बीजेपी की सरकारें बनने के बाद उत्तर भारत में गाय और गोवंश का मुद्दा प्राथमिकता पर है. गायों को लेकर इंसान मारे जा चुके हैं, लेकिन जब आवारा गायों की आती है तो हंगामा करने वाले गायब नजर आते हैं.
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उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में हजारों जानवर जिसमें गाय, बछड़े और बैल हैं, उन्हें सडकों पर आवारा छोड़ दिया गया है. उनके खाने, रहने और सुरक्षा-देखरेख का कोई जिम्मेदार नहीं है. बुंदेलखंड में अन्ना पशु प्रथा शुरू हो गई है. इस प्रथा में किसान और दूसरे अन्य लोग अपने जानवरों को आजाद कर देते हैं. ऐसा वो तब करते हैं जब वो किसी लायक नहीं रहते यानि कि उनसे दूध नहीं मिलता और वो अन्य कार्य में उपयोग नहीं आ सकते. कहने को तो ये पशु आजाद होते हैं लेकिन ये आवारा पशु की श्रेणी में आ जाते हैं. जब इनका कोई ठिकाना नहीं रहता तो ये इधर उधर घूमते हैं, किसानों की फसल चर जाते हैं. अक्सर किसान लगातार सूखे की वजह से फसल के नष्ट होने के कारण भी इस स्थिति में नहीं रह पाते कि पशुओं की देखभाल कर सकें तो वो भी अपने पशुओं को अन्ना पशु कर देते हैं. वैसे कानून के मुताबिक यह पशुओं पर क्रूरता है.
कितने राज्यों में है बीजेपी और एनडीए की सरकार
केंद्र में 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद देश में भारतीय जनता पार्टी का दायरा लगातार बढ़ा है. डालते हैं एक नजर अभी कहां कहां बीजेपी और उसके सहयोगी सत्ता में हैं.
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उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया और 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 325 सीटें जीतीं. इसके बाद फायरब्रांड हिंदू नेता योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की गद्दी मिली.
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त्रिपुरा
2018 में त्रिपुरा में लेफ्ट का 25 साल पुराना किला ढहाते हुए बीजेपी गठबंधन को 43 सीटें मिली. वहीं कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्कसिस्ट) ने 16 सीटें जीतीं. 20 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद मणिक सरकार की सत्ता से विदाई हुई और बिप्लव कुमार देब ने राज्य की कमान संभाली.
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मध्य प्रदेश
शिवराज सिंह चौहान को प्रशासन का लंबा अनुभव है. उन्हीं के हाथ में अभी मध्य प्रदेश की कमान है. इससे पहले वह 2005 से 2018 तक राज्य के मख्यमंत्री रहे. लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस सत्ता में आई. लेकिन दो साल के भीतर राजनीतिक दावपेंचों के दम पर शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता में वापसी की.
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उत्तराखंड
उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी बीजेपी का झंडा लहर रहा है. 2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की सत्ता में पांच साल बाद वापसी की. त्रिवेंद्र रावत को बतौर मुख्यमंत्री राज्य की कमान मिली. लेकिन आपसी खींचतान के बीच उन्हें 09 मार्च 2021 को इस्तीफा देना पड़ा.
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बिहार
बिहार में नीतीश कुमार एनडीए सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. हालिया चुनाव में उन्होंने बीजेपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ा. इससे पिछले चुनाव में वह आरजेडी के साथ थे. 2020 के चुनाव में आरजेडी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी. लेकिन 74 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही बीजेपी ने नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ मिलकर सरकार बनाई, जिसे 43 सीटें मिलीं.
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गोवा
गोवा में प्रमोद सावंत बीजेपी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने मनोहर पर्रिकर (फोटो में) के निधन के बाद 2019 में यह पद संभाला. 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद पर्रिकर ने केंद्र में रक्षा मंत्री का पद छोड़ मुख्यमंत्री पद संभाला था.
पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में 2017 में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी है जिसका नेतृत्व पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी एन बीरेन सिंह कर रहे हैं. वह राज्य के 12वें मुख्यमंत्री हैं. इस राज्य में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार नहीं बना पाई.
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हिमाचल प्रदेश
नवंबर 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में वापसी की. हालांकि पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी घोषित किए गए प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए. इसके बाद जयराम ठाकुर राज्य सरकार का नेतृत्व संभाला.
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कर्नाटक
2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कर्नाटक में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी. 2018 में वो बहुमत साबित नहीं कर पाए. 2019 में कांग्रेस-जेडीएस के 15 विधायकों के इस्तीफे होने के कारण बीेजेपी बहुमत के आंकड़े तक पहुंच गई. येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं.
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हरियाणा
बीजेपी के मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने 2014 के चुनावों में पार्टी को मिले स्पष्ट बहुमत के बाद सरकार बनाई थी. 2019 में बीजेपी को हरियाणा में बहुमत नहीं मिला लेकिन जेजेपी के साथ गठबंधन कर उन्होंने सरकार बनाई. संघ से जुड़े रहे खट्टर प्रधानमंत्री मोदी के करीबी समझे जाते हैं.
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गुजरात
गुजरात में 1998 से लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. प्रधानमंत्री पद संभालने से पहले नरेंद्र मोदी 12 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. फिलहाल राज्य सरकार की कमान बीजेपी के विजय रुपाणी के हाथों में है.
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असम
असम में बीजेपी के सर्बानंद सोनोवाल मुख्यमंत्री हैं. 2016 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 86 सीटें जीतकर राज्य में एक दशक से चले आ रहे कांग्रेस के शासन का अंत किया. अब राज्य में फिर विधानसभा चुनाव की तैयारी हो रही है.
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अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू मुख्यमंत्री हैं जो दिसंबर 2016 में भाजपा में शामिल हुए. सियासी उठापटक के बीच पहले पेमा खांडू कांग्रेस छोड़ पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हुए और फिर बीजेपी में चले गए.
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नागालैंड
नागालैंड में फरवरी 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में एनडीए की कामयाबी के बाद नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफियू रियो ने मुख्यमंत्री पद संभाला. इससे पहले भी वह 2008 से 2014 तक और 2003 से 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं.
तस्वीर: IANS
मेघालय
2018 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने से चूक गई. एनपीपी नेता कॉनराड संगमा ने बीजेपी और अन्य दलों के साथ मिल कर सरकार का गठन किया. कॉनराड संगमा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के बेटे हैं.
तस्वीर: IANS
सिक्किम
सिक्किम की विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का एक भी विधायक नहीं है. लेकिन राज्य में सत्ताधारी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है. इस तरह सिक्किम भी उन राज्यों की सूची में आ जाता है जहां बीजेपी और उसके सहयोगियों की सरकारें हैं.
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मिजोरम
मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है. वहां जोरामथंगा मुख्यमंत्री हैं. बीजेपी की वहां एक सीट है लेकिन वो जोरामथंगा की सरकार का समर्थन करती है.
तस्वीर: IANS
2019 की टक्कर
इस तरह भारत के कुल 28 राज्यों में से 16 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी या उसके सहयोगियों की सरकारें हैं. हाल के सालों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्य उसके हाथ से फिसले हैं. फिर भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के आगे कोई नहीं टिकता.
तस्वीर: DW/A. Anil Chatterjee
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भारतीय किसान यूनियन ने बुंदेलखंड में अन्ना पशु प्रथा को लेकर काफी आन्दोलन किए. भाकियू के बुंदेलखंड के प्रवक्ता देवेन्द्र सिंह के मुताबिक अन्ना पशुओं के चलते किसान अब रात भर अपने खेतों पर पहरा कर रहे हैं. अब हम लोग खुद अन्ना जानवरों को एक जगह पर इकठ्ठा कर रहे हैं. प्रशासन से मदद बहुत ही कम है. पहले पांच ब्लॉकों में गौशाला का आश्वासन दिया था लेकिन अभी एक भी नहीं बनी है. हम लोग टीम बना कर इन जानवरों के चारे पानी की व्यवस्था कर रहे हैं.
