बॉलीवुड की नवोदित अभिनेत्री अमायरा दस्तूर का कहना है कि इमरान हाशमी के साथ काम करने में हर अभिनेत्री को डर लगता है. अमायरा दस्तूर ने इमरान हाशमी के साथ फिल्म मिस्टर एक्स में काम किया है.
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अभिनेत्री अमायरा दस्तूर का कहना है कि इमरान के साथ काम करने में तो हर अभिनेत्री को डर लगता है लेकिन नयी होने के कारण यदि आपके सामने स्टार्स है तो आपको हां कहना ही होता है. अमायरा इसे एक बड़ा अवसर मानती हैं, जब एक नए कलाकार को अनुभवी अभिनेता के साथ लॉन्च किया जाए.
वहीं इमरान हाशमी कहते हैं कि वह फिल्मों में अपनी हीरोइनों के साथ जो कुछ भी करते हैं, दूसरे हीरो भी हीरोइनों के साथ वैसा ही करते हैं. "मुझे लगता है कि नये कलाकार अब मेरे साथ काम करने को लेकर ज्यादा भयभीत नहीं हैं. वे जानते हैं कि मेरी फिल्में फैमिलीज भी देखती हैं." उन्होंने अपनी पिछली फिल्मों में कई इंटीमेट सीन्स किए हैं.
एक्स फैक्टर
इमरान हाशमी का कहना है कि चुंबन को उनका एक्स फैक्टर नहीं माना जाना चाहिए. बॉलीवुड में इमरान हाशमी की छवि किसिंग किंग की है. इमरान हाशमी ने कहा, "मैंने अब तक बहुत सारे चुंबन दृश्य किए हैं. इन दिनों प्रत्येक अभिनेता यह कर रहा है. इसलिए मेरे लिए यह एक्स फैक्टर जैसा नहीं हो सकता." इमरान हाशमी को लगता है कि उनकी फिल्में अब पारिवारिक फिल्में देखने वाले दर्शकों को आकर्षित कर रही हैं, जिसके चलते नवोदित अभिनेत्रियां उनके साथ जोड़ी बनाने को लेकर चिंतित नहीं हैं.
इमरान ने कहा उन्होंने मिस्टर एक्स जैसा किरदार पहले कभी नहीं निभाया है जो कि थ्री-डी फारमेट में है. "मैंने इसके पहले थ्री-डी फिल्म की है लेकिन इन्विजिबिलिटी मेरे लिए नया कॉन्सेप्ट है. एक्शन और थ्रिल्स के बीच कुछ सस्पेंस...यह एक अलग तरह की फिल्म है जो मैंने आज से पहले नहीं की है."
आलिया और इमरान
आलिया भट्ट और इमरान हाशमी कब एक साथ एक फिल्म में नजर आएंगे यह सवाल दोनों ही कलाकारों के प्रशंसकों के मन में बहुत दिनों से रहा है. अब इसका जवाब मिल गया है. रोमांटिक फिल्में करने वाले इमरान हाशमी ने कहा है कि उनकी और आलिया की साथ में कोई फिल्म मुमकिन नहीं है, क्योंकि एक भाई और बहन रोमांटिक रोल अदा करें, ये काफी अजीब सी बात लगेगी.
इमरान ने कहा आलिया मुझसे कई दिनों तक बात नहीं कर रही थी, क्योंकि मैंने उसकी फिल्म स्टूडेंट ऑफ द ईयर नहीं देखी थी. जब मैंने डीवीडी पर वो फिल्म देखी तब जाकर आलिया ने मुझसे बात करना शुरू किया. मैंने उसको फोन करके बधाई भी दी कि वो अपनी पहली फिल्म में मुझसे भी अच्छी दिख रही है.
एमजे/आरआर (वार्ता)
बॉलीवुड के अहम पड़ाव
पहली प्रसिद्ध अभिनेत्रीः देविका रानी
हिन्दी फिल्मों की पहली बड़ी अभिनेत्री देविका रानी ने 1933 में पहली बार पर्दे पर किस करके हलचल मचा दी. उनके पति हिमांशु रॉय भी फिल्में बनाते थे. जर्मन फिल्मकार फ्रांत्स ओस्टेन के साथ मिल कर उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय फिल्मों को शक्ल दी.
बेधड़क नाडियाः मैरी इवैंस
फियरलेस नाडिया के नाम से विख्यात मैरी इवैंस हिन्दी फिल्मों में काम करने वाली पहली अंतरराष्ट्रीय कलाकार थीं. सुनहरे बालों वाली गोल मटोल ऑस्ट्रेलियाई मैरी ने होमी वाडिया के साथ कई मारधाड़ वाली फिल्मों में काम किया बाद में उन्होंने होमी से शादी भी की.
हिन्दी सिनेमा की विश्व सुंदरीः ऐश्वर्या रॉय
सुंदरियों के मुकाबले और हिंदी फिल्मों में तो ऐश्वर्या ने पहले ही डंका बजवा दिया था 2003 में कान फिल्म फेस्टिवल की ज्यूरी में शामिल हो कर उन्होंने वो करिश्मा भी कर दिखाया जो पहले किसी और हिंदुस्तानी के हिस्से नहीं आई थी. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की किसी अभिनेत्री को ऐश्वर्या जितनी सुर्खियां नहीं मिलीं.
