पैराडाइज पेपर्स के नाम से जो गुप्त दस्तावेज सामने आये हैं, उन्होंने दुनियाभर के तमाम राजनेताओं और चर्चित लोगों की टैक्स गतिविधियों पर रोशनी डाली है. लेकिन अब तक जो भी सवाल उठ रहे हैं वे कानूनी कम नैतिक ज्यादा है.
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आज से 18 महीने पहले पनामा पेपर्स और अब पैराडाइज पेपर्स. इन दस्तावेजों ने दुनिया में होने वाली ऑफशोर अकाउंटिग पर एक बार फिर चर्चा छेड़ दी है. ये टैक्स हेवन देश अपने अमीर और रसूखदार ग्राहकों के लिए एक बेहतरीन शरण स्थल के रूप में काम करते हैं. पैराडाइज पेपर्स लेनदेन का ऐसा ब्योरा हैं, जो यह बता सकता है कि किस तरह टैक्स से बचने के लिये पैसों का लेनदेन किया गया. इस पूरे खुलासे ने समाचारपत्रों और एजेंसियों को कुछ दिन का मसाला तो दे ही दिया है. हालांकि इन कागजों में सामने आये नामों के लिये आने वाला वक्त कठिन रह सकता है. इन्हें कभी जांच तो कभी शर्मिंदगी से भी गुजरना पड़ सकता है. क्योंकि ये अधिकतर ऐसे लोग हैं जो अपने मुश्किल वक्त में भी लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करते हैं. लेकिन सवाल है कि अब तक जो भी सामने आया है, क्या वह वास्तव में गैरकानूनी है? या जिन सवालों को उठाया जा रहा है, क्या वे वाकई कानूनी हैं या उनका संबंध सिर्फ नैतिकता से है?
क्या होगा असर?
पनामा पेपर्स में जिनके भी नाम सामने आये वे इसे अच्छे से समझते हैं. पनामा पेपर्स का असर काफी हद तक दिखा है. इन्हीं दस्तावेजों पर टिप्पणी करते हुए तात्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि वैश्विक स्तर पर टैक्स से बचने के तरीके अब एक समस्या बन गये हैं लेकिन असल समस्या यह है कि ये सारा मामला कानूनी है, इसमें गैर कानूनी कुछ नहीं है." लेकिन अब तक जो कुछ भी सामने आया है, वह बहुतों की नजर में सही नहीं है या यह कहिए की अनैतिक और गलत है. लेकिन अगर टैक्स एक्सपर्ट्स से पूछा जाये कि क्या ये गैरकानूनी है, तो अधिकतर मामलों में जवाब होगा, यह गैरकानूनी नहीं है. इसमें ब्रिटेन की महारानी ने जिन एक करोड़ यूरो को कैमेन आयलैंड और बरमूडा की कंपनियों में निवेश किया है, वह भी गलत नहीं माना जा सकता.
पैराडाइज पेपर्स में कुछ बड़े नाम
खोजी पत्रकारों के एक दल ने कुछ गोपनीय दस्तावेज जारी किये हैं जो अजीबोगरीब निवेश और टैक्स बचाने के तरीकों पर रोशनी डालते हैं. इसी दल ने पनामा पेपर्स भी जारी किये थे.
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बोनो
रॉक ग्रुप यू2 के सदस्य और एक्टिविस्ट बोनो का नाम पैराडाइज पेपर्स में शामिल कुछ विख्यात नामों में है. बोनो ने माल्टा की एक कंपनी में निवेश किया जिसका नाम न्यूड इस्टेट्स है. गायक के प्रवक्ता ने गलत काम किये जाने से इंकार किया है.
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अमेरिकी वाणिज्य मंत्री
राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस का नाम रूसी गैस कंपनी साइबर में उनकी दिलचस्पी के कारण आया है. रॉस पर अपने रूसी संपर्कों को कांग्रेस से छुपाने का आरोप लगा है. उन्होंने कहा है कि उस कंपनी पर अमेरिकी प्रतिबंध नहीं था.
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ब्रिटेन की महारानी
क्वीन एलिजाबेथ की आय उनकी निजी इस्टेट डची ऑफ लैंकेस्टर से होती है. पैराडाइज पेपर्स के अनुसार डची ने बरमुडा और केमन द्वीप पर ऑफशोर अकाउंट में 1 करोड़ पाउंड का निवेश किया. इस्टेट का कहना है कि सारे निवेश कानूनी थे.
