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"काश मैं कसाब को तभी मार देता"

२६ नवम्बर २०१०

2008 में 26 नवंबर की रात जब पुलिस को समझ में नहीं आ रहा था कि हर जगह हो रही गोलीबारी का जवाब कैसे दिया जाए, तब रेलवे पुलिस का एक अदना सा सिपाही छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर टूटी सी राइफल से कसाब से भिड़ गया था.

तस्वीर: AP

अजमल आमिर कसाब और उसके साथी अबु इस्माइल ने सबसे पहले सीएसटी स्टेशन पर हमला किया. उनका मुकाबला आरपीएफ के सिपाही जीलू यादव अपने साथी की एक पुरानी सी राइफल से कर रहे थे. यादव को उस लड़ाई के बाद बस एक ही अफसोस है कि वह कसाब को तभी मार नहीं पाए.

जीलू यादव कहते हैं, "काश मुझे उसी वक्त कसाब और उसके साथी को सीएसटी पर ही मार देने का मौका मिला होता. अगर मैं ऐसा कर पाता तो काफी लोगों की जिंदगी बचा पाता. शायद उनमें एटीएस चीफ हेमंत करकरे भी होते." कसाब और इस्माइल ने सीएसटी पर 50 लोगों को मार डाला था. 55 साल के जीलू यादव ने बड़ी बहादुरी से कसाब का मुकाबला किया. इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया. उन्हें राष्ट्रपति पुलिस मेडल और 10 लाख रुपये मिले.

उस वक्त यादव अपनी ड्यूटी पर थे. जब उन्हें गोलियों की आवाज सुनाई दी तो वह फौरन प्लेटफॉर्म की ओर दौड़े. उन्होंने देखा कि दो लोग यात्रियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा रहे हैं. उस मरहले को याद करते यादव कहते हैं, "मेरे हाथ में कोई हथियार नहीं था. जब मैंने झांक कर देखा कि वे दोनों बेधड़क प्लेटफॉर्म पर टहल रहे थे. वे अंधाधुंध गोलियां चला रहे थे. उन्हें कोई खौफ नहीं था."

तभी यादव ने देखा कि जीआरपी का एक सिपाही .303 राइफल लिए वहीं खड़ा था. यादव ने उससे राइफल छीन ली और कसाब पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. इसके बाद कसाब और इस्माइल सीएसटी से कामा अस्पताल की ओर चले गए.

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी मुंबई यात्रा के दौरान मुंबई हमलों से जुड़े कुछ लोगों से मुलाकात की थी. उनमें जीलू यादव भी शामिल थे. उस मुलाकात के बारे में यादव बताते हैं, "मुझे उनसे मिलकर अच्छा लगा. काश मैं अपने राष्ट्रपति से भी मिल पाता. उम्मीद है मेरी यह इच्छा भी कभी पूरी होगी."

जीलू यादव को अब प्रमोशन देकर असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर बना दिया गया है.

रिपोर्टः पीटीआई/वी कुमार

संपादनः महेश झा

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