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पंजाब में अभूतपूर्व संकट

चारु कार्तिकेय
४ नवम्बर २०२०

केंद्र के नए कृषि कानूनों की वजह से पंजाब और केंद्र के बीच चल रहे टकराव के बीच पंजाब में एक अभूतपूर्व संकट पैदा हो गया है. इस संकट से उबरने के लिए पंजाब कई कोशिशें कर रहा है.

Indien Protest von Landwirten
तस्वीर: Seerat Chabba/DW

पंजाब जून से ही नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का केंद्र रहा है. राज्य में विरोध इतना गंभीर हो गया था कि शुरुआत में कानूनों का समर्थन करने वाली अकाली दल को भी बाद में अपना मोर्चा बदलना पड़ा. उसने भी विरोध किया और केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए से अपना दशकों पुराना रिश्ता तोड़ लिया.

केंद्र के तीन नए कानून हैं आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक. इनका उद्देश्य ठेके पर खेती यानी 'कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग' को बढ़ाना, खाद्यान के भंडारण की सीमा तय करने की सरकार की शक्ति को खत्म करना और अनाज, दालों, तिलहन, आलू और प्याज जैसी सब्जियों के दामों को तय करने की प्रक्रिया को बाजार के हवाले करना है.

कानूनों के आलोचकों का मानना है कि इनसे सिर्फ बिचौलियों और बड़े उद्योगपतियों का फायदा होगा और छोटे और मझौले किसानों को अपने उत्पाद के सही दाम नहीं मिल पाएंगे. सरकार ने कानूनों को किसानों के लिए कल्याणकारी बताया है, लेकिन कई किसान संगठनों, कृषि विशेषज्ञों और विपक्षी दलों का कहना है कि इनकी वजह से कृषि उत्पादों की खरीद की व्यवस्था में ऐसे बदलाव आएंगे जिनसे छोटे और मझौले किसानों का शोषण बढ़ेगा.

बीजेपी का कहना है कि राज्य सरकार किसानों को पटरियों से नहीं हटा रही हैतस्वीर: Seerat Chabba/DW

अक्टूबर में केंद्र के कानूनों को बेअसर करने के लिए राज्य सरकार अपने कानून ले कर आई और उन्हें विधान सभा से पारित करा कर राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेज दिया. राज्यपाल की स्वीकृति ना मिलने पर जब मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने का समय मांगा तो राष्ट्रपति ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया.

लेकिन इस सांकेतिक टकराव के अलावा केंद्र ने एक ऐसा कदम भी उठाया हुआ है जिससे पंजाब में एक अभूतपूर्व संकट पैदा हो गया है. विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा राज्यों में ट्रेनों को रोकने के बाद केंद्र ने माल ढोने वाली ट्रेनों का पंजाब जाना पूरी तरफ से बंद कर दिया.

अब हालात ये हैं कि राज्य में कोयले की भारी कमी हो गई है और राज्य के ऊर्जा संयंत्रों में बिजली उत्पादन रुक गया है. राज्य के निवासी अब बड़े पैमाने पर बिजली कटने की आशंका के बीच स्थिति से निपटने की तैयारी कर रहे हैं. दिन में ऊर्जा की कमी 1,000 से 1,500 मेगावाट तक पहुंच गई है. 

सिंह ने कहा है कि राज्य में कोयला, यूरिया और फर्टिलाइजर की सप्लाई पूरी तरह से रुक गई है. इसके विरोध में वो अपने विधायकों को लेकर दिल्ली आ रहे हैं और बुधवार से वे राजघाट पर धरना शुरू करेंगे.

उधर बीजेपी का कहना है कि राज्य में कोयला इसलिए नहीं पहुंच रहा है क्योंकि राज्य सरकार जान बूझकर किसानों को ट्रेन की पटरियों पर से नहीं हटा रही है.

अगर इस समस्या का जल्द ही समाधान नहीं निकला तो पंजाब में संकट और भी गंभीर मोड़ ले सकता है.

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