पाकिस्तान ने भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव के मामले पर दो नए वक्तव्य दे कर मामले को पेचीदा बना दिया है और भारत के लिए मृत्यु-दंड की तरफ बढ़ रहे जाधव को बचाने के विकल्पों को सीमित कर दिया है.
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जाधव को अप्रैल 2017 में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी. मई 2017 में भारत ने इसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) में मुकदमा कराया था. आइसीजे ने जुलाई 2019 में फैसला दिया था कि पाकिस्तान को सजा पर पुनर्विचार करना चाहिए और भारतीय दूतावास के अधिकारियों को जाधव से मिलने की अनुमति देनी चाहिए.
पाकिस्तान की सरकार ने बुधवार आठ जुलाई को एक वक्तव्य में कहा कि खुद जाधव ने सैन्य अदालत के मृत्युदंड के आदेश को चुनौती देने से मना कर दिया है. वक्तव्य में यह भी कहा गया कि इसकी जगह जाधव ने उनके द्वारा अप्रैल 2017 में दायर की गई क्षमा याचिका पर आगे की कार्यवाही करना बेहतर समझा है. पाकिस्तान सरकार ने यह भी कहा कि दूसरी बार भारतीय दूतावास के अधिकारियों को जाधव से मिलने का प्रस्ताव भी दिया गया है.
पाकिस्तान सरकार के अधिकारियों ने इस्लामाबाद में एक प्रेस वार्ता में बताया कि सरकार ने 20 मई को एक अध्यादेश के जरिए 60 दिनों के अंदर इस्लामाबाद हाई कोर्ट में जाधव की सजा की फिर से समीक्षा करने की याचिका दायर करने की अनुमति दे दी थी, जिसकी आखरी तारिख 19 जुलाई है.
भारत का तीखा वक्तव्य
पाकिस्तान के वक्तव्य के जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक तीखे वक्तव्य में कहा कि जाधव को एक दिखावे के मुकदमे के तहत मृत्युदंड दिया गया है, वे अभी भी पाकिस्तानी सेना की कैद में हैं और उनसे जबरन मामले पर दोबारा सुनवाई की अपील करने से मना कराया गया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने वक्तव्य में बताया कि पाकिस्तान सरकार जिस अध्यादेश की बात कर रही है, उसके प्रावधान आईसीजे के फैसले का उल्लंघन करते हैं.
श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि पाकिस्तान अभी भी भारतीय अधिकारियों को स्वतंत्र रूप से बिना किसी रोकटोक के जाधव से मिलने नहीं दे रहा है. भारत चाहता है कि जाधव के लिए एक भारतीय वकील को इस्लामाबाद हाई कोर्ट में दलील पेश करने की अनुमति दी जाए लेकिन पाकिस्तानी कानून के अनुसार यह संभव नहीं है.
वक्तव्यों के इस दौर के बाद पाकिस्तान ने बुधवार देर रात एक और वक्तव्य जारी कर भारत को चौंका दिया. इस नए वक्तव्य में पाकिस्तान सरकार ने भारत सरकार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर करने का निमंत्रण दिया और कहा कि यह याचिका या तो खुद जाधव दायर कर सकते हैं या उनके द्वारा कानूनी रूप से अधिकृत कोई प्रतिनिधि या भारतीय उच्च आयोग का एक कौंसुलर अधिकारी दायर कर सकता है. इस नए वक्तव्य में पाकिस्तान सरकार ने यह भी कहा कि क्षमा याचिका एक अलग प्रक्रिया है और उसका इस समीक्षा प्रक्रिया से कोई लेना देना नहीं है.
निमंत्रण या चाल?
इस नए वक्तव्य का भारत सरकार ने अभी तक जवाब नहीं दिया है लेकिन जानकार इसे एक चाल मान रहे हैं. याचिका दायर करने के लिए भारत को निमंत्रण दे कर पाकिस्तान सरकार ने यह सुनिश्चित कर लिया है कि उसपर सहयोग ना करने का आरोप ना आए. दूसरी तरफ, याचिका दायर करने की आखिरी तिथि के महज 10 दिन पहले न्यौता दे कर पाकिस्तान ने भारत के लिए मुश्किल स्थिति पैदा कर दी है क्योंकि याचिका तैयार कर अदालत में दायर करने के लिए इतना समय पर्याप्त नहीं है.
वरिष्ठ पत्रकार संदीप दीक्षित ने डीडब्ल्यू को बताया कि यह भारत के लिए बहुत मुश्किल स्थिति है और देखना होगा कि भारत सरकार इतने कम समय में क्या कदम उठा पाती है.
जानकारों का कहना है कि ऐसे में अध्यादेश की समय-सीमा समाप्त हो जाएगी और उसके बाद सिर्फ क्षमा याचिका पर ही कार्यवाही आगे बढ़ेगी. अगर ऐसा हो गया, तो वह भारत के लिए एक तरह की कूटनीतिक हार होगी क्योंकि क्षमा याचिका पर कार्यवाही आगे बढ़ने का मतलब होगा जाधव पर पाकिस्तान द्वारा लगाए गए आरोपों को स्वीकार कर लेना.
पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव के मामले पर हेग की अंतरराष्ट्रीय अदालत में सुनवाई हुई. इस सुनवाई के बाद आए फैसले में पाकिस्तान को झटका लगा. कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई हुई थी.