तस्वीर: AP
बॉक्स ऑफिस पर पहला बवालः शोले
खूब नाच गाना और प्यार मुहब्बत देखने के बाद हिन्दी फिल्मों की मुलाकात गब्बर सिंह से हुई. रामगढ़ में जय वीरू की गब्बर से जंग ने ऐसी आग लगाई कि बसंती की बड़ बड़ करती और जया बच्चन की खामोश मुहब्बत भी उसकी लपटों को मद्धिम न कर सकीं. 38 साल से धधकते शोलों की जुबान आज भी बच्चा बच्चा बोलता है.
तस्वीर: Mskadu
सिनेमा की शुरूआतः राजा हरिश्चंद्र
दादा साहब फाल्के की इसी फिल्म के साथ 1913 में हिन्दी सिनेमा का सफर शुरू हुआ जो अब 100 साल की उम्र हासिल कर चुका है. उस वक्त कहानियां धार्मिक ग्रंथों और ऐतिहासिक चरित्रों से ली जाती थीं. महिलाओं के किरदार भी पुरुष निभाया करते थे.
तस्वीर: gemeinfrei
बॉलीवुड के बापः दादा साहब फाल्के
आज जिन्हें हम दादा साहब फाल्के कह कर सम्मान देते हैं उन्हीं ढुंडीराज गोविंद फाल्के ने हिंदी सिनेमा की शुरूआत की. फोटोग्राफर के रूप में काम करने वाले दादा साहब फाल्के की मुलाकात जर्मनी के कार्ल हर्त्ज से हुई और उन्होंने लुमियरे बंधुओं के साथ भी काम किया. लुमियरे बंधुओं ने ही सिनेमेटोग्राफी विकसित की. इसके बाद दादा साहब फिल्में बनाने लगे और उनके नाम कोई 100 से ज्यादा फिल्में हैं.
तस्वीर: gemeinfrei
पहली बोलती फिल्मः आलम आरा
फिल्में तो बनने लगीं लेकिन वो खामोश थीं. 18 साल बाद आई आलम आरा हिन्दी की पहली बोलती फिल्म थी. इसके जरिए लोगों ने आवाज और संगीत से सजी चलती फिरती बोलती तस्वीरें देखी.
तस्वीर: public domain
आलोचकों के दुलारेः राज कपूर
राज कपूर की आवारा के साथ हिन्दी सिनेमा ने रूस, चीन समेत कई देशों में कदम रखे. फिल्म बहुत मशहूर हुई और इसे देखने वाले लोग भारतीयों को अब भी इस फिल्म से जोड़ कर देखते हैं. फिल्म का टाइटल सॉन्ग भी खासा लोकप्रिय हुआ. यहां तक कि दुनिया के कई देशों से राजकपूर को न्योते मिलने लगे.
पहली अंतरराष्ट्रीय कामयाबीः मदर इंडिया
असली भारत के असली गांव और उनकी सच्ची मुश्किलें. मदर इंडिया पर वास्तविकता की इतनी गहरी छाप थी कि किरदारों का दर्द लोगों के दिल में कहीं गहराई तक बैठ गया. फिल्म विदेशी फिल्मों की श्रेणी में ऑस्कर का नामांकन भी ले गई. फिल्म में पश्चिम के लोगों ने भारत की दिक्कतें देखीं और वो उनके मन में गहरी दर्ज हुई. नर्गिस मदर इंडिया बन गईं
पहला ऑस्करः सत्यजीत रे
बॉलीवुड की आम पहचान से एकदम दूर होने के बावजूद पाथेर पांचाली का जादू ऐसा है कि भुलाए नहीं भूलता. सत्यजीत और उनके सिनेमा ने भारत की दुनिया में जो छवि बनाई उससे वो आज भी पूरी तरह आजाद नहीं हो सका है. 1992 में सत्यजित रे को ऑस्कर मिला और वो तब यह पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय थे.
कोई एक दशक तक हिन्दी फिल्मों को यश चोपड़ा वाली मोहब्बत करना सिखा कर शाहरुख विदेशों में बॉलीवुड का चेहरा बन गए. खासतौर से जर्मनी में तो वो बेहद लोकप्रिय हैं. लंबे समय तक यहां का एक टीवी चैनल उनकी फिल्मों को जर्मन भाषा में डब कर दिखाता रहा. डॉन 2 फिल्म का बहुत सा हिस्सा जर्मनी में ही शूट किया गया और हर साल शाहरुख यहां कम से कम एक बार तो आते ही हैं.
तस्वीर: Johannes Eisele/AFP/Getty Images
दुनिया के पर्दे परः लगान
पहली बार कोई हिन्दी फिल्म अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिलीज हुई. लगान से पहले भारत के सपनों की दुनिया में या तो आजादी थी या फिर प्यार और पैसा. आशुतोष गोवारिकर और आमिर खान ने एक नया सपना दिया कुछ अनोखा और अच्छा कर दिखाने का. आमिर परफेक्शनिस्ट हो गए और उसके बाद एक एक कर बॉक्स ऑफिस, आलोचक, फिल्म समारोह उस पर मुहर लगाते चले गए.
तस्वीर: Getty Images/AFP
ऑस्कर में जय होः ए आर रहमान
'जय हो' गाने के लिए दो ऑस्कर और गोल्डन ग्लोब जीत कर ए आर रहमान ने दुनिया भर में धूम मचा दी. ऑस्कर ने पूरब के संगीत और कलाकारों का लोहा माना.