बजटः किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध
३ फ़रवरी २०२०वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अब तक का सबसे लंबा बजट भाषण दिया. उन्होंने दो घंटे 41 मिनट का भाषण दिया जिसमें शुरुआत में कहा कि बजट आम आदमी की आय सुनिश्चित करने के लिए और उनकी क्रय शक्ति को बढ़ाने के प्रति संकल्पित है. नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, "कृषि बाजार को उदार बनाने की जरूरत है और सरकार किसानों को भरपूर समर्थन देने का प्रस्ताव कर रही है. सरकार ने खेती को बढ़ावा देने और किसानों के कल्याण के लिए और उनकी आय बढ़ाने के लिए 16 अहम फैसले किए हैं."
कृषि क्षेत्र और किसानों को लेकर वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कुछ अहम एलान किए हैं. जिसके जरिए सरकार अगले दो सालों में किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखती है. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए 16 अहम फैसले किए हैं और सरकार ने इन 16 योजनाओं के लिए 2.83 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इस राशि में कृषि और सिंचाई के लिए 1.2 लाख करोड़ दिए जाएंगे. बजट भाषण में सीतारमण ने एक बार फिर दोहराया कि सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि ऊर्जा सुरक्षा उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम) के विस्तार की घोषणा की. इस योजना के तहत 20 लाख किसानों को सोलर पंप लगाने में मदद दी जाएगी. उन्होंने कहा कि 15 लाख किसानों को ग्रिड से जुड़े सोलर पंप लगाने के लिए धन मुहैया कराया जाएगा. किसान इन सोलर पंपों से बनने वाली अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति ग्रिड को भी कर सकेंगे. सीतारमण का कहना है कि इस योजना से किसानों की डीजल और केरोसिन तेल पर निर्भता कम हुई है और वे सौर ऊर्जा से जुड़े हैं. इस योजना से किसान सौर ऊर्जा उत्पादन करने और उसे ग्रिड को बेचने में सक्षम होंगे. साथ ही वित्त मंत्री ने कहा कि किसान अपनी बंजर जमीन पर सौर ऊर्जा परियोजना के तहत ऊर्जा पैदा कर आमदनी भी कर पाएंगे. गौरतलब है कि यह योजना राजस्थान जैसे राज्य के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकती है.
सीतारमण ने कहा वित्त वर्ष 2020-21 का बजट मुख्यत: तीन बातों 'आकांक्षी भारत, सभी के लिए आर्थिक विकास करने वाला भारत और सभी की देखभाल करने वाले समाज पर केंद्रित है. वित्त मंत्री ने कहा सरकार का मकसद लोगों की आय और खरीद क्षमता को बढ़ाना है.
इस बजट के साथ ही सरकार, भारतीय रेल पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत किसान रेल का गठन करेगी. इसके तहत एक्सप्रेस और मालगाड़ियों में रेफ्रिजरेटर कोच लगेंग, जिससे दूध, मांस, मछली जैसी खराब होने वाली चीजों की ट्रेन में कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था हो सके और उसे कम से कम समय में बाजारों में पहुंचाया जा सके. वित्त मंत्री ने सभी तरह के उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल और जीरो बजट प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया, उन्होंने कहा कि वर्षा संचित क्षेत्रों में एकीकृत खेती प्रणाली को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके साथ ही बहुस्तरीय फसल उगाने, मधुमक्खी पालन को भी बढ़ावा दिया जाएगा. सीतारमण के मुताबिक जैविक खेती से संबंधित ऑनलाइन राष्ट्रीय पोर्टल को भी मजबूत बनाया जाएगा. जल संकट की समस्या से जूझ रहे देश के 100 जिलों में इस समस्या से निपटने के लिए व्यापक इंतजाम किए जाने का दावा किया गया है.
पशुपालन क्षेत्र के योगदान को देखते सीतारमण ने मवेशियों के खुर और मुंह में होने वाली बीमारी 'ब्रूसिलोसिस' और बकरियों को होने वाली बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने का प्रस्ताव दिया है. सीतारमण ने कहा कि 2025 तक देश में दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता 53.5 मिलियन मीट्रिक टन से दोगुना करके 108 मिलियन मीट्रिक टन कर दी जाएगी.
सीतारमण के बजट भाषण पर विपक्ष ने बेहद फीकी प्रक्रिया दी है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, "सरकार के 2020-21 के बजट में लंबे भाषण के अलावा कुछ भी ठोस नहीं है. रोजगार को लेकर बजट में कुछ भी नहीं कहा गया है और अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं." लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "इस बजट में सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें हैं जिससे वास्तविकता का कोई लेना देना नहीं है. बजट लंबा बना कर सिर्फ भ्रम की स्थिति पैदा की गई है."
दूसरी ओर देश के प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम की खाद्य प्रसंस्करण समिति के चेयरमैन विकास जैन कहते हैं, "सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए 2.83 लाख करोड़ का आवंटन तो कर दिया है लेकिन चुनौती यह है कि रकम हर योजना में किस तरह से जाएगी. सरकार ने 16 अहम बिंदु बनाई है, वह देखने की बात है कि रकम कैसे आवंटित होती है. जो योजना है उसे फौरन लागू किया जाना चाहिए. बंजर जमीन पर किसानों को सौर ऊर्जा प्लांट लगाकर बिजली बेचने को कहा गया है लेकिन किसान ऊर्जा किस तरह से बेचेगा यह साफ नहीं है. किसान सौर ऊर्जा के लिए निवेश कहां से लाएगा. इन पहलुओं का समझना पड़ेगा."
सरकार की कोशिश है कि किसानों के हाथ में ज्यादा से ज्यादा पैसे दिए जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्र में खर्च और खपत बढ़े, जिससे शहरी क्षेत्रों में खरीद और मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार थोड़ी तेज होगी. दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बजट को "दीवालिया सरकार का दीवालिया बजट" करार देते हुए कहा, "गिरती अर्थव्यवस्था, बेतहाशा बढ़ी महंगाई और रोजगार के बारे में कोई ठोस कदम उठाने की बात बजट में नहीं की गई है. देश की खराब अर्थव्यवस्था को देखते हुए देशवासियों को बजट से बहुत सारी उम्मीदें थी लेकिन लोगों को निराशा हाथ लगी है. इस बजट से गरीबों, किसानों और नौजवानों के जीवन में कोई परिवर्तन नहीं आने वाला है."
दूसरी ओर पोलारिस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज दुबे कहते हैं, "सरकार ने कहा है कि वह दो साल में किसानों की आय दोगुना कर देगी अगर ऐसा हो जाता है तो यह देश और अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर होगा. देश में जितने भी लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं उसमें एक बड़ा तबका किसानों का है. पिछले कुछ समय से किसान बहुत दबाव में हैं. अगर उनकी आय दोगुनी होती है तो यह हमारी अर्थव्यस्था के लिए बहुत अच्छी बात है."
बजट पर किसान नेता रामपाल जाट कहते हैं,"सरकार की नीयत ही नहीं है कि किसानों की आय दोगुनी हो. सरकार की मंशा पर ही सवाल उठते हैं. सरकार ऐसी घोषणाएं कर किसानों को सिर्फ भ्रम में डालना चाहती हैं."
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