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कितना खतरनाक है परमाणु संयंत्र में धमाका

१२ मार्च २०११

शनिवार को हुए धमाके के बाद टोक्यो के उत्तर में बने परमाणु बिजली घर से रिसाव होने लगा है. इस हादसे के बाद लोगों में डर है और हजारों लोग अपना घर छोड़ कर सुरक्षित स्थानों की ओऱ निकल गये हैं. आखिर कितना बड़ा है ये खतरा.

तस्वीर: AP

लंदन के इंपीरियल कॉलेज में मैटेरियल फिजिक्स के प्रोफेसर रॉबिन ग्राइम हादसे के कारणों के बारे में कहते हैं, " लगता नहीं कि बैक अप जेनरेटर काम कर पाएंगे क्योंकि उन्होंने काम करना शुरु किया लेकिन बाद में फेल हो गए. इसका मतलब है रिएक्टर में धीरे धीरे दबाव और तापमान बढ़ा. मुमकिन है कि भारी मात्रा में एक साथ दबाव बाहर निकला हो. अगर ऐसा है तो ज्यादा जोखिम की बात नहीं है." ग्राइम विकिरण से होने वाले खतरों के जानकार माने जाते हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि बाहरी हिस्से के नुकसान पहुंचने के बावजूद जब तक अंदर का हिस्सा सुरक्षित है विकिरण काबू में रहेगा. इस वक्त तो यही लग रहा है कि भाप के ज्यादा दबाव के कारण ही छत उड़ी है. बस विकिरण की मात्रा पर लगातार निगाह रखनी होगी.

तस्वीर: AP

प्लांट के भीतर की कोई जानकारी नहीं

ब्रिटेन की सर्रे यूनिवर्सिटी में न्यूक्लियर साइंस के प्रोफेसर पैडी रीगन इस बारे में कहते हैं कि सबसे पहले ये देखना होगा कि धमाका कहां हुआ है. रीगन ने स्काई न्यूज से बातचीत में कहा, "अभी तक ये नहीं पता चल सका है कि धमाका कहां हुआ है. अगर दबाव वाले पात्र में धमाका हुआ है तो बड़ी समस्या हो सकती है लेकिन फिलहाल लगता नहीं कि ऐसा हुआ है. दबाव वाले पात्र में परमाणु ईंधन रहता है अगर इसमें धमाका हो गया तो बड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी पदार्थ बाहर निकलेगा और तब ये चेर्नोबिल जैसा हादसा हो जाएगा जिससे भारी नुकसान होगा. टीवी पर दिखाई जा रही तस्वीरों से ऐसा नहीं लगता कि इन बर्तनों को कोई नुकसान पहुंचा है." रीगन ने कहा कि मीडिया में आ रही खबरों से परमाणु ईंधन के मामूली रिसाव की बात सामने आ रही है जिससे ज्यादा नुकसान होने की आशंका नहीं है.

अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए कार्नेगी फंड से जुड़े परमाणु जानकार मार्क हिब्स ने इस हादसे के बारे में कहा है, "प्लांट के भीतर की अब तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है. अगर ये पिघला है तो इस बात की आशंका है कि विकिरण प्लांट के बाहर फैलेगा और ऐसा तब हो सकता है जब प्लांट की संरचना कमजोर हो... ऐसी स्थिति में नुकसान बड़ा हो सकता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ईशा भाटिया

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