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फॉर्मूला वन चैंपियन
मोटर रेस फॉर्मूला वन के मौजूदा चैंपियन लुइस हैमिल्टन ने अपने निजी जेट पर दिया जाने वाला टैक्स, टैक्स बचाने की एक स्कीम के जरिये बचाया. लीक दस्तावेजों के अनुसार हैमिल्टन ने 2013 में प्लेन को आइल ऑफ मैन में आयात कर 33 लाख पाउंड बचाया.
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जर्मनी के पूर्व चांसलर
1998 से 2005 तक जर्मनी के चांसलर रहे गेरहार्ड श्रोएडर का नाम रूसी ब्रिटिश ऊर्जा कंपनी टीएनके-बीपी के प्रबंधन में 2009 में उनकी भूमिका के कारण है. इस कंपनी को बाद में रूस की रोसनेफ्ट ने खरीद लिया. श्रोएडर अब उस कंपनी में बोर्ड के स्वतंत्र डायरेक्टर हैं.
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कोलंबिया के राष्ट्रपति
पैराडाइज पेपर्स के अनुसार कोलंबिया के राष्ट्रपति खुआन मानुएल सांतोस का नाम बारहैडोस की दो ऑफशोर कंपनियों के डायरेक्टर के रूप में दर्ज हैं. उन्होंने पहले कहा था कि 2000 में देश का वित्त मंत्री के बाद उन्होंने कंपनी से नाता तोड़ लिया था.
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रईसों का लाइफस्टाइल
पैराडाइज पेपर्स में जिन नामों का पर्दाफाश हुआ है सिर्फ उनकी अवैध गतिविधियों के बारे में जानकारी नहीं दी गयी है. लेकिन वे निवेश के कुछ अजीबोगरीब तरीकों और माइक्रोसॉफ्ट के सह संस्थापक पॉल एलन के यॉट सहित दुनिया के रईसों की लग्जरी संपत्ति की जानकारी देते हैं.
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मैडोना
पैराडाइड पेपर्स में जिन अजीबोगरीब निवेशों का जिक्र है उनमें एक मेडिकल सप्लाई कंपनी में गायिका मैडोना का निवेश शामिल है. जबकि अभिनेत्री कायरा नाइटली के शेयर जर्सी की एक रियल इस्टेट कंपनी में हैं.
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अर्थशास्त्र की किताबों में टैक्स से बचने को कानूनी बताया गया है. किताबें टैक्स संबंधी मसलों पर गलत जानकारी देना गैरकानूनी मानती हैं. इसी की तर्ज पर मोसांका फोंसका जैसी ऑफशोर कंपनियां काम करती हैं. गौर करने वाली बात यह है कि पैराडाइज पेपर्स न सिर्फ लोगों के धन ठिकानों की जानकारी देते हैं, बल्कि ये भी बताते हैं कि कैसे टैक्स से बचते हुए ऑफशोर ठिकाने में धन भेजा जाता है.
कब तक कानूनी?
लेकिन कब तक ये तरीके कानूनी रहेंगे, यह कहना फिलहाल अभी मुश्किल है. पनामा पेपर्स के बाद अब पैराडाइज पेपर्स में राजनेताओं और अमीर लोगों के नाम आने के बाद लगातार सरकारों पर यह दवाब बढ़ने लगा है कि वे अब इसके नियमन को लेकर कानून तय करें. पनामा पेपर्स के जारी होने के बाद तकरीबन 300 अर्थशास्त्रियों ने दुनिया के तमाम नेताओं को चिट्ठी लिख कर वैश्विक टैक्स नीति में सुधार पर बल दिया था. अर्थशास्त्रियों ने कहा. "टैक्स हेवन की मौजूदगी दुनिया में आमदनी को नहीं बढ़ा रही है और न ही कोई आर्थिक उद्देश्य को पूरा कर रही है." अर्थशास्त्रियों के लिए, ऑफशोर कंपनियों की अपने विदेशी ग्राहकों के साथ सांठगांठ परेशानी का सबब है. मसलन बरमूडा की लॉ फर्म एप्पलबे के ग्राहक ग्लेनकोर ने कांगो में खनन अधिकार सुरक्षित किये हैं, जो जाहिर है किसी बड़े हेरफेर की तरफ इशारा करता है.
