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कुदरत के दुश्मन हैं टीवी और इंटरनेट

१ जून २०११

जैव विविधता को बचाने के काम को वे बच्चे और मुश्किल बना रहे हैं जो टेलीविजन, इंटरनेट, विडियोगेम्स या दूसरे इलेक्ट्रॉनिक मनोरंजन की गिरफ्त में हैं. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि यह लोग बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं.

Eine vom NABU zur Verfuegung gestellte Aufnahme zeigt einen Eisvogel. Der Eisvogel (Alcedo atthis) ist am Freitag, 10. Oktober 2008, auf einer Pressekonferenz in Berlin vom NABU zum "Vogel des Jahres 2009" gekuert worden. (AP Photo/Manfred Delpho/Nabu) ** NUR ZUR REDAKTIONELLEN VERWENDUNG IM ZUSAMMENHANG MIT DER NABU-JAHRESVOGEL-AKTION. EINE WEITERGEHENDE VERWENDUNG BEDARF DER ZUSTIMMUNG DES BILDAUTORS ** ----A photo provided by the NABU on Friday, Oct. 10, 2008 shows a kingfisher. The kingfisher (Alcedo atthis) was named 'Bird of the year 2009' by Germany's NABU - a nature and biodiversity conversation union- during a news conference in Berlin on Friday, Oct. 10, 2008. (AP Photo/Manfred Delpho/Nabu) ** EDITORIAL USE ONLY; MANDATORY CREDIT, For use only for the annual Bird of the Year campaign, for further use please contact the photographer**
तस्वीर: AP

संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने कहा है कि ज्यादातर नौजवान शहरों में रहते हैं और कुदरत से उनका नाता टूटा हुआ है, इसलिए वे ईकोसिस्टम और प्रजातियों की सुरक्षा की अहमियत नहीं समझते. जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र के कार्यकारी सचिव अहमद जोगलाफ ने कहा, "हमारे बच्चे कंप्यूटरों से चिपके रहते हैं. वे एसएमएस, विडियोगेम्स और टीवी की गिरफ्त में हैं. वे एक आभासी दुनिया में जी रहे हैं. हमें उन्हें दोबारा कुदरत से जोड़ना होगा."

मनीला में दक्षिणपूर्वी एशियाई जैव विविधता फोरम में बोलते हुए जोगलाफ ने कहा, "वे नहीं देखते कि आलू कैसे उगाया जाता है. वे तो बस आलू को सुपरमार्केट में ही रखा देखते हैं.

तस्वीर: Fotolia/Miredi

जोगलाफ ने कई सर्वेक्षणों के हवाले से कहा कि विकसित देशों में 95 फीसदी बच्चे अपना खाली वक्त टीवी या कंप्यूटर के सामने बिताते हैं और सिर्फ पांच फीसदी बच्चे बाहर जाते हैं. एक अन्य सर्वे के मुताबिक 20 फीसदी अमेरिकी बच्चे कभी पेड़ पर नहीं चढ़े.

जोगलाफ का कहना है कि शिक्षा की कमी कुदरत के संरक्षण की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है. उन्होंने यूरोप में 2009 में हुए एक सर्वे का जिक्र किया, जिसमें पता चला कि 60 फीसदी जनता को जैव विविधता शब्द के मायने ही नहीं पता थे. उन्होंने पूछा, "जिस चीज को आप जानते ही नहीं, उसकी रक्षा कैसे करोगे? आप उस चीज की रक्षा कैसे करोगे जिसे आपने कभी देखा ही नहीं?"

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ईशा भाटिया

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