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कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक रोक सकती है सरकार

२१ जनवरी २०२१

केंद्र सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि वो नए कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक लागू होने से रोक सकती है. छह महीनों से चल रहे किसानों के विरोध के बीच यह पहली बार है जब सरकार ने लंबी अवधि तक कानूनों को रोकने की बात की है.  

Indien | Landwirte | Proteste in Neu-Delhi
तस्वीर: Sameeratmaj Mishra/DW

किसानों द्वारा सरकार के प्रस्ताव को ना ठुकराए जाने का भी यह पहला मौका है. सरकार से 10वें दौर की बातचीत करने के बाद किसान नेताओं ने बुधवार 20 जनवरी को मीडिया को बताया कि सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्रियों ने एक नई समिति गठित करने का प्रस्ताव दिया है जिसमें किसानों के प्रतिनिधि भी शामिल हो सकते हैं. यह समिति तीनों कानूनों को रद्द करने समेत किसानों की सभी मांगों पर चर्चा करेगी.

इसके अलावा सरकार ने यह भी प्रस्ताव दिया कि जब तक यह समिति अपना काम पूरा नहीं कर लेती तब तक इन कानूनों के लागू होने पर रोक लगी रहेगी. सरकार ने तीनों विवादित कानूनों को 18 से 24 महीनों तक रोकने का प्रस्ताव दिया. किसानों ने कहा कि बैठक में चर्चा अच्छे माहौल में हुई और अब वो आपस में चर्चा कर इस प्रस्ताव पर फैसला लेंगे और शुक्रवार तक सरकार को बताएंगे. कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही दो महीनों की रोक लगा चुका है और उनके सभी आयामों के मूल्यांकन के लिए कृषि विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त कर चुका है.

गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के धरना स्थल का एक दृश्य.तस्वीर: Sameeratmaj Mishra/DW

समिति के सदस्यों की भी बुधवार को ही पहली बैठक हुई, लेकिन बैठक में क्या हुआ इस बारे में कोई जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है. सुप्रीम कोर्ट के इन दोनों फैसलों को किसान संगठनों ने ठुकरा दिया था और कहा था कि उनकी मांग कानूनों को रोके जाने की नहीं, बल्कि निरस्त करने की है. लेकिन सरकार के ताजा प्रस्तावों को किसानों ने ठुकराया नहीं है, जिससे गतिरोध का समाधान निकलने की थोड़ी उम्मीद जगी है.

कृषि मामलों से जुड़ी वेबसाइट रूरल वॉइस के मुख्य संपादक हरवीर सिंह का भी मानना है कि इस नए प्रस्ताव से स्थिति कुछ नरम जरूर हुई है. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि विशेष रूप से पंजाब के किसान संगठन तीनों कानूनों को निरस्त करने की मांग पर कायम हैं, लेकिन उनकी यह भी कोशिश है कि कानूनों पर तीन साल तक की रोक लग जाए. हरवीर सिंह ने बताया कि किसानों को उम्मीद है कि उसके बाद लोक सभा चुनावों का समय आ जाएगा, उस समय कोई भी पार्टी राजनीतिक जोखिम नहीं उठाएगी और तीनों कानून अपने आप ठंडे बस्ते में चले जाएंगे.

शायद यही कारण है किसान संगठनों ने सरकार पर दबाव बनाए रखने के लिए अपनी प्रस्तावित 26 जनवरी की किसान परेड के आयोजन को अभी तक स्थगित नहीं किया है और कहा है कि परेड जरूर होगी. सभी इंतजामों के लिए किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली पुलिस के साथ बातचीत भी शुरू कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने भी परेड में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया है और पुलिस को इस विषय में खुद निर्णय लेने के लिए कहा है.

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