कृत्रिम बुद्धि ने सबसे कठिन माने जाने वाले खेल गो में चैंपियन इंसान को हराया. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के मामले में इसे अभूतपूर्व कामयाबी बताया जा रहा है.
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गूगल के डीपमाइंड डिविजन ने कंप्यूटर को हर हाल में जीतना सिखाया. इसके बाद कंप्यूटर के सामने गो (चीनी खेल) के यूरोपीय चैंपियन को बैठाया गया. न्यूयॉर्क में मशीन और चैंपियन इंसान के बीच पांच मुकाबले हुए और सभी में इंसान ने मात खाई. शतरंज, चेकर्स और बैकगैमन जैसे खेलों में तो मशीनी बुद्धि पहले ही इंसान को हरा चुकी है.
गो को 2,500 साल पुराना खेल कहा जाता है. यह कुछ कुछ भारत में खेले जाने वाले बाघ बकरी के खेल सा है, लेकिन इसका बोर्ड काफी बड़ा होता है. उसमें कई गोटियां होती हैं. दो लोगों के बीच खेले जाने वाले गो में सामने वाले खिलाड़ी की गोटियों को अपनी गोटियों से एक एक कर घेरा जाता है. और इस तरह हर एक गोटी को बाहर करने की कोशिश की जाती है. गूगल डीपमाइंड के डेनिस हैसेबिस के मुताबिक, नियम भले ही आसान लगें लेकिन इसे खेलना आसान नहीं है, "यह शायद इंसान द्वारा बनाया गया सबसे जटिल खेल है."
यूरोपीय चैंपियन को हराने के बाद गूगल के अल्फागो प्रोग्राम का सामना अब इस खेल के महान खिलाड़ी ली सेडोल से होगा. यह मुकाबला मार्च में दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में होगा. विजेता को 10 लाख डॉलर का पुरस्कार मिलेगा. 30 साल तक अल्फागो प्रोग्राम पर काम करने वाले एल्बेर्टा यूनिवर्सिटी के कंप्यूटिंग साइंस प्रोफेसर मार्टिन मुलर के मुताबिक, "अब तक हमने जो भी देखा है ये उस सब से बड़ा कदम है. यह बहुत, बहुत जबरदस्त काम है."
विशेषज्ञों के मुताबिक अल्फागो की सफलता से यह साफ हो गया है कि भविष्य की मशीनें खुद कई परेशानियों को हल कर लेंगी. कई कंप्यूटर प्रोग्राम ऐसा करने की हालत में धीरे धीरे पहुंच रहे हैं. इस चलन को फुल ऑटोमेशन कहा जा रहा है. लेकिन स्टीफेन हॉकिंग समेत कुछ बड़े वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के खतरे से भी आगाह करा रहे हैं. उनकी चेतावनी है कि लगातार बुद्धिमान होती मशीनें इंसान के नियंत्रण से बाहर होकर मानवता के लिए खतरा बन सकती हैं.
इनसे है पृथ्वी को सबसे बड़ा खतरा
पृथ्वी को इस समय जलवायु परिवर्तन या उल्कापिंडों के टकराने से ज्यादा खतरा खुद इंसान से है. द कंवर्सेशन डॉट कॉम theconversation.com के रिव्यू के मुताबिक इंसान की ही बनाई हुई कुछ खास चीजों से खतरा है हमारी पृथ्वी को.
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परमाणु युद्ध
अगर दुनिया की बड़ी ताकतों के बीच परमाणु युद्ध हो जाए तो इससे सीधे तौर पर दुनिया की लाखों की आबादी प्रभावित होगी. यही नहीं इसके बाद पृथ्वी पर निम्न तापमान और सूखे का असर सैकड़ों सालों तक रहेगा. इससे दुनिया भर में भुखमरी फैल सकती है.
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बायोटेक्नोलॉजी
इतिहास गवाह है कि युद्ध के मुकाबले महामारियों से ज्यादा लोग मारे जाते हैं. और बीमारियां पहले के मुकाबले ज्यादा भयानक होती जा रही हैं, इसमें बायोटेक्नोलॉजी का भी हाथ है. उदाहरण के तौर पर एक्ट्रोमीलिया वायरस, जो चूहों में चिकनपॉक्स का कारक है, बायोटेक्नोलॉजी की रिसर्चों के चलते यह पहले के मुकाबले ज्यादा असरदार हो गया है और इससे मनुष्य भी संक्रमित हो सकता है.
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बुद्धिमत्ता
इंसान का बुद्धिमान होना अच्छी बात है लेकिन ये तेज दिमाग अगर गलत हाथों में चले जाएं तो बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं. बुद्धिमत्ता से नैतिकता का कोई संबंध नहीं, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि बुद्धिमान आदमी सिर्फ नैतिक काम ही करेगा.
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नैनोटेक्नोलॉजी
नैनोटेक्नोलॉजी के बड़े सारे उपयोग हैं लेकिन बायोटेक्नोलॉजी की ही तरह इसका भी खतरा यह है कि इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है. सबसे बड़ा खतरा यह कि नैनोटेक्नोलॉजी की मदद से बेहद खतरनाक हथियार बनाए जा सकते हैं.
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जलवायु परिवर्तन और उल्कापिंड
तेजी से बदल रही जलवायु पृथ्वी के लिए एक बड़ी चुनौती है. यह भी संभव है कि कोई उल्कापिंड पृथ्वी से टकरा जाए और भारी नुकसान पहुंचाए. लेकिन उसकी संभावना बहुत कम है. ज्यादा बड़ा खतरा विश्व को परमाणु युद्ध से है जो कि विश्व पर पिछले 70 सालों से मंडरा रहा है.