वहीं हमीरपुर के किसान अरविन्द कुशवाहा के मुताबिक, अन्ना पशु की समस्या इस तरह हल नहीं होगी. इनकी संख्या बहुत ज्यादा है और बिना सरकार के इनका समाधान नहीं निकाला जा सकता. जिला स्तर पर स्थानीय अधिकारियों को पहल करने के लिए कह दिया गया है. चित्रकूट जनपद जो सर्वाधिक इस परेशानी से दो चार हो रहा है वहां के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अविनाश सचान को इसका जिम्मा सौपा गया है. डॉ सचान के अनुसार शासन स्तर से इस मामले में कार्रवाई हो रही है. लगभग एक हजार गायों के लिए आश्रय बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है. भूमि चिन्हित कर ली गई है. समाजसेवी और पंचायत प्रधिनिधियों से सहभागिता के आधार पर सहयोग करने के लिए कहा जा रहा है. स्थानीय जनप्रतिनिधि जैसे सांसद और विधायक भी मदद के लिए आगे आ रहे हैं. प्रदेश सरकार ने 10 जनवरी को एक आदेश कर प्रदेश की पंजीकृत गौशाला में पशुओं की भरण पोषण राशि बढ़ा दी है. अब बड़े जानवर पर 50 रुपये प्रतिदिन जो पहले 30 रुपये थी, दी जाएगी. उन्होंने बताया कि किसानों को भी आपसी सहभागिता से फसल के बचाव के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
बुंदेलखंड में सबसे ज्यादा प्रभावित चित्रकूट मंडल में 2007 में हुई पशु गणना में 28,343 अन्ना पशु थे. ये संख्या 2012 की गणना में 74,713 हो गई. 2017 में संख्या 213,658 हो गयी है. ये तो आधिकारिक आंकड़े हैं. लेकिन सूत्रों की मानें तो ये संख्या अधिक भी हो सकती है.
कुछ किसानों ने अपने खेतों में नंगे तार मेड़ों पर लगा दिए हैं. उसमें करंट दौड़ा देते हैं. लेकिन इससे बहुत हादसे हो रहे हैं. पिछले रविवार को अलीगढ जनपद के अतरौली क्षेत्र के गांव नहल में ऐसे ही तार से चिपक कर भाई-बहन मौत हो गई. अलीगढ़ के एसएसपी राजेश पाण्डेय के मुताबिक इस समस्या से निपटने के लिए सभी थाना प्रभारी को आदेश दे दिए गए हैं कि ऐसे किसानों की सूची तैयार करें जो तार से अपने खेत की बाड़बंदी करते हैं और उसमें करंट दौड़ा देते हैं. ऐसे लोगों को पांच पांच लाख रुपये के मुचलके से पाबंद किया जाएगा और आबादी के पास के खेतों में करंट नहीं लगाने दिया जाएगा.
इस मुद्दे की गूंज लखनऊ तक हुई. स्थानीय पत्रकारों को बताते हुए कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि ये समस्या कई वर्षों की है और सरकार इस मामले में गंभीर है. शीघ्र ही पशुओं के लिए ऐसी चारा नीति की व्यवस्था करने जा रही है कि साल भर उनके चारे का प्रबंध रहे. गायों की उत्पादकता बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा.
क्या है राज्यों में "गाय" की स्थिति
भारत में गौहत्या को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. हाल में राजस्थान में तथाकथित गौरक्षकों द्वारा एक व्यक्ति को इतना पीटा गया कि उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई. डालते हैं एक नजर इसके संवैधानिक प्रावधान पर.
