भारत सरकार ने काले धन पर लगाम कसने के अपने वायदे के तहत विदेशी खातों की जानकारी लेने के अलावा देश के लोगों को 30 सितंबर तक अपनी अघोषित आय का ब्यौरा देने का वक्त दिया है.
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प्रधानमंत्री मोदी ने अघोषित आय का ब्यौरा देने के लिए तय 30 सितंबर तक की मोहलत के बारे में साफ किया कि यह अंतिम मौका है. इस तारीख तक स्वेच्छा से सामने आकर टैक्स प्रशासन को अपनी अघोषित आय या संपत्ति के बारे में बताकर उस पर निर्धारित टैक्स चुकाकर कार्रवाई से बचा जा सकता है. इस दौरान खुलासा करने पर आय के स्रोत के बारे में भी नहीं बताना होगा.
अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में मोदी ने एक बार जुर्माना देकर काले धन के बोझ से मुक्त हो जाने की सलाह दी. उन्होंने दोहराया, "मैंने वादा किया है कि अगर खुद से बताएंगे तो अघोषित आय और संपत्ति के बारे में आगे कोई जांच नहीं होगी. इसीलिए मैं कहता हूं कि एक पारदर्शी तंत्र का हिस्सा बनने का यह बहुत अच्छा मौका है."
कालेधन में भारत चौथा
एक अमेरिकी थिंकटैंक ने कालेधन पर रिपोर्ट जारी की है. ग्लोबल फाइनेंशियल इंटिग्रिटी की रिपोर्ट के अनुसार 2004 से 2013 तक कालेधन के वार्षिक प्रवाह के मामले में भारत चौथे नंबर पर है. करचोरी, अपराध और भ्रष्टाचार मुख्य रास्ता.
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1. चीन
139 अरब डॉलर
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2. रूस
104 अरब डॉलर
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3. मेक्सिको
52.8 अरब डॉलर
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4. भारत
51 अरब डॉलर
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5. मलेशिया
41 अरब डॉलर
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6. ब्राजील
22 अरब डॉलर
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7. दक्षिण अफ्रीका
20 अरब डॉलर
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8. थाइलैंड
19 अरब डॉलर
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9. इंडोनेशिया
18 अरब डॉलर
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10. नाइजीरिया
17 अरब डॉलर
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उन्होंने बताया कि बीजेपी सांसदों को यह खास ताकीद भी दी है कि जो लोग 30 सितंबर तक नियम का पालन नहीं करते, उन्हें किसी तरह की मदद ना दी जाए. प्रधानमंत्री ने माना कि एक समय में टैक्स नियम ऐसे थे कि लोग कर चुकाने से बचते थे, और दावा किया कि "अब वक्त बदल चुका है." अपने रेडियो संबोधन में मोदी ने यह भी बताया कि उन्होंने इनकम टैक्स, कस्टम और एक्साइज के अधिकारियों से बात कर उन्हें लोगों को "चोर" ना समझने और भरोसा रखने को कहा है. उन्हें जनता के साथ भरोसे का माहौल बनाने को कहा गया है.
टैक्स विभाग से प्रधानमंत्री को मिली जानकारी के अनुसार करीब 1.25 अरब भारतीयों में केवल 1.5 लाख लोगों के ही पास 50 लाख से ऊपर की कर योग्य आय है. इस पर मोदी ने कहा, "यह कोई नहीं मानेगा. बड़े शहरों में ही ऐसे कई लाख लोग होंगे जिनकी कर योग्य आय 50 लाख से अधिक होगी." ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से पहले सरकार उन्हें एक आखिरी मौका देना चाहती है.
इन तरीकों से होती है मनी लॉन्डरिंग
पनामा फाइल लीक्स के बाद से दुनिया भर के रईसों की पोल एक एक कर खुल रही है. लेकिन आखिर ये लोग अरबों की धनराशि को सरकार से छिपा कर गायब करते कैसे हैं? जानिए, मनी लॉन्डरिंग के कुछ तरीकों के बारे में.
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काले धन का निवेश
जिस धन को वैध रूप से दिखाया नहीं जा सकता, आखिर उसका क्या किया जाए? दुनियाभर के अधिकतर धनी लोग इसे या तो स्टॉक एक्सचेंज में लगा देते हैं या फिर किसी तरह के जुए में. अक्सर किसी दूसरे के नाम पर नाइटक्लब या फिर बार भी खरीद लिए जाते हैं. और कहीं दूर बड़ा सा घर खरीदने का विकल्प तो सब जानते ही हैं.