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गिरफ्तारी पर पाकिस्तानी दावा
25 मार्च 2016 को पाकिस्तान ने भारत को बताया कि भारतीय नौसेना के अधिकारी कुलभूषण जाधव को 3 मार्च 2016 को बलूचिस्तान के चमन सीमा के इलाके में मशकेल इलाके से गिरफ्तार किया गया है. उनके पास एक भारतीय पासपोर्ट मिला है जिस पर उनका नाम हुसैन मुबारक पटेल लिखा हुआ है. वो पाकिस्तान में आर एंड ए डब्ल्यू के लिए काम कर रहे थे. उनके ऊपर पाकिस्तान को अस्थिर करने की साजिश में शामिल होने का आरोप है.
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गिरफ्तारी पर भारतीय आपत्ति
भारत ने दावा किया कि जाधव 2001 में भारतीय नौसेना से रिटायर हो चुके हैं. वो ईरान में अपना व्यापार कते हे हैं. पाकिस्तानी एजेंसियों ने उनका ईरान से अपहरण कर उन्हें पाकिस्तान लाया गया है. वहीं उनकी फर्जी पहचान तैयार की गई. उनका भारतीय नौसेना या आर एंड ए डब्ल्यू से कोई संबंध नहीं है. भारत ने जाधव से बात करने के लिए 25 मार्च 2016 और उसके बाद वियना समझौते के आधार पर लगातार काउंसलर एक्सेस की मांग की.
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पाकिस्तान ने नहीं मानी भारत की बात
पाकिस्तान ने काउंसलर एक्सेस की मांग को खारिज कर दिया. पाकिस्तान ने कहा कि जाधव एक जासूस हैं ऐसे में उन्हें काउंसलर एक्सेस नहीं दिया जा सकता. भारत काउंसलर एक्सेस के सहारे अपने जासूस से सूचनाएं निकलवाना चाहता है. 21 मार्च 2017 को पाकिस्तान ने कहा कि अगर भारत इस मामले की जांच में सहयोग करे तो काउंसलर एक्सेस दिया जा सकता है.
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पाकिस्तान ने सुनाई सजा ए मौत
पाकिस्तान ने इस मामले की सुनवाई सैन्य अदालत में की. कार्यवाही के बीच ही पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव के दो वीडियो भी जारी किए. कई सारे कट्स वाले इन वीडियो में जाधव अपने कथित मिशन के बारे में जानकारी देते हैं. वो यह कबूल करते भी दिख रहे हैं कि वो पाकिस्तान में भारतीय जासूस थे. सैन्य अदालत ने साढ़े तीन महीने ट्रायल चलाने के बाद 12 अप्रैल 2017 को जाधव को फांसी की सजा सुना दी.
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भारत ने किया हेग का रुख
जाधव से बात करने के लिए काउंसलर एक्सेस ना दिए जाने और फांसी की सजा सुनाए के खिलाफ भारत ने हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अर्जी दाखिल की. 8 मई 2017 को दाखिल की गई इस अर्जी में भारत ने कहा कि जाधव को गलत तरीके से फंसाया गया है. भारत को उनसे बात करने के लिए काउंसलर एक्सेस ना देकर वियना काउंसलर समझौता 1963 का उल्लंघन पाकिस्तान कर रहा है. इस कोर्ट ने फैसला सुनाने तक जाधव की फांसी पर रोक लगा दी.
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जाधव से मिलीं पत्नी और मां
25 दिसंबर 2017 को कुलभूषण जाधव को उनकी पत्नी और मां से मिलने दिया गया. इस मुलाकात के दौरान भारतीय वाणिज्य दूतावास के उपायुक्त भी मौजूद रहे. भारत ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान में जाधव की पत्नी और मां से बदसलूकी की गई. पाकिस्तान ने इन आरोपों को खंडन किया. जाधव की मां और पत्नी को मीडिया से दूर रखा गया. उनकी मुलाकात एक शीशे की दीवार के बीच में होने के चलते इंटरकॉम से हुई.
अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने फांसी पर रोक के अलावा पाकिस्तान द्वारा जाधव मामले में की जाने वाली हर कार्रवाई के बारे में सूचना देने के लिए भी कहा. अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पहले भारत को 13 सितंबर 2017 को अपना पक्ष रखने का मौका दिया. पाकिस्तान ने 13 दिसंबर 2017 भारतीय पक्ष का जवाब दिया. 17 अप्रैल 2018 को भारत ने अपने अगले तर्क दिए और 17 जुलाई 2018 को पाकिस्तान ने इन तर्कों के जवाब दिए.
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फैसले का दिन
18 से 21 फरवरी 2019 के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच दो और बार मौखिक बहस हुई. 4 जुलाई 2019 को अदालत ने कहा कि 17 जुलाई 2019 को न्यायाधीश अब्दुलकावि अहमद युसूफ इस मामले में फैसला सुनाया गया. भारत की ओर से वकील हरीश साल्वे और पाकिस्तान की ओर से वकील ख्वाजा कुरैशी ने पक्ष रखा.
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अंतरराष्ट्रीय अदालत में पाकिस्तान की हार
जाधव के मामले पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया. अदालत ने जाधव की फांसी पर रोक लगा दी. साथ ही जाधव को काउंसलर एक्सेस देने के निर्देश भी पाकिस्तान को दिए. अदालत ने जाधव को रिहा करने की भारत की अपील को ठुकरा दिया. अदालत ने पाकिस्तान को सजा पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिए.