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समाज

सेक्स टूरिज्म में फंसती भारत, नेपाल और पाकिस्तान की लड़कियां

९ अगस्त २०१९

मर्दों से भरे नाइटक्लबों में बॉलीवुड के गीत, उन पर थिरकतीं भारत, नेपाल और पाकिस्तान की लड़कियां. भारतीय उपमहाद्वीप की गरीब लड़कियां केन्या में सेक्स टूरिज्म का शिकार बन रही हैं.

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तस्वीर: Getty Images/A.Nemenov

नेपाल में ब्यूटी पॉर्लर में काम करने वाली शीला को केन्या में एक नौकरी का प्रस्ताव मिला. तनख्वाह सात गुना ज्यादा बताई गई. काम था, केन्या के एक नाइट क्लब में नाचना. नाच को नाम दिया गया कल्चरल डांस.

नेपाल के गांव से आने वाली 23 साल की शीला को डांस का कोई अनुभव नहीं था. नौकरी का प्रस्ताव देने वाले ने कॉन्ट्रैक्ट के पेपर भी नहीं दिखाए. क्लब के मालिक के बारे में कुछ नहीं बताया गया. बुजुर्ग मां बाप के खर्चे, मेडिकल बिल और मोटरसाइकिल एक्सीडेंट में जख्मी भाई के इलाज के खातिर शीला ने 60,000 केन्याई शिलिंग्स (600 अमेरिकी डॉलर) की नौकरी के लिए हामी भर दी. सैलरी के अलावा मुफ्त रहने, खाने पीने और ट्रांसपोर्ट का वादा भी किया गया था.

शीला आखिरकार पूर्वी केन्या के मोम्बासा शहर में पहुंच गई. काम शुरू होते ही शीला पशोपेश में पड़ गई, "जैसा मैंने सोचा था वैसा बिल्कुल नहीं था." शीला को मर्दों से भरे नाइटक्लब में रात नौ बजे से सुबह चार बजे तक नाचना पड़ रहा था. उसे बॉलीवुड जैसा लटके झटकेदार डांस करना पड़ रहा था.

शीला के दूसरे ख्वाब भी एक के बाद एक चकनाचूर हो रहे थे, "मुझसे कहा गया था कि हर जगह जाने के लिए मेरे साथ एक ड्राइवर होगा. लेकिन काम के अलावा फ्लैट से निकलने नहीं दिया गया, मेरे पास पासपोर्ट या फोन भी नहीं था."

सेक्स टूरिज्म का अड्डा बना केन्यातस्वीर: TONY KARUMBA/AFP/Getty Images

यह हालत सिर्फ शीला की नहीं थी. भारत, नेपाल और पाकिस्तान की दर्जनों लड़कियां केन्या में नाइटक्लबों की दुनिया में ऐसे ही फंसी हुई थीं. सबको व्यस्कों के मनोरंजन वाले क्लबों में बॉलीवुड स्टाइल डांस करना था. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पुलिस के मुताबिक कई लड़कियों को गैरकानूनी ढंग से काम पर लगाया गया था.

नेपाल के मानवाधिकार कमीशन के ताजा आंकड़ों के मुताबिक केन्या और उसके पड़ोसी तंजानिया में 2016 और 2017 में 43 नेपाली महिलाएं थीं. अप्रैल 2019 में पुलिस ने कई ठिकानों पर छापा मार कर शीला समेत 11 लड़कियों को आजाद कराया.

मोम्बासा क्लब के मालिक आसिफ आमिराली अलीभाई जेठा पर मानव तस्करी से जुड़े तीन मामले दर्ज किए गए. आसिफ कनाडाई-ब्रिटिश नागरिक है. उसने आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि सभी लड़कियों को कानूनी ढंग से नौकरी पर रखा गया. किसी से यौन उत्तेजना फैलाने वाला डांस नहीं कराया गया, ना ही यौन शोषण किया गया. डांस सिर्फ सांस्कृतिक नृत्य था.

