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किसानों का आज फिर 'भारत बंद'

चारु कार्तिकेय
२६ मार्च २०२१

तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हुए चार महीने पूरे हो गए हैं. सरकार की तरफ से नर्मी के अभाव में किसानों ने आज 12 घंटों के 'भारत-बंद' का ऐलान किया है.

Indien Bauerproteste in Neu-Delhi
तस्वीर: Channi Anand/AP Photo/picture alliance

'भारत बंद' सुबह छह बजे से शाम के छह बजे तक आयोजित किया जा रहा है. कई विपक्षी दलों ने भी आंदोलन कर रहे किसानों को समर्थन देने का फैसला किया है और बंद को लागू करने में उनका साथ देने की घोषणा की. अगर बंद सफल हुआ तो रेल और सड़क यातायात समेत कई सेवाओं पर असर पड़ सकता है. देश के कई हिस्सों में किसानों ने सड़कों और ट्रेन के पटरियों को जाम कर दिया है जिससे सड़क और रेल यातायात प्रभावित होना शुरू हो गया.

रेलवे विभाग को कम से कम चार शताब्दी ट्रेनों को रद्द करना पड़ा है. किसान नेताओं ने कहा है कि बंद को सफल बनाने के लिए किसान सब्जियों और दूध की आपूर्ति को भी रोक देंगे, लेकिन एम्बुलेंस और अस्पताल सेवाओं जैसी आवश्यक सेवाओं को बंद से बाहर रखा जाएगा. बाजार, दुकानें, मॉल और कई तरहे के संस्थान भी बंद करने की योजना है, लेकिन यह इन सभी संस्थानों से संबंधित संगठनों के सहयोग से ही हो पाएगा.

किसान संगठनों के साझा मंच संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है कि सभी संस्थानों ने बंद में सहयोग का वादा किया है. लेकिन मीडिया में आई कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि कई दूसरे व्यापारी संगठनों ने बंद को समर्थन नहीं देने का भी फैसला किया है. अगर ऐसा हुआ तो बंद का असर आंशिक ही रह जाएगा.

किसान जून 2020 से ही तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, जब पहली बार इन कानूनों को अध्यादेशों के रूप में लागू किया गया था. 26 नवंबर को पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड समेत कई राज्यों के किसानों ने अपने प्रदर्शन को दिल्ली में जारी रखने का फैसला किया और राजधानी की तरफ चल पड़े.

पुलिस द्वारा दिल्ली में प्रवेश करने से रोके जाने पर सभी किसान टीकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर, चिल्ला बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर ही जम गए और उन स्थलों को प्रदर्शन का केंद्र बना दिया. प्रदर्शन के शुरूआती दिनों में केंद्र सरकार किसानों से बातचीत भी कर रही थी, लेकिन उसने तीनों कानूनों को निरस्त करने की किसानों को नहीं माना. किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और कह रहे हैं कि जब तक उनकी मांगें मान नहीं ली जातीं, वो वापस नहीं जाएंगे.

पिछले चार महीनों में पुलिस की कार्रवाई और मौसम की मार सहने के बाद प्रदर्शन स्थलों पर कई किसानों ने अब स्थायी ढांचे भी बना लिए हैं, ताकि आने वाली गंभीर गर्मी से बचा जा सके और आंदोलन को जारी रखा जा सके. सरकार ने अभी तक किसानों की मांगों को मानने का कोई संकेत नहीं दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की मांगों पर एक समिति बनाई थी लेकिन समिति ने अभी तक अपनी रिपोर्ट दी नहीं है.

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