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किधर जाएंगे चीन जर्मन रिश्ते

२५ मई २०१३

चीनी प्रधानमंत्री ली किचियांग रविवार को जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल से मिलने वाले हैं और निर्यात करने वाली दो महाशक्तियां अपने रिश्ते और आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगी.

तस्वीर: Reuters

सत्ताईस देशों वाले यूरोपीय संघ में चीनी प्रधानमंत्री सिर्फ जर्मनी का दौरा करने वाले हैं. यह इस बात का संकेत है कि चीन के लिए जर्मनी बेहद अहम राष्ट्र है और वह उसके साथ रिश्ते बनाए रखना चाहता है.

जर्मनी यूरोप के अंदर चीन का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है, जबकि जर्मन मोटर कारें और पुर्जों का चीन में बड़ा बाजार है. ली दो दिन के लिए जर्मनी आ रहे हैं. पहले दिन वह बर्लिन के पास पोस्टडाम शहर का दौरा करेंगे. यहां सेसिलियनहॉफ में 1945 में सोवियत संघ, अमेरिका और ब्रिटेन के नेता मिले थे और उन्होंने एशिया तथा यूरोप के भविष्य पर हस्ताक्षर किए थे.

यूरोपीय काउंसिल के विदेशी संबंध विभाग के जर्मनी पर एक्सपर्ट हांस कुंडनानी का कहना है, "जर्मन पक्ष से यह कारोबार से जुड़ा है. जर्मनी देखता है कि चीन एक बड़ा निर्यात बाजार है और वह उस पर बहुत हद तक निर्भर है."

राष्ट्रपति शी के साथ मैर्केलतस्वीर: picture-alliance/dpa

पिछले साल सिर्फ सात महीनों के अंदर मैर्केल ने दो बार चीन यात्रा की थी. दूसरे दौरे में उनके साथ कारोबारी टीम थी, जिसमें जर्मनी की बड़ी कंपनियों के प्रमुख थे. इसी दौरान चीन ने 50 एयरबस लेने के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे.

लेकिन चीन के लिए जर्मनी सिर्फ कारोबारी देश नहीं बल्कि तकनीक प्रदान करने वाला देश भी है. कुंडनानी का कहना है कि बीजिंग को इस बात की फिक्र रहती है कि कहीं अमेरिका यूरोप के साथ मिल कर उसके सात प्रतिद्विंद्विता न करे.

जर्मनी और चीन के बीच 2012 में 144 अरब डॉलर का कारोबार हुआ. यूरोप की सबसे बड़ी कार कंपनी फोक्सवागन ने मार्च में एलान किया है कि वह चीन में सात फैक्ट्रियां खोलेगी. पिछले साल इसने वहां 28 लाख कारें सप्लाई की हैं.

भारत भी गए लीतस्वीर: Reuters

जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए के मुताबिक चीन के विरोधी नेता आई वाईवाई ने उम्मीद जताई है कि मैर्केल इस बात पर जोर देंगी कि चीन में बुद्धिजीवियों के साथ बेहतर बर्ताव किया जाएगा. वाईवाई को 2011 में 81 दिनों के लिए हिरासत में लिया गया था.

औपचारिक तौर पर बैठक में आर्थिक और विदेशी मुद्दों पर बात होगी लेकिन समझा जाता है कि मैर्केल ने वेन के साथ अपनी आखिरी बातचीत में मानवाधिकार और प्रेस स्वतंत्रता के मुद्दे पर भी बात की.

हालांकि कुंडनानी का कहना है कि स्थिति बदल रही है, चीन मजबूत होता जा रहा है और जर्मनी थोड़ा कमजोर, "अगले 10 साल में चीन सिर्फ जर्मन निर्यात का बाजार ही नहीं होगा, बल्कि प्रतिद्वंद्वी भी होगा."

एजेए/एमजे (एएफपी)

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