तस्वीर: Fotolia/Dudarev Mikhail
राज्यों का अधिकार
हिंदू धर्म में गाय का वध एक वर्जित विषय है. गाय को पारंपरिक रूप से पवित्र माना जाता है. गाय का वध भारत के अधिकांश राज्यों में प्रतिबंधित है उसके मांस के सेवन की भी मनाही है लेकिन यह राज्य सूची का विषय है और पशुधन पर नियम-कानून बनाने का अधिकार राज्यों के पास है.
तस्वीर: AP
गौहत्या पर नहीं प्रतिबंध
केरल, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम जैसे राज्यों में गौहत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है. हालांकि संविधान के अनुच्छेद 48 में राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत गौहत्या को निषेध कहा गया है.
तस्वीर: Fotolia/Dudarev Mikhail
आंध्रप्रदेश और तेलंगाना
इन दोनों राज्यों में गाय और बछड़ों का वध करना गैरकानूनी है. लेकिन ऐसे बैल और सांड जिनमें न तो प्रजनन शक्ति बची हो और न ही उनका इस्तेमाल कृषि के लिये किया जा सकता हो और उनके लिये "फिट फॉर स्लॉटर" प्रमाणपत्र प्राप्त हो, उन्हें मारा जा सकता है.
तस्वीर: Asian Development Bank/Lester Ledesma
उत्तर प्रदेश
राज्य में गाय, बैल और सांड का वध निषेध है. गोमांस को खाना और उसे स्टोर करना मना है. कानून तोड़ने वाले को 7 साल की जेल या 10 हजार रुपये जुर्माना, या दोनों हो सकता है. लेकिन विदेशियों को परोसने के लिये इसे सील कंटेनर में आयात किया सकता है. भैंसों को मारा जा सकता है.
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असम और बिहार
असम में गायों को मारने पर प्रतिबंध है लेकिन जिन गायों को फिट-फॉर-स्लॉटर प्रमाणपत्र मिल गया है उन्हें मारा जा सकता है. बिहार में गाय और बछड़ों को मारने पर प्रतिबंध है लेकिन वे बैल और सांड जिनकी उम्र 15 वर्ष से अधिक है उन्हें मारा जा सकता है. कानून तोड़ने वाले के 6 महीने की जेल या जुर्माना हो सकता है.
तस्वीर: AP
हरियाणा
राज्य में साल 2015 में बने कानून मुताबिक, गाय शब्द के तहत, बैल, सांड, बछड़े और कमजोर बीमार, अपाहिज और बांझ गायों को शामिल किया गया है और इनको मारने पर प्रतिबंध हैं. सजा का प्रावधान 3-10 साल या एक लाख का जुर्माना या दोनों हो सकता है. गौमांस और इससे बने उत्पाद की बिक्री भी यहां वर्जित है.
तस्वीर: AP
गुजरात
गाय, बछड़े, बैल और सांड का वध करना गैर कानूनी है. इनके मांस को बेचने पर भी प्रतिबंध है. सजा का प्रावधान 7 साल कैद या 50 हजार रुपये जुर्माना तक है. हालांकि यह प्रतिबंध भैंसों पर लागू नहीं है.
तस्वीर: AP
दिल्ली
कृषि में इस्तेमाल होने वाले जानवर मसलन गाय, बछड़े, बैल, सांड को मारना या उनका मांस रखना भी गैर कानूनी है. अगर इन्हें दिल्ली के बाहर भी मारा गया हो तब भी इनका मांस साथ नहीं रखा जा सकता, भैंस इस कानून के दायरे में नहीं आती.
तस्वीर: AP
महाराष्ट्र
राज्य में साल 2015 के संशोधित कानून के मुताबिक गाय, बैल, सांड का वध करना और इनके मांस का सेवन करना प्रतिबंधित है. सजा का प्रावधान 5 साल की कैद और 10 हजार रुपये का जुर्माना है. हालांकि भैंसों को मारा जा सकता है.