इन सब बातों के बीच वास्तविकता तो यह ही है कि जो भी डाटा जारी किया गया है वह नैतिक और राजनीतिक रूप से समझौतावादी माना जा सकता है लेकिन अब तक इसमें अवैध या गैरकानूनी कुछ भी पता नहीं चला है. मोटामोटी कहा जाये, तो ये टैक्स हेवन या टैक्स बचाने के अवसर आम जीवन का हिस्सा बन गये हैं जो दशकों से मौजूद है.
इन तरीकों से होती है मनी लॉन्डरिंग
पनामा फाइल लीक्स के बाद से दुनिया भर के रईसों की पोल एक एक कर खुल रही है. लेकिन आखिर ये लोग अरबों की धनराशि को सरकार से छिपा कर गायब करते कैसे हैं? जानिए, मनी लॉन्डरिंग के कुछ तरीकों के बारे में.
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काले धन का निवेश
जिस धन को वैध रूप से दिखाया नहीं जा सकता, आखिर उसका क्या किया जाए? दुनियाभर के अधिकतर धनी लोग इसे या तो स्टॉक एक्सचेंज में लगा देते हैं या फिर किसी तरह के जुए में. अक्सर किसी दूसरे के नाम पर नाइटक्लब या फिर बार भी खरीद लिए जाते हैं. और कहीं दूर बड़ा सा घर खरीदने का विकल्प तो सब जानते ही हैं.
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पैसे की मारी दुनिया
सिर्फ माफिया या ड्रग डीलरों को ही काले धन से निपटने की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि भ्रष्ट नेता और कई अभिनेता भी ऐसा करते हैं. चीन में पाया गया है कि 2002 से 2011 के बीच करीब 1,800 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर धनराशि अवैध रूप से देश के बाहर गयी. इसी दौरान रूस को 880 अरब डॉलर का चपत लगी. पूरी दुनिया की बात करें तो 5,400 अरब डॉलर काला धन है.
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कर चोरी के स्वर्ग
इन्हें आम भाषा में टैक्स हेवन कहा जाता है क्योंकि यहां करों की दर बहुत ही कम होती है. पनामा के अलावा हॉन्ग कॉन्ग भी इसके लिए मशहूर है. किसी के भी नाम पर एक नई कंपनी खोल दी जाती है और काला धन उसमें ट्रांसफर कर दिया जाता है. कंपनी का सक्रिय होना जरूरी नहीं है, बस एक नाम चाहिए, एक पता और बैंक अकाउंट.
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चीन के जंकेट
मकाऊ के कसीनो में मनी लॉन्डरिंग के लिए एक ट्रिक है. दरअसल चीन में एक बार में 20,000 युआन से अधिक देश से बाहर नहीं ले जाया जा सकता. ऐसे में लोग जुआ खेलने के मकसद से जंकेट को पैसा ट्रांसफर करते हैं. जंकेट इसे कसीनो के सिक्कों में तब्दील कर देता है. जुए में जीती गयी राशि भी इन सिक्कों के रूप में ही मिलती है, जिसे आसानी से हॉन्ग कॉन्ग ले जा कर डॉलर में कन्वर्ट कराया जा सकता है.
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स्मर्फ की मदद से
जी नहीं, यहां नीले रंग के कार्टून किरदार की बात नहीं हो रही है, बल्कि स्मर्फ मनी लॉन्डरिंग में बड़ी भूमिका निभाते हैं. इनका काम होता है अपने क्लाइंट की धनराशि को छोटे छोटे टुकड़ों में बांट कर अलग अलग अकाउंटों में जमा कराना. एक व्यक्ति के लिए एक साथ कई स्मर्फ काम कर सकते हैं और क्योंकि राशि धीरे धीरे अलग अलग सूत्रों के जरिये डिपॉजिट होती है, इसलिए कोई शक भी पैदा नहीं होता.
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हीरे की चमक
धन काला हो या सफेद, भारत में भी सोने चांदी और हीरे के आभूषण निवेश के मकसद से खरीदे जाते रहे हैं. 2008 की एक रिपोर्ट बताती है कि कैसे स्विस बैंक अक्सर अपने कस्टमर को हीरों में निवेश करने की सलाह देते हैं क्योंकि इन्हें पैसे की तुलना में आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है. हवाई अड्डों पर कई बार टूथपेस्ट की ट्यूब में हीरे छिपा कर तस्करी की जाती है.