गरीबी के चलते बढ़ता सेक्स टूरिज्म

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भारतीय राज्य महाराष्ट्र के डांस बारों की तरह केन्या के कई शहरों में ऐसे नाइटक्लब खुल चुके हैं. राजधानी नैरोबी, मोम्बासा और किसुमू में ऐसे डांस बार कुकुरमुत्ते की तरह फैले हुए हैं. पुलिस और मानव तस्करी का विरोध करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुताबिक इन क्लबों में लड़कियों को सेक्स के लिए गुलाम बनाकर भी रखा जाता है. महिलाओं की शुरूआत में एडवांस के तौर पर पैसा दिया जाता है और फिर उस कर्ज के बदले उनसे उत्तेजक डांस करवाया जाता है. कुछ मामलों में उन्हें क्लाइंट के साथ सेक्स करने के लिए मजबूर भी किया गया.

मानवाधिकार संगठन इक्वेलिटी नाऊ की वकील अनीता न्यानजोंग के मुताबिक मानव तस्करी से आजाद हुई ज्यादातर महिलाएं अपने सच्चे अनुभव पूरी तरह नहीं बताती हैं. अनीता कहती हैं, "ज्यादातर पीड़ित लड़कियां गरीब रुढ़िवादी परिवारों से आती हैं, वहां इन चीजों को लोकलाज से जोड़कर देखा जाता है. पीड़ित महिलाओं को भले ही सेक्स के लिए बाध्य किया जाए, तब भी वे कुछ नहीं बोलती हैं. तस्कर उन्हें पहले ही बता देते हैं कि इस बारे में बात मत करना वरना तुम्हें देह व्यापार के आरोप में गिरफ्तार किया जाएगा."

केन्या में बड़ी संख्या में स्थानीय महिलाओं और लड़कियों को भी यौन व्यापार में धकेला जाता है. देश में सेक्स टूरिज्म उद्योग का रूप ले रहा है. केन्या में करीब 3,28,000 लोग गुलामी की जिंदगी जी रहे हैं. औसतन निकाला जाए तो 143 लोगों के बीच एक गुलाम है. यह आंकड़े वाक फ्री फाउंडेश के ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स के हैं.

ऐसी रिपोर्टों के बाद हाल के समय में मुजरा बारों में पुलिस ने छापेमारी भी की है.

केन्या के डायरेक्टरेट ऑफ क्रिमिनल इंवेस्टीगेशंस के अधिकारी के मुताबिक, "छापेमारी से हमें पता चला कि केन्या में तस्करों के काम करने के तरीका क्या है. विदेशों में इनके एजेंट हैं जो महिलाओं की भर्ती करते हैं. सांस्कृतिक डांसर के रूप में नौकरी दी जाती है. एक महीने की तनख्वाह एडवांस में दी जाती है. लेकिन जैसे ही वे यहां पहुंचती हैं वैसे ही उनकी आवाजाही पर रोक लगा दी जाती है. उनसे अश्लील और यौन उत्तजेना पैदा करने वाला डांस करवाया जाता है और अक्सर उन्हें ग्राहकों के साथ सेक्स करने के लिए बाध्य भी किया जाता है."

ज्यादातर लड़कियों को दक्षिण एशिया के टूरिस्ट वीजा पर तीन महीने के लिए केन्या लाया जाता है. शीला समेत 11 लड़कियों को नौ महीने के दौरान केन्या लाया गया. उनकी फ्लाइट भारत और इथियोपिया से बुक कराई गई. अदालत में गवाही के दौरान 16 से 34 साल की इन महिलाओं ने बताया कि वे सिर्फ एक हैंडबैग के साथ केन्या आई थीं. एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारियों को उन्होंने बताया कि वे परिवार या मित्र से मिलने आई हैं.

महिलाओं से कहा गया था कि अगर वे हर रात अच्छे से नाचेंगी तो उन्हें हर महीने 4,000 डॉलर तक टिप मिल सकती है. 20 साल की मीना कहती हैं, "हमें टिप नहीं दी गईं वे बॉस की मिली. टॉप परफॉर्मेंस वाली लड़कियों टारगेट पूरा करने पर 20,000 से 50,000 (200 से 500 डॉलर) का बोनस दिया जाता था."

बचाई गई लड़कियों के मुताबिक उन्हें इस ढंग से रखा गया कि उन्हें कभी कमरे और क्लब की सटीक लोकेशन तक पता नहीं चली. छापेमारी के बाद आजाद कराई गई 24 साल की सोनिया बिलखते हुए कहती है, "यह बहुत ही बुरा था. मुझे यहां कभी नहीं आना चाहिए था. यह एक बड़ी भूल थी, मैं बस किसी तरह घर लौटना चाहती हूं. मैं अब कभी केन्या नहीं आऊंगी."

ओएसजे/एनआर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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