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किसान अड़े रहेंगे अपनी मांग पर

२२ जनवरी २०२१

किसानों ने विवादित कृषि कानूनों पर अस्थायी रोक लगाने के सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. कानूनों को निरस्त किए जाने की अपनी मांग पर किसानों के बने रहने के बीच, सरकार और उनकी 11वें दौर की बातचीत होनी है.

Indien l Landwirte protestieren gegen neue Agrarreformen in Neu Delhi
तस्वीर: Altaf Qadri/AP/picture-alliance

तीनों कानूनों पर डेढ़ साल तक रोक लगा देने के सरकार के प्रस्ताव को किसान संगठनों द्वारा तुरंत ना ठुकराए जाने से गतिरोध के शांत होने की संभावना नजर आई थी. लेकिन गुरुवार 21 जनवरी को संगठनों ने आपस में चर्चा कर प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करने का फैसला लिया. लगभग 40 किसान संगठनों वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी कर कहा कि उनकी मांग है कि तीनों कानूनों को निरस्त ही किया जाए.

इसके अलावा किसानों ने यह भी मांग की है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागू रखने के लिए भी अलग से एक कानून लाया जाए. मीडिया में आई कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि कई संगठन सरकार के प्रस्ताव को मान लेने के पक्ष में थे, लेकिन अंत में बहुमत के फैसले से प्रस्ताव को ठुकराना ही तय हुआ. किसानों के आंदोलन की जानकारी देने वाले ट्विटर हैंडल किसान एकता मोर्चा ने इस घोषणा को ट्वीट भी किया.

किसानों ने बताया कि 26 जनवरी को उनकी अपनी परेड निकालने की योजना पर भी वो आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस ने उनसे परेड को रोक देने का अनुरोध किया था लेकिन उन्होंने अनुरोध को स्वीकार नहीं किया. संगठनों का कहना है कि इस आंदोलन में अभी तक 143 किसानों की जान जा चुकी है और उनकी मौत व्यर्थ ना हो जाए इसीलिए वो अपनी मांग पर अड़े हुए हैं.

शुक्रवार को किसानों और सरकार के बीच 11वें दौर की बातचीत होनी है. देखना होगा कि सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिए जाने के बाद बैठक का माहौल कैसा होगा. किसान भी सरकार पर दबाव बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अब कर्नाटक, केरल और छत्तीसगढ़ में भी किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और इनमें से कई राज्यों से और भी किसान दिल्ली की तरफ चल पड़े हैं.

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