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पैसे की मारी दुनिया
सिर्फ माफिया या ड्रग डीलरों को ही काले धन से निपटने की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि भ्रष्ट नेता और कई अभिनेता भी ऐसा करते हैं. चीन में पाया गया है कि 2002 से 2011 के बीच करीब 1,800 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर धनराशि अवैध रूप से देश के बाहर गयी. इसी दौरान रूस को 880 अरब डॉलर का चपत लगी. पूरी दुनिया की बात करें तो 5,400 अरब डॉलर काला धन है.
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कर चोरी के स्वर्ग
इन्हें आम भाषा में टैक्स हेवन कहा जाता है क्योंकि यहां करों की दर बहुत ही कम होती है. पनामा के अलावा हॉन्ग कॉन्ग भी इसके लिए मशहूर है. किसी के भी नाम पर एक नई कंपनी खोल दी जाती है और काला धन उसमें ट्रांसफर कर दिया जाता है. कंपनी का सक्रिय होना जरूरी नहीं है, बस एक नाम चाहिए, एक पता और बैंक अकाउंट.
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चीन के जंकेट
मकाऊ के कसीनो में मनी लॉन्डरिंग के लिए एक ट्रिक है. दरअसल चीन में एक बार में 20,000 युआन से अधिक देश से बाहर नहीं ले जाया जा सकता. ऐसे में लोग जुआ खेलने के मकसद से जंकेट को पैसा ट्रांसफर करते हैं. जंकेट इसे कसीनो के सिक्कों में तब्दील कर देता है. जुए में जीती गयी राशि भी इन सिक्कों के रूप में ही मिलती है, जिसे आसानी से हॉन्ग कॉन्ग ले जा कर डॉलर में कन्वर्ट कराया जा सकता है.
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स्मर्फ की मदद से
जी नहीं, यहां नीले रंग के कार्टून किरदार की बात नहीं हो रही है, बल्कि स्मर्फ मनी लॉन्डरिंग में बड़ी भूमिका निभाते हैं. इनका काम होता है अपने क्लाइंट की धनराशि को छोटे छोटे टुकड़ों में बांट कर अलग अलग अकाउंटों में जमा कराना. एक व्यक्ति के लिए एक साथ कई स्मर्फ काम कर सकते हैं और क्योंकि राशि धीरे धीरे अलग अलग सूत्रों के जरिये डिपॉजिट होती है, इसलिए कोई शक भी पैदा नहीं होता.
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हीरे की चमक
धन काला हो या सफेद, भारत में भी सोने चांदी और हीरे के आभूषण निवेश के मकसद से खरीदे जाते रहे हैं. 2008 की एक रिपोर्ट बताती है कि कैसे स्विस बैंक अक्सर अपने कस्टमर को हीरों में निवेश करने की सलाह देते हैं क्योंकि इन्हें पैसे की तुलना में आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है. हवाई अड्डों पर कई बार टूथपेस्ट की ट्यूब में हीरे छिपा कर तस्करी की जाती है.
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भारत का इनकम टैक्स विभाग संभावित करदाताओं को आकर्षित करने के लिए कई नए प्रयास कर रहा है. घरेलू ब्लैक मनी विंडो के इस्तेमाल को उनके लिए गोपनीय और परेशानी मुक्त बनाया जा रहा है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने अमीरों के आने जाने की जगहों जैसे महंगे क्लबों, पॉश बाजारों, बड़े ब्रांड के शोरुमों तक में इसके पोस्टर लगाए जाने की योजना बनाई है.
सीबीडीटी की चार सूत्री रणनीति में अघोषित आय या संपत्ति का ब्यौरा देने वालों की गोपनीयता बरकरार रखने के लिए एक सिंगल प्वाइंट कॉन्टैक्ट देने, देश भर में सुविधा केंद्र बनाने, योजना का विस्तृत प्रचार करने और उच्च स्तर पर इसकी निगरानी करना शामिल है. इस साल के आम बजट में घोषित हुई इस योजना का आरम्भ 1 जून से हुआ. 30 सितंबर तक टैक्स और 45 फीसदी पेनाल्टी देकर काले धन से मुक्ति पाया जा सकेगा.
जून में ही अपने स्विट्जरलैंड दौरे के समय पीएम मोदी ने स्विस सरकार से भारतीयों के विदेशी खातों में पड़े काले धन के बारे में जानकारी देने के लिए सहयोग बढ़ाने पर बात की थी. विदेशों में जमा काला धन भारत वापस लाना 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान मोदी के जनता से किए प्रमुख चुनावी वादों में से एक था.