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कितना जरूरी है टाइम मैनेजमेंट

१ अगस्त २०१०

बीता समय दोबारा नहीं आता. लेकिन समय का सही इस्तेमाल हो जाए तो फिर वह हमेशा साथ होता है. ज्यादातर बार लोग वक्त का सही इस्तेमाल नहीं करते और अगर कर लें तो.. कामयाबी.

तस्वीर: picture-alliance/ dpa

दुनिया में अगर सबसे कीमती कोई चीज है तो वह है वक्त. वक्त पर कोई काम न करें, तो बाद में निराशा के अलावा कुछ हाथ नहीं आता. सब कुछ वक्त पर हो, इसके लिए जरूरी है कि टाइम को सही से मैनेज करें.

सब की जरूरत

अब आप चाहे स्कूल, कॉलेज की पढ़ाई कर रहे हों, शानदार करियर बनाने की सोच रहे हों या फिर नौकरी पेशा हों, सब के लिए टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है. संकेत शर्मा एक प्राइवेट एफएम स्टेशन में काम करते हैं वह कहते हैं, "अकसर मुझे काम करते करते रात के बारह या एक बज जाते हैं. लेकिन मैंने देखा है कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मैं दिन में अपना काम सही समय पर नहीं करता हूं. अगर मेरा टाइम मैनेजमेंट ठीक हो जाए तो सब कुछ ठीक हो जाएगा. इस पर अब मैंने ध्यान देना शुरू कर दिया है."

जब कोई अपने स्कूल, कॉलेज या फिर कॉम्पिटिशन के एग्जाम में फेल हो जाता है तो 100 में 90 फीसदी लोग यही कहते हैं कि तैयारी के लिए ज्यादा टाइम नहीं मिला. लेकिन वे लोग यह क्यों भूल जाते हैं कि उस एग्जाम में कामयाब होने वाले लोगों को भी तो उतना ही वक्त मिला था. हां, हो सकता है कि उन्होंने अपने उस समय का ठीक से इस्तेमाल किया हो. पवन प्रणव इन दिनों प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है. वह कहते हैं, "अगर आपने कोई लक्ष्य तय कर रखा है तो फिर टाइम मैनेजमेंट पर तो ध्यान देना ही होगा."

सबके लिए जरूरी है टाइम मैनेजमेंटतस्वीर: Getty

लक्ष्य पर निशाना

टाइम मैनेजमेंट का मतलब है स्पष्ट तौर पर तय किए गए लक्ष्यों को एक निश्चित समय में सफलतापूर्वक हासिल करना. असल में ये दोनों बातें एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं. अगर लक्ष्य नहीं होगा तो टाइम मैनेजमेंट की जरूरत ही नहीं होगी. टाइम को ठीक से मैनेज नहीं करेंगे तो लक्ष्य पाना मश्किल हो जाएगा. मैनेजमेंट प्रोफेशनल दिव्या टेगटा कहती हैं कि लक्ष्य या फिर प्राथमिकताएं तय करना टाइम मैनेमेंट की पहली सीढी है. उनके मुताबिक, "लक्ष्य तय हो तो उसे पाने का रास्ता आप आसानी से तैयार कर सकते हैं."

इसके बाद आप अपने लिए एक रूटीन तैयार कर लें. और इसका यह मतलब कतई नहीं, एक टाइम टेबल बनाकर दीवार या अपनी मेज पर लगा लें और उस पर अमल करना भूल ही जाएं. ऐसा करेंगे तो आपकी मंजिल आपसे कोसों नहीं, मीलों दूर हो जाएगी. इसलिए अपने रूटीन पर बिल्कुल फोकस रह कर अमल कीजिए. यही टाइम मैनेजमेंट का की-फैक्टर है.

हो सकता है कि कई बार अनचाही परिस्थियों या फिर अचानक आ पड़े काम की वजह से आपका रूटीन गड़बड़ा जाए. तो ऐसे में क्या करें. पवन कहते हैं, "जरूरी है कि हर हफ्ते का विश्लेषण करें. आप देखें कि पिछले हफ्ते में अगर आप अपने रुटीन पर पूरी तरह अमल नहीं पाए हैं तो उस रही सही कसर को आने वाले हफ्ते में पूरा कर लीजिए."

मौज मस्ती भी जरूरी

वैसे इंसान दिन भर रोबोट की तरह भी काम नहीं कर सकता. आप अपनी दिलचस्पी के काम भी करना चाहेंगे. यह दिमाग को तरोताजा करने के लिए बेहद जरूरी भी है. दिव्या को कई बार अपने ऑफिस में नौ नौ घंटे काम करना पड़ता है लेकिन फिर भी वह अपने पसंद के कामों के लिए वक्त आराम से निकाल लेती है. अब से नहीं, कॉलेज के जमाने से ही. क्योंकि उन्होंने अपनी हॉबीज को अपने टाइम मैनेजमेंट का हिस्सा बना रखा है. वह कहती हैं, "कभी आपका मूड घूमने फिरने का करता है. कभी दोस्तों से मिलने जाना है या फिर कोई आपके घर आ गया है और उसके साथ गपशप करने का मन है तो इस सबके लिए आप अपने रूटीन में एक दिन तय कर सकते हैं. वैसे भी छह दिन आप ईमानदारी से अपने रूटीन पर अमल करते हैं तो एक दिन मौज मस्ती करने का भी होना चाहिए."

मौज मस्ती के लिए भी निकालें वक्ततस्वीर: Getty

वैसे यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे छात्रों के बारे में जानकारों का मानना है कि अगर उनके पास चार विषय हैं और एक हफ्ते में वे एक सब्जेक्ट को 12 से 15 घंटे देते हैं तो उनका बेड़ा पार है. इसमें आपकी कॉलेज की क्लासें भी शामिल हैं. और किसी भी क्लास या सेमेस्टर में इतना टाइम आराम से होता है कि आप अच्छे से पढ़ाई कर सकें.

जिंदगी करें आसान

टाइम मैंनेजमेंट के हिसाब से चलेंगे तो जिंदगी आसान हो जाएगी. दिव्या कहती हैं कि आज की पीढ़ी के लिए टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है. उन्हें एक साथ बहुत सारे काम करने हैं. उनका करियर भी है, दोस्त भी हैं और परिवार भी हैं. ऐसे में समय का सही से इस्तेमाल तभी हो सकेगा जब आप बाकायदा एक रूटीन के साथ चलें.

वैसे भी अगर आप तय वक्त पर अपना काम खत्म कर लेंगे तो इससे तनाव भी कम होगा और खेल कूद और मौज मस्ती के लिए पर्याप्त टाइम मिलेगा. वरना तो होता यह है कि कई छात्र मौज मस्ती में ही सारा वक्त गुजार देते हैं और जब इम्तहान करीब आते हैं तो झटपट पढ़ाई करने की सोचते हैं. लेकिन सब कुछ झटपट कहां होता है, और होता भी है तो उतना तसल्ली बख्श नहीं. टाइम मैनेजमेंट ठीक होगा तो ऐसी नौबत नहीं आएगी.

रिपोर्टः हलो जिंदगी डेस्क

संपादनः ए जमाल

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