कुवैत खाड़ी का पहला ऐसा देश बन गया है, जिसने घरेलू सहायकों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय की है. देश के आंतरिक मंत्री शेख मोहम्मद खालेद अल-सबह ने एक अध्यादेश जारी कर इसे लागू किया है. कुवैत के अखबार अल-अनबा के मुताबिक अब घरेलू सहायकों को कम से कम 60 दिनार (200 डॉलर) मासिक की तनख्वाह देनी होगी. इसके अलावा घरों में काम करने वाले लाखों गरीब कर्मचारियों को कई और अधिकार भी दिये गये हैं.
बीते साल संसद में पास विधेयक के बाद जारी अध्यादेश के मुताबिक अब ज्यादा काम करने पर मालिक को कर्मचारियों को ओवरटाइम देना होगा. घरेलू सहायक को हफ्ते में एक दिन छुट्टी भी मिलेगी. एक दिन में ज्यादा से ज्यादा 12 घंटे ही काम कराया जाएगा. घरेलू सहायकों को साल में 30 दिन की पेड छुट्टी भी मिलेगी. इतना ही नहीं, कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने के लिए भी एक महीने पहले नोटिस देना होगा.
मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने मानवाधिकारों के हनन के लिए एक बार फिर कतर की आलोचना की है. फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी करने जा रहे कतर में विदेशी मजदूरों की दयनीय हालत है.
तस्वीर: picture-alliance/augenklick/firo Sportphotoअंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संघ (फीफा) ने विवादों के बावजूद कतर को 2022 के वर्ल्ड कप की मेजबानी सौंपी. मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि कतर में स्टेडियम और होटल आदि बनाने पहुंचे विदेशी मजदूरों की बुरी हालत है.
तस्वीर: picture-alliance/augenklick/firo Sportphotoएमनेस्टी इंटरनेशनल भी कतर पर विदेशी मजदूरों के शोषण का आरोप लगा चुका है. वे अमानवीय हालत में काम कर रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Gebertएमनेस्टी के मुताबिक वर्ल्ड कप के लिए निर्माण कार्य के दौरान अब तक कतर में सैकड़ों विदेशी मजदूरों की मौत हो चुकी है.
तस्वीर: picture-alliance/HJS-Sportfotosमानवाधिकार संगठनों के मुताबिक कतर ने विदेशी मजदूरों की हालत में सुधार का वादा किया था, लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Foto: Amnesty Internationalवर्ल्ड कप के लिए व्यापक स्तर पर निर्माण कार्य चल रहा है. उनमें काम करने वाले विदेशी मजदूरों को इस तरह के कमरों में रखा जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Foto: Amnesty Internationalस्पॉन्सर कानून के तहत मालिक की अनुमति के बाद ही विदेशी मजदूर नौकरी छोड़ या बदल सकते हैं. कई मालिक मजदूरों का पासपोर्ट रख लेते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B.v. Jutrczenkaब्रिटेन के "द गार्डियन" अखबार के मुताबिक कतर की कंपनियां खास तौर नेपाली मजदूरों का शोषण कर रही हैं. अखबार ने इसे "आधुनिक दौर की गुलामी" करार दिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Foto: Amnesty Internationalअपना घर और देश छोड़कर पैसा कमाने कतर पहुंचे कई मजदूरों के मुताबिक उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि हालात ऐसे होंगे.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Naamaniकई मजदूरों की निर्माण के दौरान हुए हादसों में मौत हो गई. कई असह्य गर्मी और बीमारियों से मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/Pressefoto Markus Ulmerकतर से किसी तरह बाहर निकले कुछ मजदूरों के मुताबिक उनका पासपोर्ट जमा रखा गया. उन्हें कई महीनों की तनख्वाह नहीं दी गई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Naamaniकुछ मजदूरों के मुताबिक काम करने की जगह और रहने के लिए बनाए गए छोटे कमचलाऊ कमरों में पीने के पानी की भी किल्लत होती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Naamaniमजदूरों की एक बस्ती में कुछ ही टॉयलेट हैं, जिनकी साफ सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Naamani
एक अनुमान के मुताबिक कुवैत में करीब 6,00,000 लोग घरेलू सहायक का काम करते हैं. इनमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और नेपाल के लोग भी बड़ी संख्या में हैं. खाड़ी में कुल 24 लाख विदेशी मूल के लोग काम करते हैं. मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक खाड़ी के सभी देशों में कर्मचारियों का बुरी तरह शोषण होता है. मारपीट, पासपोर्ट जब्त करना, तनख्वाह न देना और यौन शोषण जैसे मामले भी अक्सर सामने आते रहते हैं.
कुवैत के नए कानून से खाड़ी में बदलाव की उम्मीद जगी है. मानवाधिकार संगठनों ने कुवैत के कदम का स्वागत करते हुए बाकी पड़ोसियों से भी इस दिशा में आगे बढ़ने की अपील की है.
ओएसजे/एमजे (एएफपी)