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कूड़े के ढेर में 15 कन्या भ्रूण मिले

५ अप्रैल २०११

भारत की ताजा जनसंख्या में महिलाओं की संख्या लगातार क्यों घट रही है, इसकी वजह बिहार में किशनगंज के कूड़े के ढेर से मिली. यहां प्लास्टिक के जार में रखे 15 कन्या भ्रूण मिले हैं जिनकी उम्र 4 से 6 महीने के बीच है.

लड़कियां नहीं रहींतस्वीर: Lauren Farrow

कूड़ा फेंकने की इस जगह के पास ही एक निजी नर्सिंग होम भी है. पुलिस के मुताबिक रविवार को पास में क्रिकेट खेलते बच्चों ने इसे देखा. किशनगंज राजधानी पटना से करीब 400 किलोमीटर दूर है. जिले के पुलिस प्रमुख आरके मिश्रा ने बताया, "रसायन युक्त पानी के साथ इन भ्रूणों को प्लास्टिक के जार में रखा गया था. इनमें दो नर भ्रूण भी हैं. यह हैरत में डालने वाली घटना है. जो लोग इस मामले में शामिल हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हम गंभीर कदम उठाएंगे."

तस्वीर: Nikolai Sorokin-Fotolia

घटती लड़कियां

कूड़े के ढेर से कन्या भ्रूण ऐसे वक्त में सामने आए हैं जब पिछले हफ्ते ही जारी हुए जनसंख्या के आंकड़ों में महिलाओं की घटती तादाद की चर्चा जोर शोर से हो रही है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में एक हजार लड़कों पर केवल 914 लड़कियां हैं. पिछली जनगणना में एक हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 927 थी. पिछले 10 साल में भारत को आर्थिक मोर्चे पर मिली सफलता के बावजूद देश में लड़कियों के साथ जारी भेदभाव पर कोई असर नहीं पड़ा है.

कितनी आबादी

देश के कुछ राज्यों में तो हालत और ज्यादा गंभीर हैं. खासतौर पर दिल्ली और आसपास के राज्यों में कन्या भ्रूण हत्या धड़ल्ले से जारी है. इसका असर जनसंख्या के आंकड़ों पर भी दिख रहा है. देश भर में कुल 9 जिले, 33,876 गांव और 201 शहर ऐसे हैं जहां हर 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या 800 से नीचे है. 800 से 849 के बीच लड़कियों की संख्या वाले जिले 39 हैं जबकि 900 से कम लड़कियों वाले जिले 116 हैं. 193 जिले ऐसे हैं जहां लड़कियों की संख्या एक हजार लड़कों के मुकाबले 900 से 949 के बीच है. देश भर के 593 जिलों में केवल 74 जिले ऐसे हैं जहां लड़कियों की संख्या 1000 या इससे ऊपर है. ये जिले मुख्य रूप से हिमालय की तराई वाले इलाकों में हैं.

तस्वीर: AP

आसान है मारना

सस्ती अल्ट्रासाउंड तकनीक ने लोगों के लिए गर्भ में ही लिंग की पहचान करवा लेना आसान बना दिया है. गैरकानूनी रूप से कन्या भ्रूणों की हत्या वाले कई रैकेट देश भर में चल रहे हैं. महज पांच छह सौ रुपये खर्च कर गर्भ में पल रहे शिशु की लिंग की पहचान हो जाती है. आमतौर पर सभी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर 'लिंग की पहचान नहीं की जाती' के बोर्ड सरकार के आदेश पर लगा दिये गए हैं लेकिन अंदरखाने पैसा देकर सबकुछ बता दिया जाता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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