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समाज

पूर्व बाल सैनिक सीख रहे हैं नए गुर

१५ जनवरी २०२०

केंद्रीय अफ्रीकी गणराज्य में वर्षों से चल रहे सशस्त्र संघर्ष ने हजारों बच्चों के हाथों में हथियार थमा दिए हैं. कम से कम राजधानी बांगुइ में हालात अब बदल रहे हैं और बाल सैनिक जिंदगी जीने के लिए नए हुनर सीख रहे हैं. 

Zentralafrikanische Republik Freilassung von Kindersoldaten
तस्वीर: Reuters/E. Braun

केंद्रीय अफ्रीकी गणराज्य (सीएआर) के हजारों पूर्व बाल सैनिकों में से एक प्रिस्का कहती हैं, "अब हम रात को सुरक्षित रूप से सो सकते हैं, मैं एक बेकरी शुरू करना चाहती हूं." प्रिस्का की एक बागी से जबरदस्ती शादी करा दी गई थी. लेकिन आज एक पुनःप्रशिक्षण कार्यक्रम की मदद से वह और उनके जैसे कई युवा ऐसे हुनर सीख रहे हैं जिससे उन्हें जीवन में एक नई शुरुआत करने का मौका मिल रहा है. राजधानी बांगुइ में सैकड़ों लोगों ने खाना पकाने, बढ़ईगिरी, अलमारियां बनाने और दूसरे पेशों को सीखने के कोर्स में अपना नाम लिखवा लिया है.

केंद्रीय अफ्रीकी गणराज्य दुनिया के सबसे गरीब और सबसे ज्यादा अशांत देशों में से एक है. सन 2013 में यहां के किशोरों ने खून-खराबे का सबसे ताजा दौर प्रत्यक्ष देखा. इनमें से कुछ सेलेका बागी गठबंधन के सदस्य थे जिसने राजधानी बांगुइ पर धावा बोल कर तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रॉनसोआ बोजी को सत्ता से हटा दिया, जिस से देश में दूसरे गृह युद्ध की शुरुआत हो गई.

 

मई 2015 में केंद्रीय अफ्रीकी गणराज्य के सशस्त्र गुटों ने यूएन की मध्यस्थता वाले समझौते के तहत 350 पूर्व बाल सैनिकों को रिहा किया था. तस्वीर: Reuters/E. Braun

कुछ और किशोर तथाकथित बलाका-विरोधी मिलिशिया के सदस्य थे जिसका सेलेका से लड़ने के लिए गठन किया गया था. एरिक एक शर्मीला 16 वर्षीय लड़का है जिसने अकल्पनीय दहशत देखी है. एरिक बताता है, "जब बागियों ने मेरे माता-पिता को मार दिया तब से मैं उनके साथ ही जुड़ गया."

उसका कहना है कि उस समय वो 11 साल का था. उसने यह भी कहा, "मैंने जो चीजें वहां देखीं वो मेरी उम्र में किसी को देखनी नहीं चाहिए." एरिक ने अभी अभी सिलाई का एक कोर्स पूरा किया है. अपनी सिलाई मशीन को गर्व से पकड़े हुए वो कहता है, "अब मैं अपने हाथों से कुछ बना सकता हूं".

संयुक्त राष्ट्र ने 2015 में एक डि-मोबिलाइजेशन कार्यक्रम शुरू किया था और उसका कहना है कि तब से 13,000 से भी ज्यादा पूर्व बाल सैनिकों ने सशस्त्र समूहों को छोड़ कर नए जीवन की शुरुआत की है.

बांगुइ में तो बच्चों के लिए स्थिति बेहतर हो गई है, लेकिन आज भी देश का दो-तिहाई से भी ज्यादा हिस्सा सशस्त्र समूहों के नियंत्रण में है जो आज भी बच्चों को हथियार थमा रहे हैं. इस लंबे संघर्ष ने 47 लाख लोगों वाले इस देश में लगभग एक चौथाई आबादी को अपना घर छोड़ने पर विवश कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि दो-तिहाई से भी ज्यादा आबादी जीने के लिए मदद पर आश्रित है.

सीके/आरपी (एएफपी)

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