कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों और भारत सरकार के बीच छठे दौर की बातचीत में भी आंदोलन खत्म करने पर सहमति नहीं बन सकी है. कृषि मंत्री का कहना है कि चार विवादित मुद्दों में से दो पर सहमति बन गई है.
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भारत सरकार ने पहले उम्मीद जताई थी कि बुधवार को किसानों के साथ बातचीत निर्णायक होगी और सभी मुद्दों का हल निकाल लिया जाएगा. हालांकि ऐसा नहीं हो सका. सरकार दो मुद्दों पर बनी सहमति को अपनी सफलता जरूर बता रही है. छठे दौर की बातचीत के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने मीडिया को आज हुई बातचीत के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा, "4 जनवरी को दोपहर दो बजे बातचीत फिर शुरू होगी. किसान संगठनों को बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों से सर्दी को देखते हुए घर लौटने के लिए कहना चाहिए."
किसान नेता चौधरी हरपाल सिंह बेलरी ने कहा कि सरकार ने पराली और बिजली से जुड़ी दो मांगें मान ली हैं. सरकार इन दोनों से जुड़े प्रावधान वापस लेने को सहमत हो गई है. बाकी दो मांगें, कृषि कानून निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी की गारंटी पर 4 जनवरी को चर्चा होगी. बुधवार की बैठक में जिन चार मुद्दों पर चर्चा हुई, उनमें से दो मुद्दों का हल निकल गया है.
विवाद के चार मुद्दे
सरकार और विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच चार मुद्दों पर चर्चा होनी थी. किसानों की मांग है: 1. तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए 2. एमएसपी को कानूनी जामा पहनाया जाए 3. एनसीआर में प्रदूषण रोकने के लिए बने कानून के तहत कार्रवाई के दायरे से किसानों को बाहर रखा जाए 4. विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे को वापस लिया जाए.
सरकार अब भी कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है जबकि किसान उसे हर हाल में वापस कराना चाहते हैं. किसानों का कहना है कि नए कानूनों के आने के बाद से उत्तर प्रदेश में फसलों की कीमतें 50 फीसदी घट गई हैं. भारतीय किसान संघ के नेता राकेश टिकैत ने पत्रकारों से कहा, "फसल समर्थन मूल्य से कम कीमत पर बेची जा रही है. धान की कीमत 800 रूपये प्रति क्विंटल हो गई है."
हफ्तों से चल रहा है आंदोलन
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर जमे किसानों का आंदोलन बीते कई हफ्तों से चल रहा है और सरकार की किसानों को मनाने की सारी कोशिशें अब तक नाकाम रही हैं. सरकार और किसानों के बीच छह दौर की बातचीत हो चुकी है. किसानों का आरोप है कि सरकार बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों के हितों के साथ समझौता कर रही है.
किसान संगठनों का आरोप है कि नए कानूनों के लागू होने के बाद मंडियां खत्म हो जाएंगी और उनके पास अपनी फसल बेचने का कोई जरिया नहीं होगा सिवाय इसके कि वो औने पौने दामों पर समझौता कर लें. बुधवार की बैठक में 41 किसान संघों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया जबकि सरकार की तरफ से 3 मंत्री बातचीत में शामिल हुए.
रिपोर्ट: निखिल रंजन (आईएएनएस)
भूख हड़ताल से बात मानेगी सरकार?
दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी है. दूसरी ओर सरकार पर दबाव बनाने के लिए सोमवार 21 दिसंबर से किसानों ने क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर दी. सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर 11 किसान 24 घंटे की भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.
तस्वीर: IANS
भूख हड़ताल
किसानों ने सोमवार 21 दिसंबर से क्रमिक भूख हड़ताल की शुरुआत कर दी. देशभर में जहां भी किसान आंदोलन कर रहे हैं वहां वे 24-24 घंटे की पारी में भूख हड़ताल करेंगे. उनकी कोशिश है कि इस तरह से वे सरकार पर दबाव बना पाएंगे.
तस्वीर: IANS
11-11 किसान करेंगे भूख हड़ताल
दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर जहां-जहां आंदोलन चल रहा है, वहां हर रोज 11-11 किसान भूख हड़ताल करेंगे, जब इनके 24 घंटे पूरे होंगे तो अगले दिन दूसरे किसान नेता भूख हड़ताल शुरू कर देंगे.
तस्वीर: IANS
भोजन त्यागने की अपील
आंदोलनकारी किसानों ने देशभर के लोगों से किसान दिवस के मौके पर एक समय का भोजन त्याग कर किसानों का सम्मान करने की अपील की है. हर साल 23 दिसंबर किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है.
तस्वीर: IANS
तेज होता आंदोलन
किसान दिल्ली की सीमाओं पर कई दिनों से डटे हुए हैं. वे राशन-पानी के साथ अपना आंदोलन चला रहे हैं. किसान संगठनों को आम लोगों के साथ-साथ अन्य संगठनों का भी समर्थन प्राप्त है.
तस्वीर: Altaf Qadri/AP Photo/picture alliance
आंदोलन में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि
आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए सभा आयोजित की गई और उनकी तस्वीरों पर फूल चढ़ाए गए. किसानों का कहना है कि उन्होंने तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के लिए अपनी जान दी.
तस्वीर: IANS
"श्रद्धांजलि दिवस"
किसान आंदोलन के दौरान अलग-अलग कारणों से जान गंवाने वाले 30 किसानों को रविवार 20 दिसंबर को गाजीपुर बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर श्रद्धांजलि दी गई. इन लोगों की मौत ठंड, बीमारी और सड़क हादसों में हुई थी.
तस्वीर: IANS
कला जगत के लोगों का समर्थन
सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में कलाकार भी उतर रहे हैं. मशहूर कव्वाल साबरी सूफी ब्रदर्स ग्रुप अपने अन्य कलाकारों के साथ सिंघु बॉर्डर पर रविवार को पहुंचे और किसान आंदोलन को समर्थन दिया.
तस्वीर: IANS
सर्द रात और आंदोलन
दिल्ली-एनसीआर में इस वक्त कड़ाके की ठंड पड़ रही है. खुले आसमान के नीचे ना सिर्फ किसानों के लिए बल्कि सुरक्षाबलों के लिए रात गुजारना मुश्किल भरा है. किसान आग जलाकर सर्द हवाओं से बचने की कोशिश करते हैं. वे अपने साथ रजाई और कंबल भी लेकर आए हैं.
तस्वीर: Seerat Chabba/DW
आंदोलन का अंत कब?
कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन 26 नवंबर से जारी है. कड़ाके की ठंड में सीमाओं पर डटे किसान कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. किसानों का कहना है कि सरकार अगर कानून वापस लेती है तो वे दो घंटे में बॉर्डर खाली कर चले जाएंगे. किसानों का कहना है कि उनका राजनीतिक दलों से कोई लेना देना नहीं है. इस बीच सरकार ने एक बार फिर बातचीत का न्योता भेजा है.