहां वित्त मंत्रालय है.
तस्वीर: Stuttgart-Marketing Gmbh
पुराना महल
400 साल तक वुर्टेमबर्ग का शाही खानदान इसी महल में रहा करता था. यहां 16वीं सदी के पुनर्जागरण काल की झलक मिलती है. आज इसे भी म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया है.
तस्वीर: Stuttgart-Marketing Gmbh
शाही अंदाज
19वीं सदी के शाही अंदाज में बनी यह इमारत सभाओं के लिए बनाई गई थी. इसके ठीक पीछे एक पांच मंजिला शॉपिंग सेंटर है. कांच की इस इमारत को एकदम मॉडर्न लुक दिया गया है.
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शॉपिंग सेंटर
श्टुटगार्ट के लोग हर रोज जर्मनी के 18 मीटर ऊंटे हॉल वाले सबसे खूबसूरत शॉपिंग सेंटर में सामान खरीदने जा सकते हैं. आर्किटेक्ट मार्टिन एलजेसर की डिजायन की हुई यह इमारत 1914 में बनी थी.
तस्वीर: Stuttgart-Marketing GmbH
रेलवे स्टेशन
इसे 1928 में बनाया गया था. पिछले कुछ सालों से यह स्टेशन काफी चर्चा में रहा है. शहर के निवासी श्टुटगार्ट 21 नाम के प्रोजेक्ट के खिलाफ पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण आवाज उठा रहे हैं.
तस्वीर: Rose Hajdu
सिटी लाइब्रेरी
2011 में बनी इस आलीशान इमारत में पांच लाख से ज्यादा किताबें हैं. यहां रात को भी आया जा सकता है.
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श्टुटगार्ट के पुराने कासेल के आंगन में रखे किरदार टेलिविजन के बहुत से दर्शकों को जाने पहचाने लगेंगे क्योंकि उनका इस्तेमाल टाइटन ऑफ ब्रावोस की तरह टीवी सीरियल गेम्स ऑफ थ्रोन्स में हुआ है. यहां बहुत सारे फिल्मों के लायक सीन हैं. जैसे शहर के बीचोंबीच तीन विशालकाय इमारतों से घिरा यह श्लॉस स्क्वैयर, नया कासेल, पुराना कासेल और शाही कासेल.
नील्स कोल्डित्स/एमजे
चलेगी कार की मर्जी
अपने आप चलने वाली कारें पहले ही बन चुकी हैं. लेकिन अब भी बिना ड्राइवर वाली कारें सड़क पर उतारना आसान फैसला नहीं है. अगर ड्राइवरमुक्त कार का एक्सिडेंट हो जाए तो जिम्मेदारी किसकी होगी?
तस्वीर: media.daimler.com
ऑडी ए7
यह स्वचालित कार तमाम तरह के सेंसरों से लैस है. 2015 की शुरुआत में कार ने सिलिकॉन वैली से लास वेगास के सीईएस ट्रेड फेयर तक की करीब 600 मील की यात्रा पूरी की. किसी आपातकालीन स्थिति के लिए स्टियरिंग व्हील के पीछे एक इंसान को बैठाया गया था.
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मर्सिडीज बेंज का प्रोटोटाइप
एफ015 - मर्सिडीज बेंज के इस प्रारूप में देखा जा सकता है कि स्वचालित कार अंदर से कैसी दिखेगी. साफ देखा जा सकता है कि इसमें ड्राइवर के लिए तो कोई सीट ही नहीं बनी है. कार की अधिकतम गति सीमा 124 मील प्रति घंटा होगी.
तस्वीर: media.daimler.com
असली ट्रैफिक के लिए तैयार?
गूगल काफी समय से अपनी रोबोटिक कार का माउंटेनव्यू में ही परीक्षण कर रहा है. लेकिन अब तक हर बार उसने किसी इंसान को ट्राइवर की सीट पर बैठा कर ही ट्रायल किया है ताकि किसी एक्सीडेंट की स्थिति को संभाला जा सके.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
अधीर लोगों के लिए नहीं
स्वचालित कारें अब तक बहुत सुरक्षित साबित हुई हैं. उन्हें इस तरह प्रोग्राम किया गया है कि किसी गड़बड़ी के समय वे खुद बखुद ही धीमी हो जाएं और आसपास की गाड़ियों से हमेशा एक सुरक्षित दूरी बनाए रखें.
तस्वीर: imago/Jochen Tack
टक्कर से बचाए
कई बार धुंध जैसी स्थिति में ड्राइवर को ठीक से दिखाई ना देने के कारण या तेज स्पीड में कार चलाने के कारण कारों की टक्कर हो जाती है. सूझबूझ और सावधानी से चलने वाली ये रोबोटिक कारें ऐसी गलतियां नहीं करतीं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
भविष्य की कार- मेड इन जर्मनी
ऑटोकंपनी डाएम्लर अपनी कारों को सुरक्षित बनाने के लिए इसमें ऑप्टिकल कैमरे लगा रही है. विंडशील्ड के पीछे लगे सेंसर से पता चलता है कि रोड पर क्या हो रहा है. इस एक्टिव ट्रैफिक सेफ्टी सिस्टम के लिए डाएम्लर को 2011 में जर्मन इंवेशन अवॉर्ड के लिए मनोनीत किया गया था.
तस्वीर: Deutscher Zukunftspreis/Ansgar Pudenz
पिक्सलों का आंदोलन
गाड़ी के सेंसर पिक्सलों के बादल को पहचानते हैं. कंप्यूटर इस पर नजर रखते हैं कि उनको मिल रही तस्वीरों में पिक्सलों की स्थिति कितनी तेजी से बदलती है. इसी से कंप्यूटर को कार के आसपास की पूरी तस्वीर समझ आती है.