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कितना अच्छा होता यदि मैं क्वांट होती

६ अगस्त २०१५

वह जर्मनी की सबसे रईस लोगों में एक थी. बीएमडब्ल्यू कार कंपनी विरासत में मिली थी और सामाजिक कल्याण के लिए धन देने वालों में उनका नाम था. योहान्ना क्वांट का 89 साल की उम्र में सोमवार को निधन हो गया.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/W. Kumm

दुनिया की प्रमुख लक्जरी कार निर्माता कंपनी की प्रमुख के रूप में योहान्ना क्वांट ने नाम कमाया. उन्होंने 1950 के दशक में जर्मन उद्यमी हैरबर्ट क्वांट के लिए काम करना शुरू किया और उनकी निकटता इतनी बढ़ी कि 1960 में दोनों ने शादी कर ली. 1982 में हैरबर्ट क्वांट की मौत के बाद योहान्ना और उनके बच्चों श्टेफान क्वांट और सपजाने क्लाटेन को कार कंपनी बीएमडब्ल्यू में बहुमत शेयर मिले. योहान्ना ने लक्जरी कार कंपनी के बोर्ड पर जिम्मेदारी संभाली. 1997 में वह रिटायर हो गईं और अपनी जिम्मेदारी बच्चों को सौंप दी.

कंपनी के प्रमुख अधिकारियों ने कहा है कि बहुमत शेयरधारी योहान्ना क्वांट कंपनी में उत्साह और जोश लेकर आईं और कंपनी को समर्थन और सुरक्षा की भावना दी. ट्रेड यूनियन प्रतिनिधि मानफ्रेड शॉख ने भी अपनी सादगी के लिए मशहूर क्वांट की तारीफ करते हुए कहा है कि अलग अलग हित होने के बावजूद उन्होंने कभी पांव के नीचे की जमीन नहीं खोई और मुश्किल समय में कर्मचारियों के हितों का ख्याल रखा.

श्टेफान और सुजाने के साथ योहान्ना क्वांटतस्वीर: imago

बीएमडब्ल्यू दुनिया की सफल कार कंपनियों में शामिल है. इस साल भी कंपनी बिक्री और मुनाफे का नया रिकॉर्ड बनाने के रास्ते पर है. अमेरिकी आर्थिक पत्रिका फोर्ब्स के अनुसार योहान्ना क्वांट 10 अरब यूरो की संपत्ति के साथ जर्मनी के सबसे धनी लोगों में शामिल थीं. इस सूची में उनके दोनों बच्चे भी हैं.

योहान्ना क्वांट सामाजिक क्षेत्र में भी परोपकारी कामों में लगी थीं. अपनी वित्तीय मदद के जरिए वे युवा पत्रकारों को प्रोत्साहन देती थीं. इसके अलावा वे कैंसर पीड़ित बच्चों की मदद के अलावा चिकित्सा और चिकित्सा शोध में भी मदद करती थीं. उन्हें जर्मनी के प्रमुख नागरिक सम्मान बुंडेसफरडिंत्सक्रॉयत्स सहित कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था.

योहान्ना क्वांट का कहना था, "संपत्ति रखने का मतलब सामाजिक जिम्मेदारी भी होता है." यह जिम्मेदारी वह निभा रही थी. उनके बेटे श्टेफान ने उनकी 80वीं जन्मदिन पर कहा था, "दूसरे लोगों में मेरी मां की जितनी बड़ी दिलचस्पी थी, उतना ही कम उन्हें यह समझ में आता था कि लोगों की उनमें दिलचस्पी क्यों हो." जब उनसे पूछा जाता कि क्या वे श्रीमती क्वांट हैं तो उनका जवाब होता, "ओहो, ये कितना अच्छा होता."

एमजे/आईबी (डीपीए)

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